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सिन्धु राष्ट्र यानि आदिवासी भारत... Birsa Munda – The Youngest Freedom Icon” “Birsa Munda 150th Year – Betul से उठती उलगुलान की पुकार | Satish Pendam”** प्रमुख मार्गदर्शक आदिवासी आवाज बिरसा ब्रिगेड,/ सेल्फ रिस्पेक्ट मूवमेंट आफ इंडिजिनियस पीपुल्स/ मिशन आदिवासी भारत/आदिवासी बचाओ आंदोलन/ आदिवासी विचार मंच/ आल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन/आल इंडिया इंडिजिनियस इम्पलायमेंट फेडरेशन अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी सर्व संगठन, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आदरणीय सतीश दादा पेंदाम 15 नवम्बर महामानव धरती आबा बिरसा मुण्डा जी के 150 वीं जयंती वर्षगांठ पूरे होने पर महापुरुषों की विचारधारा की 125 वीं वास्तविक बिरसावाद की आदर्श विचारधारा, सामाजिक सांस्कृतिक शिक्षा - दीक्षा शपथ समारोह In the historical Judgement of Supreme Court the Honbl'e Court in its judgement R.A. No. 11/2011 SLP (CRI) 10367 of (2010) has given the specific judgement in form of direction and opinion that tribes are the aboriginal people of India. They are the original inhabitants of India and they deserves the honour of indigenous people and the indigenous rights. It is the duty of every citizen who believes in constitution and original fact and anthropological history of India. It is connected directly with the existence and identification of the real owners of India who are suffering from thousands of year in the own country. धरती आबा भगवान बिरसा ने कहा है, जल जमीन जंगल अधिकार और सम्मान मांगने वाली चीज नहीं है, इसे प्राप्त करने के लिए सामूहिक निर्णय, सामूहिक संघर्ष, सामूहिक जीवन और सामूहिक विद्रोह के कांतिकारी संपूर्ण बदलाय हेतु उलगुलान ही अंतिम मार्ग है आप इस देश के मूलमालिक हो मुख्य स्वरक्षकही समाज से प्यार करा, क्योंकि वे (देशवासी) अलग-अलग धर्म को मानते है। परंतु आपके वंशज है। यह उन्हें समझाने के लिए, आपका निरंतर प्रयास करना होगा और अपने देश मानवता और जन जगत जमीन का बचाने के लिए आपको निरंतर संघर्ष और जीवन समर्पण करने के लिए आपका सामाजिक जन्म हुआ है इसे पाद रखना है प्राचीनकाल से भारत सांस्कतिक राष्ट्र था, है और रहेगा, भारत के समाजबादी धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र और संविधान सहित राष्ट्रीय एकता, भाईचारा, मानवता, पर्यावरण, निष्पक्ष सामाजिक नागरिकता, न्याय और समता की बचाने और बनाये रसाने के लिए आदिवासी और आदिवासी संस्कृति ही एकमेव और अंतिम पर्याय है इसलिए आदिवासी और आदिवासी संस्कृति बचेगी, तो ही भारत बचेगा..... आदिवासी यह भारत के प्राधीन, मानवशास्त्र, सांस्कृतिक मानवशास्त्र और आदर्श मांस्कृतिक समाजवादी व्यवस्था का गौरवपूर्ण इतिहास है वास्तव में आदिवासी यानि भारत और भारत यानि आदिवासी वहीं तर्कशुद्ध सत्य है और यहीं भारत का इतिहास है सिन्धु राष्ट्र यानि आदिवासी भारत कृषी संस्कृति की निर्माता ही वास्तविक भारत माता यह भारत के आदिवासियों की अंतिम पीढ़ी द्वारा अंतिम पीढ़ी को बचाने की अंतिम लड़ाई है..... To Subscribe Birsa Brigade Live YouTube Channel click now at / @birsabrigadelive and stay updated🔔 Birsa Brigade other social media platforms: ☛ Like us on Facebook: / / by ☛ Follow us on Twitter: / https://x.com/BirsaBrigadeoff?t=3wz_r... ☛ Follow us on Instagram: / https://www.instagram.com/birsabrigad...