У нас вы можете посмотреть бесплатно मेवाड़ी रत्न Song | Live Performance By Sanjay Mukundgarh | Rajasthan Nagrik Parishad Indore или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
"मेवाड़ी रत्न Song | Live Performance By Sanjay Mukundgarh | Rajasthan Nagrik Parishad Indore" राजस्थानी संस्कृति और संगीत प्रेमियों के लिए खास प्रस्तुति! देखिए Sanjay Mukundgarh जी का शानदार 'मेवाड़ी रत्न' सॉन्ग लाइव परफॉर्मेंस, Rajasthan Nagrik Parishad, Indore के आयोजन में। इस वीडियो में: पारंपरिक राजस्थानी संगीत की आत्मा Sanjay Mukundgarh की दमदार आवाज़ लाइव परफॉर्मेंस की अनूठी झलक अगर आपको राजस्थानी गीत पसंद हैं तो इस प्रस्तुति को मिस न करें। वीडियो को Like, Share और Subscribe ज़रूर करें ताकि और भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आप तक पहुँचती रहें! #MewariRatna #SanjayMukundgarh #RajasthaniSong #LivePerformance #IndoreEvents #RajasthanCulture For Bookings & Inquiries: Contact No: +9197993 81808 Instagram: sanjay_mukundgarh Facebook: facebook.com/sanjaymukundgarh Song : मेवाड़ी रत्न ♪ Singer : SANJAY MUKUNDGARH ♪ Lyrics : kanhaiya lal sethiya ♪ Music Arrangements : RAVI FULERA ♪ Mix-Master : RAVI FULERA ♪ Recording :RAVI FULERA ♪ Editor : RAVIRAJ ♪ MANAGING BY RAMNIWAS DEWASI ♪ Music Label : SANJAY MUKUNDGARH Lyrics ( गीत ) : हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो मेवाड़ी मान बचावण नै, हूं पाछ नहीं राखी रण में बैर्यां रो खून बहावान ने, जद याद करूँ हळदीघाटी नैणां में रगत उतर आवै, सुख दुख रो साथी चेतकड़ो सूती सी हूक जगा ज्यावै, पण आज बिलखतो देखूं हूँ जद राज कंवर नै रोटी नै, तो क्षात्र-धरम नै भूलूं हूँ भूलूं हिंदवाणी चोटी नै मैं’लां में छप्पन भोग जका मनवार बिनां करता कोनी, सोनै री थाल्यां नीलम रै बाजोट बिनां धरता कोनी, अै हाय जका करता पगल्या फूलां री कंवळी सेजां पर, बै आज रुळै भूखा तिसिया हिंदवाणै सूरज रा टाबर, आ सोच हुई दो टूक तड़क राणा री भीम बजर छाती, आंख्यां में आंसू भर बोल्या मैं लिखस्यूं अकबर नै पाती, पण लिखूं कियां जद देखै है आडावळ ऊंचो हियो लियां, चितौड़ खड्यो है मगरां में विकराळ भूत सी लियां छियां, मैं झुकूं कियां ? है आण मनैं कुळ रा केसरिया बानां री, मैं बुझूं कियां ? हूं सेस लपट आजादी रै परवानां री, पण फेर अमर री सुण बुसक्यां राणा रो हिवड़ो भर आयो, मैं मानूं हूँ दिल्लीस तनैं समराट् सनेशो कैवायो। राणा रो कागद बांच हुयो अकबर रो’ सपनूं सो सांचो, पण नैण कर्यो बिसवास नहीं जद बांच नै फिर बांच्यो, कै आज हिंमाळो पिघळ बह्यो कै आज हुयो सूरज सीतळ, कै आज सेस रो सिर डोल्यो आ सोच हुयो समराट् विकळ, बस दूत इसारो पा भाज्यो पीथळ नै तुरत बुलावण नै, किरणां रो पीथळ आ पूग्यो ओ सांचो भरम मिटावण नै, बीं वीर बांकुड़ै पीथळ नै रजपूती गौरव भारी हो, बो क्षात्र धरम रो नेमी हो राणा रो प्रेम पुजारी हो, बैर्यां रै मन रो कांटो हो बीकाणूँ पूत खरारो हो, राठौड़ रणां में रातो हो बस सागी तेज दुधारो हो, आ बात पातस्या जाणै हो घावां पर लूण लगावण नै, पीथळ नै तुरत बु पीथळ नै राणा लिख भेज्यो आ बात कठै तक गिणां सही ? पीथळ रा आखर पढ़तां ही राणा री आँख्यां लाल हुई, धिक्कार मनै हूँ कायर हूँ नाहर री एक दकाल हुई, हूँ भूख मरूं हूँ प्यास मरूं मेवाड़ धरा आजाद रवै हूँ घोर उजाड़ां में भटकूं पण मन में मां री याद रवै, हूँ रजपूतण रो जायो हूं रजपूती करज चुकाऊंला, ओ सीस पड़ै पण पाघ नही दिल्ली रो मान झुकाऊंला, पीथळ के खिमता बादल री जो रोकै सूर उगाळी नै, सिंघां री हाथळ सह लेवै बा कूख मिली कद स्याळी नै? धरती रो पाणी पिवै इसी चातग री चूंच बणी कोनी, कूकर री जूणां जिवै इसी हाथी री बात सुणी कोनी, आं हाथां में तलवार थकां कुण रांड़ कवै है रजपूती ? म्यानां रै बदळै बैर्यां री छात्याँ में रैवैली सूती, मेवाड़ धधकतो अंगारो आंध्यां में चमचम चमकै लो, कड़खै री उठती तानां पर पग पग पर खांडो खड़कैलो, राखो थे मूंछ्याँ ऐंठ्योड़ी लोही री नदी बहा द्यूंला, हूँ अथक लडूंला अकबर स्यूँ उजड्यो मेवाड़ बसा द्यूंला, जद राणा रो संदेश गयो पीथळ री छाती दूणी ही, हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनियां सूनी ही पीथळ नै राणा लिख भेज्यो आ बात कठै तक गिणां सही ? पीथळ रा आखर पढ़तां ही राणा री आँख्यां लाल हुई, धिक्कार मनै हूँ कायर हूँ नाहर री एक दकाल हुई, हूँ भूख मरूं हूँ प्यास मरूं मेवाड़ धरा आजाद रवै हूँ घोर उजाड़ां में भटकूं पण मन में मां री याद रवै, हूँ रजपूतण रो जायो हूं रजपूती करज चुकाऊंला, ओ सीस पड़ै पण पाघ नही दिल्ली रो मान झुकाऊंला, पीथळ के खिमता बादल री जो रोकै सूर उगाळी नै, सिंघां री हाथळ सह लेवै बा कूख मिली कद स्याळी नै? धरती रो पाणी पिवै इसी चातग री चूंच बणी कोनी, कूकर री जूणां जिवै इसी हाथी री बात सुणी कोनी, आं हाथां में तलवार थकां कुण रांड़ कवै है रजपूती ? म्यानां रै बदळै बैर्यां री छात्याँ में रैवैली सूती, मेवाड़ धधकतो अंगारो आंध्यां में चमचम चमकै लो, कड़खै री उठती तानां पर पग पग पर खांडो खड़कैलो, राखो थे मूंछ्याँ ऐंठ्योड़ी लोही री नदी बहा द्यूंला, हूँ अथक लडूंला अकबर स्यूँ उजड्यो मेवाड़ बसा द्यूंला, जद राणा रो संदेश गयो पीथळ री छाती दूणी ही, हिंदवाणों सूरज चमकै हो अकबर री दुनियां सूनी ही जय जय महराणा जय जय मेवाड़ जय जय राजस्थान