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भारतीय रेल का इतिहास 168 साल पुराना है। इसकी शुरूआत भारत में अंग्रेजों के शासन काल से हुई। भारतीय रेलवे ने सबसे पहली ट्रेन 18वीं सदी में चलाई गई। देश में पहली रेल 16 अप्रैल 1853 को बंबई के बोरी बंदर स्टेशन जो कि अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनल) से ठाणे के बीच चलाई गई थी। एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। एक प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160 वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके वर्तमान में 14 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल भारत की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश की राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। सबसे पहला लोकोमोटिव भाप इंजन ”थॉमसन” (जनरल गेज 4’8.1/2”) और ब्रॉड गेज का लार्ड फॉकलैंड (5.6”) साल 1851 से 1852 के बीच भारत पहुंचा। 16 अप्रैल, 1853 में भारत की सबसे पहली ट्रेन चलाई गई – First Indian Railway 16 अप्रैल साल 1853 में भारत की सबसे पहली रेलगाड़ी महाराष्ट्र के मुंबई और ठाणे के बीच चलाई गई थी, इस ट्रेन ने 21 मील (33.8 किलोमीटर) की दूरी की यात्रा करीब 57 मिनट में पूरी की थी। आपको बता दें कि सिंध, साहिब और सुल्तान नाम के 3 इंजनों ने 14 बोगियों में बैठे करीब 400 यात्रियों को अपने गन्तव्य स्थान तक पहुंचाया था। वहीं भारत में उस समय ट्रेन की शुरुआत देश की सबसे बड़ी उपलब्धी थी, भाप के इंजन के माध्यम से देश में पहली ट्रेन को चलाया गया था। गिनीज रिकॉर्ड बुक में दुनिया का सबसे पुराना स्टीम इंजन – World’s oldest steam engine दुनिया के सबसे पुराने स्टीम इंजन से चलने वाली भारत की सबसे पहली हैरिटेज ट्रेन फेयरी क्वीन (Fairy Queen) है, जो नई दिल्ली और राजस्थान के अलवर में चलती है। आपको बता दें कि फेयरी क्वीन दुनिया का सबसे पुराना स्टीम इंजन है, जिसका निर्माण साल 1855 में ब्रिटेन की किटसन ने किया था। वहीं इसे साल 1998 में दुनिया का सबसे पुराना स्टीम लोकोमोटिव इंजन के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमाण पत्र दिया गया था। इसके साथ ही इसे हेरिटेज अवॉर्ड भी दिया चुका है। भारत में पहली टॉय ट्रेन की घोषणा – Mountain railways of India भारत के पूर्वोत्तर में पहली बार साल 1881 में टॉय ट्रेन की घोषणा की गई, आपको बता दें कि यह ट्रेन 2 फुट चौड़े नैरो गेज ट्रेक पर चलती है और इसकी स्पीड बहुत कम होती है। वहीं इस ट्रेन को यूनेस्कों से वर्ल्ड हैरिटेज साइट का भी दर्जा हासिल है। भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशनों तक टॉय ट्रेन की पहुंच है। मुंबई-पुणे को जोड़ने वाली रेल लाइन का निर्माण और सुरंग रेल निर्माण काम सुरंग रेल निर्माण का काम 1856 से 1865 के बीच में पूरा किया गया। भोर घाट और थूल घाट के बीच काफी मुश्किलों के बाद निर्माण किया गया। वहीं ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे ने मुंबई और पुणे को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का निर्माण किया। वहीं 1863 में 28 सुरंगों और पुराने पुलों के साथ भोर घाट के माध्यम से यह खंड खोला गया। दक्षिण भारत में ट्रेन की शुरुआत – Southern Railway Zone 1 जुलाई, 1856 को दक्षिण भारत में रेल की शुरुआत मद्रास रेलवे कंपनी से हुई। भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण – Nationalization of Indian Railway आजादी के बाद जब भारत और पाकिस्तान का जब बंटवारा हुआ, उसी समय 14 अगस्त साल 1947 में रेल नेटवर्क को भी दोनों देशों के बीच में बांट दिया गया। देश की आजादी के 4 साल बाद साल 1951 में भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया यानि की रेलवे पर पूरी तरह से भारत सरकार ने अपना अधिकार हासिल कर लिया। रेल नेटवर्क का विस्तारीकरण – Expansion of Indian Railways साल 1866 से 1872 के बीच भारतीय रेल नेटवर्क का विस्तार किया गया, इस दौरान कलकत्ता को दिल्ली, अमृतसर और मुंबई के साथ जोड़ा गया। इसके साथ ही मुंबई को भी कोचिन और मद्रास समेत तमाम शहरों के साथ जोड़ने का काम किया गया। आपको बता दें कि भारत के पूर्व में जमालपुर वर्कशॉप और पश्चिम में परेले में रोलिंग स्टॉक आदि के रखरखाव के लिए काम की शुरुआत की गई। ट्रेन में टॉयलेट की शुरुआत – Start of Toilet System in India भारीतय रेल के शुरु होने के करीब 50 साल तक ट्रेनों में टॉयलेट नहीं होती थी, जिसके बाद पश्चिम बंगाल के एक यात्री ओखिल चंद्र सेन ने साल 1909 में पैसेंजर ट्रेन से यात्रा करने के अपने बुरे अनुभव के बारे में साहिबगंज रेल डिविजन के ऑफिस को एक चिट्टठी लिखकर शिकायत की। इसके बाद रेलवे ने इसकी शिकायत पर सुनवाई की और फिर ब्रिटिश हुकूमत के समय ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा शुरु की गई। ओखिल चन्द्र सेन का वो लेटर आज भी इंडियम रेल म्यूजियम में मौजूद है। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि साल 1891 में सिर्फ प्रथम श्रेणी के डिब्बों को इस सुविधा से जोड़ा गया था। उसके बाद धीरे-धीरे रेल की सभी डिब्बों में टॉयलेट की सुविधा की शुरुआत की गई। साल 1929 में भारत की पहली विद्युत ट्रेन ‘डेक्कन क्वीन’ – Deccan Queen कल्याण और पुणे के बीच चलाई गई थी। भारतीय रेल में पहले डीजल इंजन की शुरुआत – पूर्व भारतीय रेलेवे की तरफ से साल 1945 में पहली बार डीजल इंजन की शुरुआत की गई। भारतीय रेल का गठन – 1947 से जब अपना भारत देश आजाद हुआ था, उसी समय भारतीय रेल का गठन किया गया और इसे क्षेत्रीय रेलों में विभाजित किया गया। आज पूरे देश में रेल नेटवर्क का जाल इस तरह बिछा हुआ है, कि भारत का कोई भी राज्य और कोई भी शहर रेल सुविधा से महरूम नहीं है। भारतीय रेलवे व्यवस्था के तहत इसकी कुल लंबाई 63 हजार 465 किमी है। यानि कि कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से अरुणाचल प्रदेश तक चारों दिशा में लोग ट्रेन से सफर तय कर जा सकते हैं।