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यीशु मसीह (Yeshu Masih) एक प्रमुख धार्मिक व्यक्ति है जिन्होंने ईसाई धर्म की आधारभूत शखा, जिसे ईसाइयत (Christianity) कहा जाता है, की शुरुआत की थी। उन्हें ईसा मसीह (Jesus Christ) भी कहा जाता है। ईसाई धर्म के अनुसार, यीशु मसीह का जन्म बैठलेहेम (Bethlehem) में लगभग 2000 वर्ष पहले हुआ था। उनके माता-पिता का नाम जोसेफ और मरियम था। उनके जीवन का मुख्य सन्देश प्रेम, दया, सहानुभूति, और ईश्वर के प्रति श्रद्धा की बजाय था। वे बचपन से ही धार्मिक उपदेश देने और लोगों की मदद करने में रुचि रखते थे। यीशु के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव: जन्म: उनका जन्म में कुछ खास घटनाएँ हुईं, जैसे कि वे एक बिना जिंदा मांस के जन्मे थे (यह घटना उनके दिव्यता को दर्शाने के रूप में देखी जाती है)। उपदेश: यीशु ने उपदेश देते समय परिबल गाथाएँ (प्रिय गाथाएँ) और उपमाएँ (प्रिय उपमाएँ) का उपयोग किया ताकि उनके संदेश को समझने में आसानी हो। उनके उपदेश में प्रेम, क्षमा, और भगवान के प्रति विश्वास की महत्वपूर्ण बातें शामिल थीं। मीराबाईकल घटना: यीशु के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना मीराबाईकल पहाड़ी पर उनकी क्रूसीफिक्शन (दण्डीकरण) थी, जिसमें उनकी मृत्यु हुई। ईसाइयत में यह घटना उनके उद्देश्य की पूर्ति और मानवता के पापों की क्षमा की संकेतित करती है। उत्तराधिकारी: यीशु की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों ने माना कि उनकी मृत्यु केवल शरीरिक थी और वे आत्मा में जीवित हैं। उनके जीवन, मृत्यु और उत्तराधिकारी की मान्यता ईसाइयत के मूल आधार हैं। यीशु मसीह का उपदेश, उनकी जीवनी, और उनके कार्यों का प्रभाव आज भी लोगों के जीवन में दिखाई देता है और उन्हें आदर्शनीय व्यक्ति के रूप में माना जाता है। #jesussong #jesus #masihsong #yeshumasih #yeshumasihsong