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• रुद्राष्टकम | Rudrashtakam | श्रावण म... रुद्राष्टकम | Rudrashtakam | श्रावण मास विशेष | हिमानी कपूर | सिद्धार्थ अमित भावसार | तिलक🙏 • बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुम... बजरंग बाण | पाठ करै बजरंग बाण की हनुमत रक्षा करै प्राण की | जय श्री हनुमान | तिलक प्रस्तुति 🙏 भक्त को Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - • दर्शन दो भगवान | Darshan Do Bhagwaan ... Watch the film ''Katha Ganga Maiya Ki'' now! Watch all the Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya full episodes here - http://bit.ly/JaiGangaMaiya Subscribe to Tilak for more devotional contents - https://bit.ly/SubscribeTilak पार्वती अंतरिक्ष में भटकती कुछ आत्माओं को देख कर महादेव से पूछती हैं की ये कौन हैं तो महादेव पार्वती को उनकी कथा सुनते हैं। श्री हरी ने ब्रह्मा जी को आह्वान किया और उन्हें सृष्टि निर्माण करने के आदेश दिए। ब्रह्मा जी सृष्टि के निर्माण के लिए प्रजापति दक्ष, नारद मुनि, सनक आदि ऋषियों को उत्पन्न किया लेकिन नारद मुनि जी ने ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण से मना कर दिया और श्री हरी की भक्ति करने के लिए अनुमति माँगी। ब्रह्मा जी ने प्रजापति दक्ष को सृष्टि निर्माण के लिए कहा तो दक्ष ने सृष्टि यज्ञ आरम्भ कर दिया। दक्ष ने अपने यज्ञ से 60 हज़ार पुत्रों का निर्माण किया और उन्हें सृष्टि निर्माण में मदद करने के लिए कहा। राजा दक्ष ने नारद मुनि जी को उनका गुरु बना देते हैं। नारद मुनि जी दक्ष के पुत्रों को शिक्षा देना शुरू कर दिया। शिक्षा ग्रहण करने के बाद नारद जी से दक्ष पुत्र वापस पहुँचे तो दक्ष ने उनसे सृष्टि निर्माण करने के लिए कहा तो उन्होंने दक्ष को मना कर दिया और कहा की हम सृष्टि निर्माण करने के बाद जनम जन्मांतर के चक्र में नहीं फँसना चाहते। दक्ष उनकी इस बात से क्रोधित हो कर श्राप दे देते हैं की अब वो जनम जन्मांतर तक ऐसे ही भटकते रहेंगे। और उनको मुक्ति तभी मिलेगी जब गंगा मैया पृथ्वी पर आएँगी। दक्ष ने नारद मुनि जी को भी श्राप दिया की तुमने सृष्टि के निर्माण में बाधा डाली है इसलिए तुम अब कहीं भी ढाई घड़ी से अधिक नहीं रुक पाओगे। ये वही 60 हज़ार दक्ष पुत्र हैं जो भटक रहे हैं। ब्रह्मा जी के कमंडल से गंगा का उत्पन्न होती हैं और ब्रह्मा जी उन्हें कहते हैं की तुम्हें पृथ्वी पर जनम लेने के लिए इंसान रूप लेना होगा। राजा अयोध्या नरेश सगर सूर्य देव को अर्ग देते हैं तो सूर्य देव प्रकट हो जाते हैं और उसे कहते हैं की तुम्हें दूसरा विवाह करना होगा तभी तुम्हारे घर में 60 सहस्त्र पुत्रों का जनम होगा जिनके उद्धार के लिए गंगा मैया को पृथ्वी पर आगमन होगा। विष्णु जी अपने कपिल मुनि रूप को प्रकट करते हैं और उन्हें पृथ्वी लोक के कल्याण के लिए भेज देते हैं। राजा सगर और सुमति का विवाह होता है जिनके विवाह के बाद दक्ष पुत्रों को ब्रह्मा जी सुमति के गर्भ में स्थापित कर देते हैं। कपिल मुनि जी विष्णु जी आज्ञा से रसा तल में तप करने के लिए चले जाते हैं। सुमति के गर्भ को 2 वर्ष बीत जाते हैं। कुछ समय बाद सुमति बालक की जगह एक मांस के गोले को जनम देती हैं जिसे देख राजा सगर उसे नष्ट करने की आज्ञा देते हैं तो तभी उनके महा ऋषि वशिष्ठ वहाँ आकर उन्हें कहते हैं की ये निर्जीव नहीं है यह तुम्हारे 60 हज़ार पुत्र हैं मैं इनका निर्माण करूँगा। महा ऋषि वशिष्ठ उस मांस टुकड़े को 60 हज़ार पुत्रों में बदल देते हैं। राजा सगर अपने सभी पुत्रों का पालन पोषण करके बड़ा कर देते हैं। सभी पुत्र अपने पिता सगर से कहते हैं की हम अपने बाल से सबी राज्यों पर आक्रमण करके अपने अधीन करने के लिए जा रहे हैं। सगर पुत्र सभी राजाओं को युद्ध में हरा देते हैं तो उन्हें अपने बाल पर अहंकार हो जाता है। सगर पुत्र वन में तपस्या कर रहे जनहु को देखते हैं और उनके गले में मृत सर्प डाल देते हैं और उन्हें तप से जगा देते हैं। जनहु ऋषि सगर पुत्रों की इस गलती पर उन्हें श्राप दे देते हैं की वो अकाल की मार जाएँगे और उन्हें काल सर्प डस लेगा और गंगा मैया भी यदि तुम्हारा कल्याण करती हैं तो भी तुम्हें मुक्ति नहीं मिलेगी। राजा सगर अपने पुत्र को राजा बना कर यजुवेंद्र को युवराज बना देता हैं। राजा सगर वन में तप करने जाने की आज्ञा ऋषि वशिष्ठ से माँगते हैं तो वशिष्ठ जी उन्हें अश्वमेघ यज्ञ करने के लिए कहते हैं। राजा सगर अश्वमेघ यज्ञ करता हैं। यजुवेंद्र को अश्व की सुरक्षा का दायित्व दिया जाता है। सगर पुत्र अश्व को लेकर निकल पड़ते हैं। रस्ते में इंद्र देव उनके अश्व को चुरा कर कपिल मुनि जी के पास रसा तल में छोड़ आते हैं। सगर पुत्र अश्व की तलाश में रसा तल में चले जाते हैं और अश्व को कपिल मुनि जी के पास खड़ा देखते हैं तो उन पर आक्रमण कर देते हैं। कपिल मुनि जी जैसे ही अपनी आँख खोलते हैं तो सभी सगर पुत्र वहीं भस्म हो जाते हैं क्योंकि विष्णु जी का उन्हें वरदान था की उनकी तपस्या भंग करने वाले पर जब उनकी दृष्टि पड़ेगी तो वह भस्म हो जाएगा। राजा सगर अपने अश्व को खोजने के लिए अपने सैनिकों को भेजता है। राजा अपने गुरु वशिष्ठ के पास जाता है और उनसे अश्व के बारे में पूछते हैं तो ऋषि वशिष्ठ उन्हें युवराज यजुवेंद्र के पुत्र अंशुमान को अश्व खोजने के लिए भेजने को कहते हैं। अंशुमान सूर्य देव से अपना मार्ग दर्शन करने को कहता है तो वह रसा तल में चला जाता है और कपिल मुनि जी से तप से जगाने के लिए आदर सहित उनसे प्रार्थना करता है। कपिल मुनि जी अंशुमान को अश्व दे देते हैं। अंशुमान अपने सभी काका को भी माँगते हैं तो कपिल मुनि जी उन्हें बताते हैं की वो भस्म हो चुके हैं और उन्हें मुक्ति गंगा मैया के आने पर ही मिलेगी। अंशुमान अपने साथ अश्व को लेकर राज्य पहुँच जाते हैं। अश्वमेघ यज्ञ सम्पूर्ण किया जाता है। सभी ऋषि राजा सगर को अपने पुत्रों के उद्धार के लिए गंगा मैया को पृथ्वी पर लाने के लिए कहते हैं।