У нас вы можете посмотреть бесплатно Maya Maha Thagni | माया महा ठगनी हम जानी | असली भक्ति और माया की कहानी | Kabir Vaani | Anahad или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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संत कबीरदास जी का यह भजन माया के छल-कपट को उजागर करता है। कबीर कहते हैं कि माया (भौतिक मोह) महान ठगनी है — यह हमें कई रूपों में भ्रमित करती है: केसव के कमल में बैठी, शिव के भवन में भवानी → देवताओं और मंदिरों के रूप में। पंडा की मूर्तियों में, तीर्थ में पानी → कर्मकांड और तीर्थ यात्रा में। योगी के योग में, राजा के घर रानी → साधु और सांसारिक सुख में। काहू के हीरे में, काहू के कौड़ी में → संपत्ति और धन में। भक्तों की भक्ति में भी बैठी → यहां तक कि नाम और भक्ति में भी माया भ्रम डालती है। कबीर अंत में कहते हैं कि यह सब अकथ कहानी है, जिसे समझने के लिए विवेक और सतगुरु की शिक्षा आवश्यक है। माया महा ठगनी हम जानी तिरगुन फांस लिए कर डोले बोले मधुरे बानी केसव के कमला वे बैठी शिव के भवन भवानी पंडा के मूरत वे बैठीं तीरथ में भई पानी योगी के योगन वे बैठी राजा के घर रानी काहू के हीरा वे बैठी काहू के कौड़ी कानी भगतन की भगतिन वे बैठी ब्रह्मा के ब्रह्माणी कहे कबीर सुनो भई साधो यह सब अकथ कहानी माया महा ठगनी → माया महान ठगनी है, जो हर रूप में छल करती है। तिरगुण फांस → माया त्रिगुण (सत, रज, तम) का जाल बनाकर मनुष्य को फँसाती है। केसव, शिव, पंडा, योगी, राजा, हीरा, कौड़ी → सब कुछ माया का रूप है, असली सत्य नहीं। भक्तों की भक्ति में बैठी → यहां तक कि भक्ति और नाम जप में भी माया भटकाव पैदा कर सकती है। सार: केवल सतगुरु का उपदेश और विवेक ही हमें माया से मुक्त कर सकता है। संत कबीरदास (1440–1518) भक्ति आंदोलन के महान संत और कवि थे। उन्होंने सरल भाषा में सच्ची भक्ति, माया और सतगुरु का महत्व बताया। कबीर का संदेश था कि ईश्वर भीतर है और भक्ति बिना अहंकार और माया के ही सच्ची होती है। उनकी साखियाँ आज भी भक्ति और आत्मबोध का मार्ग दिखाती हैं। #Kabir #KabirBhajan #KabirKeDohe #SantKabir #KabirVani #Bhakti #Maya #KabirDas #KabirWisdom #Spirituality #IndianPhilosophy #InnerJourney #NaamSimran