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शिव महापुराण || Shiv mahapuran || कलश यात्रा के नियम और प्रभाव || 3 месяца назад


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शिव महापुराण || Shiv mahapuran || कलश यात्रा के नियम और प्रभाव ||

शिव महापुराण || Shiv mahapuran || कलश यात्रा के नियम और प्रभाव || @tyagivideos इस पुराण में भगवान शिव की लीला कथाओं का वर्णन किया गया है साथ ही इस पुराण में भगवान शिव की पूजा व्रत के नियमों को भी बताया गया है। इसी में उन रहस्यों को भी बताया गया है जिनसे भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न करके दुख, दरिद्रता और संकटों से पार पाया जा सकता है। आदि देव महादेव के लिए कहा जाता है कि वह अपने भक्तों के लिए सुलभता से उपलब्ध रहते हैं और मात्र फूल-पत्ते चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं। महादेव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि ये किसी में कोई भेद नहीं करते। इसलिए शिव को प्रसन्न करने के लिए हम अपने-अपने तरीके से प्रार्थना करते हैं। शिव पुराण में शिव पूजा और शिव पुराण कथा सुनने के कई नियम बताए गए हैं। शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है। इस पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है। यदि आप अपने पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शिव पुराण का पाठ सबसे ज्यादा लाभकारी है। सावन के महीने में शिव पुराण का पाठ करने से जीवन के सब दुखों से मुक्ति मिलती है। कलश रिद्धि- सिद्धि का प्रतीक है। इसका हिंदू धर्म में अपना महात्म्य है। उन्होंने कहा कि कलश हमारे जीवन के हर क्षण में काम आता है। जन्म के समय भी कलश स्थापना की जाती है और मरने के समय भी शरीर के साथ कलश विसर्जित किया जाता है। उन्होंने बताया कि कलश के उपर नारियल रखा जाता है। यह नारियल मनुष्य को इस बात की शिक्षा देता है कि परिवार के मुखिया को उपर से सख्त और अंदर से मुलायम होना चाहिए। इससे जीवन की गाड़ी बेहतर चलती है। कलश के उपर जो माला रखी जाती है उसका अलग महत्व है। जिस प्रकार माला में लगा हुआ फूल महकता है उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी दूसरों को सुगंध देने वाला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलश को कलश को 108 महिलाएं सिर पर रखकर शोभा यात्रा निकालती है यह जिस क्षेत्र में निकलती है वहां का वातावरण मंगलमय हो जाता है। कलश का धार्मिक महत्व किसी भी पूजा में प्रयोग में लाए जाने वाले मंगन कलश को समुद्र मंथन में निकले अमृत कलश के समतुल्य माना जाता है क्योंकि यह हमारी साधना-आराधना को निर्विघ्न रूप से संपन्न कराकर उसका शुभ फल दिलाने का माध्यम बनता है. मान्यता है कि कलश में नवग्रह, 27 नक्षत्र और करोड़ों तीर्थों का वास होता है. यही कारण है कि किसी भी कार्य विशेष में शुभता और सफलता के लिए उसे शुरु करते समय कलश की स्थापना करके उसकी विशेष पूजा की जाती है. कलश से पूरी होगी आपकी मनोकामना सनातन परंपरा में शक्ति की साधना में कलश की पूजा का बहुत महत्व है. देवी पूजा में कलश की विधि-विधान से स्थापना करने पर सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय और सफलता की प्राप्ति होती है. वास्तु (Vastu) के अनुसार कलश को घर के दरवाजे पर रखने से सुख–समृद्धि का आगमन होता है, लेकिन ध्यान रहे कि इस कलश का मुंह चौड़ा और खुला हुआ हो. शुभ फलों में वृद्धि के लिए आप इस कलश पर अशोक की पत्तियां और ताजे फूल भी रख सकते हैं. ज्योतिष (Astrology) के अनुसार यदि आप आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं तो उसे दूर करके घर में धन का भंडार भरने के लिए लक्ष्मी कलश की स्थापना करनी चाहिए. मान्‍यता है कि कलश को घर के ईशान कोण में स्थापित करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है. घर में तांबे का मंगल कलश स्थापित करना अत्यंत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य में कलश में नारियल (Coconut) रखकर पूजा करने पर घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. (यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) #ganga #shiv #shiv mahapuran #12ज्योतिर्लिंग #souravjoshivlogs मेरी कुछ वीडियो के लिंक :- Mahakal ujjain :-    • शिव महापुराण || Shiv mahapuran || कलश...   माघ पूर्णिमा के लाभ :-    • माघ पूर्णिमा के दिन करे ये उपाय  ll च...   चंद्र शेखर आजाद की जीवनी :-    • Chandra shekher  Azad ji ko Kese Mara...  

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