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जैन धर्म का इतिहास | History of Jainism | Jain Dharm | Jainism History 11 месяцев назад


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जैन धर्म का इतिहास | History of Jainism | Jain Dharm | Jainism History

जैन धर्म का इतिहास | History of Jainism | Jain Dharm | Jainism History अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। ‘जैन’ उन्हें कहते हैं, जो ‘जिन’ के अनुयायी हों। ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से। ‘जि’ यानी जीतना। ‘जिन’ अर्थात् जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं ‘जिन’। जैन धर्म अर्थात् ‘जिन’ भगवान का धर्म। वस्त्र-हीन बदन, शुद्ध शाकाहारी भोजन और निर्मल वाणी एक जैन-अनुयायी की पहली पहचान है। यहाँ तक कि जैन धर्म के अन्य लोग भी शुद्ध शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करते हैं तथा अपने धर्म के प्रति बड़े सचेत रहते हैं। जैन धर्म का इतिहास: दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म. को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव का उल्लेख मिलता है। जो की भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। उन्हे जैन धर्म की संस्थापक माना जाता है। वैदिक साहित्य में जिन यतियों और व्रात्यों का उल्लेख मिलता है वे ब्राह्मण परंपरा के न होकर श्रमण परंपरा के ही थे। मनुस्मृति में लिच्छवि, नाथ, मल्ल आदि क्षत्रियों को व्रात्यों में गिना है। जैन धर्म का मूल भारत की प्राचीन परंपराओं में रहा है। आर्यों के काल में ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा का वर्णन भी मिलता है। महाभारतकाल में इस धर्म के प्रमुख नेमिनाथ थे। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। ‘जैन’ उन्हें कहते हैं, जो ‘जिन’ के अनुयायी हों। ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से। ‘जि’ यानी जीतना। ‘जिन’ अर्थात् जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं ‘जिन’। जैन धर्म अर्थात् ‘जिन’ भगवान का धर्म। वस्त्र-हीन बदन, शुद्ध शाकाहारी भोजन और निर्मल वाणी एक जैन-अनुयायी की पहली पहचान है। यहाँ तक कि जैन धर्म के अन्य लोग भी शुद्ध शाकाहारी भोजन ही ग्रहण करते हैं तथा अपने धर्म के प्रति बड़े सचेत रहते हैं। जैन धर्म का इतिहास: दुनिया के सबसे प्राचीन धर्म जैन धर्म. को श्रमणों का धर्म कहा जाता है। वेदों में प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव का उल्लेख मिलता है। जो की भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। उन्हे जैन धर्म की संस्थापक माना जाता है। वैदिक साहित्य में जिन यतियों और व्रात्यों का उल्लेख मिलता है वे ब्राह्मण परंपरा के न होकर श्रमण परंपरा के ही थे। मनुस्मृति में लिच्छवि, नाथ, मल्ल आदि क्षत्रियों को व्रात्यों में गिना है। जैन धर्म का मूल भारत की प्राचीन परंपराओं में रहा है। आर्यों के काल में ऋषभदेव और अरिष्टनेमि को लेकर जैन धर्म की परंपरा का वर्णन भी मिलता है। महाभारतकाल में इस धर्म के प्रमुख नेमिनाथ थे। जैन धर्म का इतिहास History of Jainism jain jain dharm jain bhajan jain muni jain dharm drishti ias jain dharm by khan sir jain dharm history in hindi jain dharm full history in hindi jain dharm ki kahaniyan jain dharm ke bare mein jain dharm kya hai jain dharm story jain religion jain religion explained jain religion history jain religion history in hindi jain dharm ka itihas jainism history jainism and buddhism history jain and hinduism dark history ******************************************************* 🔻 Music Credit: YouTube Audio Library Track title: Mirage Artist Name: Chris Haugen 🔺 ******************************************************** भारत की सबसे प्राचीन और पुरानी मस्जिद - India's Oldest and Ancient Mosques    • भारत की सबसे प्राचीन और पुरानी मस्जिद...   THE TRUTHFUL WOMEN बीबी फातिमा (र.) की पूरी कहानी    • THE TRUTHFUL WOMEN बीबी फातिमा (र.) क...   ईसा मसीह कौन है ? | Jesus Christ Story in Hindi Urdu | Who is Jesus Christ?    • ईसा मसीह कौन है ? | Jesus Christ Stor...   यहूदी धर्म की 6 बड़ी बातें - यहूदी धर्म का इतिहास | 6 big things of Judaism    • यहूदी धर्म की 6 बड़ी बातें - यहूदी धर...   किस भगवान की पूजा करते हैं यहूदी ? | यहूदी धर्म क्या है | यहूदी धर्म का इतिहास    • किस भगवान की पूजा करते हैं यहूदी ? | ...   ************************************************************** Follow us on Instagram:   / asproduction.in   ************************************************************** Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non- profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.

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