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1. The Final Years: Uncovering the Unparalleled Spiritual Ecstasy of Sri Caitanya 2. Divine Ultimatum: Why a Saint Forced His Own Follower to Commit Suicide to Prove a Principle 3. From Street Dog to Spiritual Kingdom: The Shocking Power of the Holy Name Revealed Playlist: • Shri Krishna Chaitanya Mahaprabhuji 1. सिर्फ 3 रातों में बदल गई वेश्या की जिंदगी! हरिदास ठाकुर का चमत्कार। 2. रूप गोस्वामी को महाप्रभु चैतन्य ने दी थी यह गोपनीय 'भक्ति शक्ति'। 3. श्रीमहाप्रभु की कृपा: एक कुत्ता कैसे 'राम कृष्ण हरि' जपकर वैकुंठ गया? #vrindavan #barsana #Nandgaon #Goverdhan #Nathdwara #Jagannathpuri #gokul #rawal #rameshvaram #badrinath #kedarnath #dwarka #tirupati #Nilanchal #navdeep #BankeBihari #RadhaVallabh #RadhaRaman #Govinddev #Giriraj #sanatan #advait #Gaudiya #HareKrishna #RadheRadhe #Mathura #Braj #RadheKrishna #iskcon श्री महाप्रभु जी के अनुयायियों के व्यवहार और उनके सकारात्मक परिणामों पर आधारित कई प्रेरणादायक घटनाएँ स्रोतों में वर्णित हैं। ये घटनाएँ दिखाती हैं कि महाप्रभु जी की कृपा से और शुद्ध भक्तों के प्रभाव से किस प्रकार कल्याणकारी परिणाम प्राप्त होते हैं: *१. श्रील रूप गोस्वामी का सशक्तीकरण और साहित्यिक योगदान* श्रील रूप गोस्वामी महाप्रभु जी के परम गोपनीय अनुयायियों में से थे। जब वे प्रयाग में महाप्रभु से मिले, तो प्रभु ने उन्हें योग्य पात्र जानकर उन पर विशेष कृपा की। महाप्रभु जी ने रूप गोस्वामी को अपनी transcendental शक्ति से सशक्त किया ताकि वे भक्ति रस का वर्णन कर सकें। इस शक्ति के प्रभाव से ही रूप गोस्वामी महाप्रभु जी के आंतरिक और गोपनीय भावों को ठीक उसी तरह समझ पाए, जैसा कि उन्होंने रथ यात्रा के दौरान रचे गए अपने एक श्लोक (प्रियाः सो ऽयम्) में दर्शाया था, जिससे महाप्रभु अत्यंत प्रसन्न हुए। इस सशक्तिकरण का सकारात्मक परिणाम यह हुआ कि रूप गोस्वामी ने संसार के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण transcendental साहित्य (जैसे 'विदग्ध माधव' और 'ललित माधव') की रचना की, जिनमें भक्ति के मधुर रसों का विस्तृत वर्णन है। महाप्रभु जी ने रूप गोस्वामी को आदेश दिया कि वे वृंदावन जाकर इन रसों का निरूपण करें और सभी लुप्त तीर्थ स्थानों का प्रचार करें। *२. शिवानंद सेन द्वारा कुत्ते का उद्धार* महाप्रभु जी के एक भक्त शिवानंद सेन ने अपनी जगन्नाथ पुरी यात्रा के दौरान एक कुत्ते का अपनी पार्टी के साथ अत्यंत प्रेम और दयालुता से पालन-पोषण किया। जब एक ओडिया नाविक कुत्ते को नाव पर चढ़ने नहीं दे रहा था, तो शिवानंद सेन ने दस मुद्राएँ देकर उसे नदी पार करवाया। एक बार जब वह कुत्ता खो गया, तो शिवानंद सेन इतने दुखी हुए कि उन्होंने उपवास किया। शिवानंद सेन के इस वैष्णव प्रेम के कारण, उस कुत्ते पर श्री चैतन्य महाप्रभु की कृपा हुई। प्रभु ने स्वयं उसे नारियल की गिरी के अवशेष दिए और उससे "राम, कृष्ण, हरि" का नाम जपने को कहा। कुत्ते ने बार-बार "कृष्ण, कृष्ण" का उच्चारण किया। इस घटना का सकारात्मक परिणाम यह हुआ कि कुत्ता तुरंत मुक्त हो गया। उसने अपनी spiritual देह प्राप्त की और spiritual लोक वैकुंठ चला गया। यह घटना दर्शाती है कि एक वैष्णव भक्त का आश्रय प्राप्त करने का कितना महान spiritual लाभ होता है। *३. नृसिम्हानंद ब्रह्मचारी की भक्ति के कारण प्रभु का आगमन* प्रद्युम्न ब्रह्मचारी, जिन्हें नृसिम्हानंद ब्रह्मचारी के नाम से जाना जाता था, अपनी तीव्र भक्ति और प्रभाव के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार जब उनके साथी भक्त इस बात से दुखी थे कि महाप्रभु जी बंगाल नहीं आए, जैसा कि उन्होंने वादा किया था, तो नृसिम्हानंद ने दो दिन तक गहन ध्यान किया और संकल्प लिया कि वे महाप्रभु को बुलाएँगे। उनके ध्यान में महाप्रभु जी प्रकट हुए और उनके द्वारा बनाए गए जगन्नाथ, नृसिंह और स्वयं अपने लिए रखे गए सभी भोगों को खा लिया। यह देखकर नृसिम्हानंद आनंद से अभिभूत हो गए। महाप्रभु जी ने यह दिखाकर अपने भक्त की इच्छा पूरी की कि वे (महाप्रभु), भगवान जगन्नाथ और भगवान नृसिंहदेव में कोई भेद नहीं है। इस प्रकार, नृसिम्हानंद की अनन्य भक्ति ने प्रभु को व्यक्तिगत रूप से प्रकट होने के लिए विवश कर दिया, जिससे भक्त का हृदय संतुष्ट हुआ और प्रभु की अविश्वसनीय शक्ति का प्रदर्शन हुआ। *४. हरिदास ठाकुर द्वारा वैश्या का आध्यात्मिक उद्धार* नामचार्य हरिदास ठाकुर का चरित्र अत्यंत शुद्ध था। जब रामचन्द्र खान द्वारा उन्हें भ्रष्ट करने के लिए एक वैश्या को भेजा गया, तो हरिदास ठाकुर ने अपनी नियम (प्रतिदिन तीन लाख नाम जपने) का पालन करते हुए उसे अपने पास बैठा लिया और उससे संकीर्तन सुनने को कहा। लगातार तीन रातों तक Hari नाम का श्रवण करने और हरिदास ठाकुर की संगति मात्र से वैश्या का मन शुद्ध हो गया। उसने अपने पापों को स्वीकार किया, हरिदास ठाकुर के चरणों में गिरकर उपदेश माँगा और अपनी सांसारिक संपत्ति ब्राह्मणों को दान कर दी। उसने वैष्णव सिद्धांतों के अनुसार अपना सिर मुंडवाया, एक वस्त्र धारण किया और प्रतिदिन तीन लाख हरि नाम जपते हुए तथा तुलसी की सेवा करते हुए कठोर भक्तिमय जीवन जीना शुरू कर दिया। वह एक अत्यंत प्रसिद्ध और उन्नत वैष्णवी बन गई, जिसके दर्शन के लिए बड़े-बड़े वैष्णव भी आने लगे। इस प्रकार, हरिदास ठाकुर की कृपा और holy नाम की शक्ति से एक पतित आत्मा का पूर्ण spiritual उद्धार हुआ।