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▬ स्वर- प.पू. राजेश्वरानंद जी ▬ दास रघुनाथ का, नंद सुत का सखा, कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा। सुख लिया श्रीअवध,और ब्रजवास का, कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा। ▬ஜ۩۞۩ஜ▬ मैथिली ने कभी , मोद मोदक दिया, राधिका ने कभी , गोद में ले लिया। मातृ सत्कार में, नित्य होकर मगन , कुछ इधर भी रहा, कुछ उधर भी रहा ▬ஜ۩۞۩ஜ▬ एक तरफ द्वार जोड़ी का दरबान हूँ , एक तरफ यार हूँ , अंगे दरम्यान हूँ , घर रखाता हुआ जर लुटाता हुआ, कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा। ▬ஜ۩۞۩ஜ▬ खूब पाई प्रसादी, है रघूराज की, खूब जूठनी मिली, यार ब्रजराज की। भोग मोहन छका, दूध माखन चखा, कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा। ▬ஜ۩۞۩ஜ▬ इस जमाने मे ऐसे , बहुत लोग है , न इधर के रहे , ना उधर के रहे , ‘बिन्दु’ दोनों तरफ ले रहा है मज़ा, कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा। ▬ஜ۩۞۩ஜ▬ दास रघुनाथ का नंदसुत का सखा, कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा। सुख लिया श्री अवध और का,कुछ इधर भी रहा कुछ उधर भी रहा .....। ▬ स्वर- प.पू. बिंदु जी ▬ ऐसे ही अनेक भजनों का आनंद लेने के लिए नीचे Link में Clik करें👇👇👇👇👇👇👇👇 • 🔻राजेश्वरानंद जी के गए अनेक भजन संग्रह 👁️Subscribe करें ❤️ Youtube chanel 🔸 👉 🅰️÷Shri bhagwat rasamritam 👌🏿 👉 🅱️÷Royal studio rewa 👌🏿👌🏿 👉 🆎÷भजनामृत लहरी 👌🏿👌🏿👌🏿 ☎ 9039834037 ▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬