У нас вы можете посмотреть бесплатно महर्षि गौतम कथा или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
महर्षि गौतम सप्तर्षियों में से एक वैदिक काल के एक महर्षि व मन्त्रद्रष्टा थे। ऋग्वेद में उनके नाम से अनेक सूक्त हैं। महर्षि गौतम जिन्हें 'अक्षपाद गौतम' के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है, 'न्याय दर्शन ' के प्रथम प्रवक्ता माने जाते हैं। इनकी पत्नी का नाम अहल्या और पुत्र तथा पुत्री के नाम क्रमश: शतानन्द व विजया थे। ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, शतपथ ब्राह्मण, धर्मशास्त्र, वृहदारण्यक, उपनिषद, कठोपनिषद, छान्दोग्योपनिषद्, देवीपुराण, शिवपुराण, महाभारत रामायण व उनके प्राचीन ग्रन्थों में गौतम की चर्चा है। परन्तु यह कहना कठिन है कि सभी गौतम एक है। अतः विभिन्न समय में विभिन्न गौतम हुए पर ये सब एक ही गौत्र प्रवर्तक महर्षि के गौतम गौत्रीय कहलाए। अर्थात् यह व्यक्ति का नाम नहीं होकर एक गौत्र का नाम है। स्मृतियों में भी अनेक गौतम दिखाई देते हैं। महर्षि गौतम के जीवन के बारे में विरोधाभास कथाऐं व सूत्र मिलते हैं। अधिकांश ग्रन्थों में गौतम को अंगिरा कुल का ऋषि बताया है। ब्रह्मा मानसपुत्र ऋषि #अंगिरा तथा उनकी पत्नी स्वधा के उत्थ्य नाम पुत्र हुआ। #उतथ्य तथा ममता से दीर्घतमस नामक पुत्र हुआ। #दीर्धतमस व प्रद्वेषी से महर्षि गौतम हुए व महर्षि गौतम के पुत्र शतानंद व चिरकाल हुए। चरित्रकोष में महर्षि गौतम का नाम शारद्वत गौतम बताया है। जो उचित प्रतीत होता है। क्योंकि ब्रह्मा ने अपनी मानस पुत्री #अहल्या को शारद्वत गौतम (महर्षि गौतम) के पास ही अमानत के रूप में रखा था। ऐसा उल्लेख कुछ प्राचीन ग्रन्थों व चरित्रकोष में है। यही शारद्वत गौतम, महर्षि गौतम के नाम से प्रसिद्ध हुए और आगे चलकर यह शारद्वत गौतम मेधा तिथि व अक्षपाद के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसी ऋषि ने न्यायशास्त्र की रचना की। महर्षि गौतम (शारद्वत) के पुत्र का नाम शतानंद था। यह महातेजस्वी पुत्र जनकपुर के विदेह वंशीय राजा जनक के पुरोहित तथा राम विवाह के मुख्य पुरोहित भी थे। कहते हैं कि गुर्जर प्रदेश के राजा गुर्जरकर्ण ने पुत्र प्राप्ति के लिए अपनी राजधानी पुष्कर में पुत्रेष्टि यज्ञ कराया जिससे उनके पुत्र हुआ। इस यज्ञ के आचार्य महर्षि शारद्वत गौतम ही थे। इसके 156 शिष्य थे इन्हीं शिष्यों की सन्तानें गुर्जरगौड ब्राह्मण समाज के आराध्य देव व ऋषि हैं। इनके पिता, दीर्धतमस बृहस्पति के श्राप के कारण जन्मांधथे। पुराणों के अनुसार दीर्धतमस गर्भावस्था में सारे वेदों, वेदांगों तथा शास्त्रो से पूर्णतया अवगत थे। विद्या के बल पर उनका विवाह सुन्दर प्रद्वेषी से हुआ। कहते हैं कि दीर्घतमस ने 100 वर्ष की आयु में केशव की उपासना की इससे उनको दृष्टि मिली। इसी कारण उन्हें गोतम (उत्तम नेत्र वाला) कहा गया। इसी गोतम के पुत्र गौतम कहलाया। ब्रह्मा की मानस पुत्री अहल्या ब्रह्मदेव की आद्या स्त्री सृष्टि थी। पांच सतियों व पंच कन्याओं में इसका प्रथम स्थान है। एक कथा के अनुसार यह मुद्गल व मेनका की पुत्री थी। इसके सौन्दर्य से मोहित होकर इन्द्र ने इसे पत्नी रूप में मांगा, परन्तु ब्रह्मा ने जितेन्द्रीय शारद्वत गौतम के पास अमानत के रूप में रखा। बाद में तप सिद्धि देखकर भार्या के रूप में दे दी गई। एक अन्य कथा के अनुसार देवताओं व राक्षसों से पृथ्वी का चक्कर काटकर प्रथम आने वाले को अहल्या देने का प्रस्ताव रखा। तब गौतम शारद्वत ने एक शिवलिंग की परिक्रमा करके सबसे पहले ब्रह्मा के पास पहुंचे। ब्रह्मा गौतम को प्रथम आया जानकर अहल्या दे दी। विवाह के बाद ऋषि अहल्या के साथ ब्रह्मगिरि पर्वत (नासिक के पास) पर रहने लगे। गर्ग संहिता, ब्रह्मपुराण व रामायण में इन्द्र एवं अहल्या के गंधर्विय सम्बन्ध की चर्चा है। अहल्या की यह कथा वस्तुतः एक रूपक है। वेदों में इन्द्र के लिए एक विशेष प्रयुक्त हुआ है-अहल्यायै जारः इसी विशेषण से यह कथा गढ़ी गई थी। इन्द्र सूर्य का प्रतीक है और अहल्या रात्रि तथा गौतम चन्द्र का प्रतीक है। इन्द्र रूपी सूर्य से अहल्या रूपी रात्रि का घर्षण हुआ। यह एक निसर्ग दृश्य है। शतपथ ब्राह्मण व जैमिनी ब्राह्मण में उपलब्ध इस आख्यान का यही अर्थ है। शब्दार्थ परिजात कोष में बताया है कि अक्षपाद एक विख्यात हिन्दू दार्शनिक हुए, इनका दूसरा नाम गौतम है, जिन्होंने न्यायशास्त्र की रचना की स्कन्ध पुराण के अनुसार अहल्या पति गौतम का नाम ही अक्षपाद है। #maharishigautam @ReetKnowledgeTV