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दुसरे धर्म में शादी करने से क्या होता है? क्या कहता है हमारा सनातन धर्म !! Raghvacharya Ji Maharaj हिंदू धर्म में विवाह करना एक संस्कार है, जिसके बाद व्यक्ति गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता है। शादी को पवित्र बंधन कहा जाता है, अत: इसमें बंधने वाले लड़का-लड़की के लिए शास्त्रों में कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। वर्तमान समय में लोग पाश्चात्य के रंग में रंगे हुए हैं। उन्हें अपनी धर्म-संस्कृति को फॉलो करना ओल्ड फैशन बनाता है। तभी तो आजकल इंटरकास्ट मैरिज आम देखने को मिल जाती हैं। शास्त्र इसकी इजाजत नहीं देते। पुराणों में कहा गया है अंतर जाति विवाह से जो बच्चे पैदा होते हैं वे वर्ण संकर होते हैं। कहते हैं उन्हें पितरों का तर्पण, पिण्डदान करने का अधिकार नहीं होता क्योंकि इनके द्वारा किया गया तर्पण और पिण्डदान पितर स्वीकार नहीं करते। माता-पिता की जाती अलग होने से संतान के अंश में अंतर रहता है। #intercastlovemarriage #shadi #hindudharma #vivah #sanatandharm #RaghvacharyaJiMaharaj #RaghvacharyaJi dusri jati me shadi karna paap hai , kya prem vivah paap hai , jati pratha ki sachhai , jaat paat , kya dusre dharm me shadi karna paap hai , jati ka bhedbhav , bhedbhav ,inter cast marriage,dusri jati me shadi , dusri jati me vivah , kya dusri jati me shadi karna galat hai , jati pratha samaj me kaise ayi