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रानी पद्मावती की अमर कथा रानी पद्मावती, जिन्हें पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है,रानी पद्मावती की अमर कथा रानी पद्मावती, जिन्हें पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है,Rani Padmavati, jo Chittorgarh ki Maharani thi, unka Jauhar ek amar gatha hai. Sultan Alauddin Khilji ne unki sundarta se prabhavit hokar unko paane ka prayas kiya. Rani Padmavati ne apne pati aur Chittor ke samman ko bachane ke liye saari rajput auraton ke saath milkar apne pran tyaag diye aur Jauhar kiya. Yeh gatha Rani Padmavati ke sahas aur samman ki pratik hai.रानी पद्मावती की अमर कथा रानी पद्मावती, जिन्हें पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है, चित्तौड़ की महारानी थीं और उनकी सुंदरता और साहस के किस्से पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं।सुंदरतारानी पद्मावती की अमर कथा रानी पद्मावती, जिन्हें पद्मिनी के नाम से भी जाना जाता है, चित्तौड़ की महारानी थीं और और साहस के किस्से पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। उनका विवाह मेवाड़ के राजा रतन सिंह से हुआ था। रानी पद्मावती का सौंदर्य अद्वितीय था, और उनकी सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी। जब दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती के सौंदर्य के बारे में सुना, तो वह उन पर मोहित हो गया और किसी भी कीमत पर उन्हें हासिल करना चाहता था। उसने चित्तौड़गढ़ पर हमला करने की योजना बनाई ताकि रानी को प्राप्त कर सके। खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया और अपनी सेना के साथ किले को घेर लिया। उसने राजा रतन सिंह को संदेश भेजा कि वह केवल एक बार रानी पद्मावती का चेहरा देखना चाहता है और इसके बाद वह वापस लौट जाएगा। राजा रतन सिंह ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, लेकिन अपने राज्य के हित और जन हानि से बचने के लिए आखिरकार एक योजना के तहत रानी का प्रतिबिंब खिलजी को एक दर्पण में दिखाया गया। दर्पण में रानी को देखकर खिलजी और भी अधिक सम्मोहित हो गया और उसने उन्हें पाने का निर्णय किया। इसके बाद, खिलजी ने अपनी सेना को चित्तौड़ पर हमला करने का आदेश दिया। चित्तौड़ के वीर योद्धाओं ने अपने राज्य और सम्मान की रक्षा के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी, लेकिन खिलजी की विशाल सेना के सामने चित्तौड़ की रक्षा करना कठिन हो गया। राजा रतन सिंह युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। जब रानी पद्मावती को यह समाचार मिला, तो उन्होंने अपने राज्य और महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए जौहर करने का निश्चय किया। रानी पद्मावती ने सभी राजपूत महिलाओं के साथ मिलकर एक जौहर कुंड का निर्माण करवाया। सैकड़ों महिलाओं ने अपने सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वे सभी महिलाएं एक विशाल अग्निकुंड में कूद गईं, ताकि उनकी पवित्रता और मर्यादा पर कोई आंच न आए। रानी पद्मावती का यह जौहर न केवल उनके साहस और सम्मान का प्रतीक बना, बल्कि यह राजपूताने के गौरवशाली इतिहास की अमर गाथा बन गया। आज भी चित्तौड़गढ़ में इस घटना को याद किया जाता है और रानी पद्मावती के इस बलिदान को श्रद्धा से नमन किया जाता है। उनकी इस गाथा ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया और यह साहस, आत्म-सम्मान और बलिदान का प्रतीकरानी पद्मावती की अमर कथा