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श्री राधारमण गीता नित्य लीला श्री राधारमण सलौने श्याम ।(सुगम राग संगीत) नवलकिशोर माधुरी मूरति अंग-अंग अभिराम ॥ श्रीवृषभान किशोरी गोरी शोभित सुन्दर वाम । वृन्दाविपिन विलासी रस निधि गुणमंजरी सुख धाम ॥ श्री राधारमण आपका श्याम वर्ण बहुत सुन्दर है। सुन्दर है । हे नवलकिशोर ! आप माधुर्य की मूर्ति हैं आपका अंग प्रत्यंग मनोहर दर्शित जान पड़ता है। गौरवर्णा श्री प्रियाजू आपके वाम भाग में विराज रही हैं। आपकी दिव्य जोड़ी का विलास स्थल श्री वृंदावन जो सम्पूर्ण रसों की निधि है एवं यह वन ही आप दोनों के प्रेमरस के कारण श्री गुणमंजरी का एकमात्र सुख धाम निवास है । Original Lyrics:SHRI GUNMANJARI DAS GOSWAMI ji MAHARAJ ( shri gullu goswami ji) Granth : श्री राधारमण गीता नित्य लीला वैष्णवाचार्य श्री चंदन गोस्वामी जी महाराज Composition Inspiration : MY IDOL PUJYA SHRI INDRESH UPADHAYAY JI MAHARAJ @bhaktipath #bhaktipath VOICE : SHUBHAM YOGI @BRAJPADRAAGSEVA #brajpad #brajpadhavelisangeet (पूज्य श्री गुणमंजरी दास गोस्वामी जी का जीवन चरित्र) दिव्य प्रेम की अविरल धारा (१८२८-१८९१) श्री राधारमण लाल को अपने पदों द्वारा रिझाए हुए एक शताब्दी से भी अधिक समय हो गया किंतु आज भी श्री गुणमंजरी दास गोस्वामी जी के रचित पद श्रीजी की आराधना में सेवायमान है। न केवल गोस्वामी जी ने श्रीजी की प्रत्येक लीला तथा उत्सव का सुंदर वर्णन पदों में किया, अपितु अपनी रचनाओं को गाकर भी श्रीजी का मन मोह लिया। ब्रजवासी गण, गोस्वामी जी को महात्मा जी कह कर पुकारते थे क्योंकि बाल अवस्था से ही उनका शुद्ध आचरण सभी को मनमोहक लगता था। वह एक ग्रहस्थ होते हुए भी सरल जीवनयापन करते थे एवं विशुद्ध भक्ति तथा आध्यात्मिक तत्व से परिपूर्ण थे। दिन में केवल थोड़ी सब्ज़ी के साथ एक रोटी खाते और वह भी अन्न का आदर करने के लिए। नहीं तो आप श्रीजी के प्रेम से परिपूर्ण थे, आपको कहाँ कोई लौकिक भूख प्यास परेशान करती। आपका प्रेम आपकी सेवा में हमेशा दिखता, हर क्षण ब्रजवासियों, निर्धनों तथा गौ की सेवा में लीन रहते हुए आपने अपना सब कुछ अर्पण कर दिया था । श्रीजी की लीलाओं के स्मरण में गोस्वामी जी सर्वदा रत रहते । गुणमंजरी दास जी को सांसारिक विषय वस्तुओं से कोई लेना देना नहीं था क्योंकि उनके पास तो श्रीजी की सेवा ही सब से श्रेष्ठ सम्पत्ति थी। अपने पद का उनको लेषमात्र भी गुमान नहीं था। कोई भी उनकी प्रशंसा करे तो उन्हे दुःख पहुँचता । एक बार भागवत जी की कथा के लिए वाराणसी जाने पर उनका भव्य स्वागत हुआ किंतु यह देख उनको बहुत दुःख हुआ और वह रो पड़े । श्री राधारमण मंदिर में ठाकुर जी की सेवा परिकर के सभी गोस्वामी परिवारों में वितरित होती है। गुणमंजरी दास जी को श्रीजी की ब्रह्ममुहूर्त की सेवा अत्यंत प्रिय थी । अपना सेवा काल न होते हुए भी वह मंगला के कार्यों में हाथ बटाने के लिए सदा आगे रहते थे। एक बार किसी सेवायत ने यह देख कर उन पर क्रोध किया तथा हाथ भी उठाया। अगले दिन प्रातः गोस्वामी जी मंदिर की सोहनी सेवा करते मिले। बुहारी लगाते गोस्वामी जी से जब पूछा गया तोउन्होंने उत्तर में कहा कि मेरे से कोई अपराध हुआ है इस लिए श्रीजी ने अपनी सेवा में नहीं बुलाया । भारतीय काव्य में अकसर देखा जाता है कि काव्य के अंत में कवि का नाम आता है। वास्तव में श्री गोपालभट्ट गोस्वामी जी का गोपी नाम गुणमंजरी है। लीलाओं को देखते हुए जब आपने लेखन आरम्भ किया तब श्रीजी ने गोस्वामी जी को स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया कि "गुणमंजरी" नाम से काव्य लिखकर अर्पण करो और तुम्हारा नाम आज से गुणमंजरी दास होगा । इस के पश्चात् महात्माजी "गुणमंजरी दास गोस्वामी" के नाम से जाने गए गोस्वामी जी ने जीवन पर्यन्त केवल ब्रजभाषा में ही बोलते थे, कहते ये मेरे प्रिया प्रियतम की भाषा है। उन्होंने नित्य सेवा क्रम पर उन्होंने "नित्य सेवा मंजरी" नामक ग्रंथ लिखा । उनका श्री गोपालभट्ट शतकम् भी सुविख्यात है, उसमें प्रबोधानन्द जी की काव्यशैली की झलक है । अनेकानेक ब्रजभाषा की रचनाओं में से “श्री राधारमण पद मंजरी" सर्वश्रेष्ठ है जिसमें से प्रस्तुत संकलन चुना गया है। #BRAJPAD #BRAJPADHAVELISANGEET #BRAJPADRAAGSEVA #BRAJPADRAAG #BRAJPADRAAGGAYAN #BRAJPADRAAGGAYANSEVA #BRAJPADSANGEET #BRAJPADMUSIC #BRAJPADDEVOTION #BRAJPADMELODY #BRAJPADVRINDAVAN #BRAJPADBRAJ #BRAJPADRADHARAMAN #BRAJPADRADHARAMANGUNMANJARI #BRAJPADGOSWAMI #BRAJPADRADHARAMANGITA #BRAJPADSEVA #PADGAYAN #RAAGSEVA #SEVA #YOUTUBE #YOUTUBECHANNEL #barsana #havelisangeet #hitachaurasi #radhakelikunj #raagseva #raga #raag #vrindavan #brajpad