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देवता केवल मंदिरों में रहते हैं या हमारे अपने शरीर में भी उनका वास है? शास्त्रों के अनुसार यह मानव शरीर स्वयं एक चलता-फिरता मंदिर है। इसमें विभिन्न देव शक्तियाँ सूक्ष्म रूप से विराजमान मानी गई हैं—मस्तिष्क में ब्रह्मा का ज्ञान, हृदय में विष्णु का संरक्षण भाव और नाभि या अंतःकरण में शिव का वैराग्य व चेतना। इस वीडियो में जानिए: मानव शरीर को देवालय क्यों कहा गया है किस अंग में कौन-सी देव शक्ति मानी जाती है ध्यान, भक्ति और सदाचार से देवत्व कैसे प्रकट होता है शरीर की पवित्रता और आचरण का आध्यात्मिक महत्व यदि हम अपने विचार, वाणी और कर्म को शुद्ध रखें, तो वही देव शक्तियाँ हमारे भीतर जाग्रत हो जाती हैं। यह वीडियो आपको अपने भीतर छिपे देवत्व को पहचानने और जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा देगा। 👉 वीडियो पूरा देखें, विचार करें और अपने अनुभव साझा करें।