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#गोंडवाना_एक_सूंदर_सपना :_ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 350 (क) में यह अभिवचन दिया गया है कि जिस समुदाय की जो मातृभाषा है उसी के माध्यम से उस समुदाय के बालबच्चों को कम से कम प्राथमिक शिक्षा प्रदान कियी जाएगी। अबतक के सभी शासन कर्ताओं के #भूल जाने से गोंडवाना के करोडो गोड़ी गणो द्वारा बोली जाने वाली #गोंडी_भाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था नहीं की गयी ना ही उनकी भाषा के आधार पर #गोंडवाना_राज्य का गठन किया गया। उलटे भाषावार प्रांत रचना में उनको 6 + राज्यों में बिखेर दिया । ★■★◆★●★◆*■ "सी.पी.अँड बेरार या राज्याचे भाषावार प्रांत पुनर्गठन करतांना सहा राज्य / प्रदेशात विभाजन करून गोंडी बहुल भाषिक प्रदेश अल्पभाषिक करून त्यांचेवर इतर भाषिक संस्कृतीची गुलामगिरी थोपविण्यात आली.सी.पी.अँड बेरार प्रांतात आताच्या #महाराष्ट्रातील नागपूर,वर्धा,भंडारा(गोंदिया),अमरावती,यवतमाळ,चंद्रपूर (गडचिरोली) व अकोला (वाशिम),#मध्यप्रदेशातील सिवनी,बालाघाट,छिंदवाडा,जबलपूर,बैतुल,सागर,दमोह,सीधी,शहडोल,उमरिया,अनुपपूर,नरसिंहपूर,मंडला,डिंडोरी,देवास व सिहोर,#छत्तीसगढ मधिल सरगुजा,रायपूर,बिलासपूर,दुर्ग,राजनांदगाव,व बस्तर,#आंध्रप्रदेशातील आदिलाबाद,वारंगल,खम्माम,पूर्व गोदावरी व पश्चिम गोदावरी,#ओडिसातील कोरापूट,बोलांगीर,कालाहांडी,सुंदरगढ,नवागढ,गज्जाम,संभलपूर व केउन्झर तसेच #उत्तरप्रदेशातील मिर्जापूर,बांदा,हमीरपूर व सोनभद्र या जिल्ह्यांचा समावेश होता.विभाजनामुळे महाराष्ट्रात मराठी भाषिक संस्कृतीची,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ व उत्तरप्रदेशात हिंदी भाषिक संस्कृतीची,आंध्रप्रदेशात तेलगु भाषिक संस्कृतीची आणि ओडिसामध्ये ओडिया भाषिक संस्कृतीची गुलामगिरी लादण्यात आली. भाषावार प्रांत रचनेत हेतुपुरस्सर गोंडी गणांना अल्पभाषिक ठरवून स्वतंत्र #गोंडवनाचा हक्क डावलण्यात आला असे प्रथम दर्शनी वाटते. #गोंडी_गणांना_स्वतंत्र_विदर्भ_नको तर पूर्ववर्ती सी.प.अँड बेरार प्रदेशात असलेल्या #गोंडीबहूल_भाषिक_जिल्ह्यासह_स्वतंत्र #गोंडवाना_पाहिजे अशी मागणी करावी. #विचारार्थ.... गोंडवाना राज्य की मांग से जुडी हुई 8 रोचक जानकारियां ( ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ) 1. एक समय सेंट्रल प्रोविंस और बेरार के साथ (अभी का) उत्तर तेलंगाना गोंडवाना कहलाता था, इन क्षेत्रों में प्रमुख रूप से 4 गोंड राज्य थे, गढ़ मंडला (1300 ई से 1749 ई), देवगढ़ (1590 ई से 1796 ई), चांदा (1200 ई से 1751 ई) और खेरला (1500 ई से 1600ई) (स्रोत विकिपीडिया) 2. गोंडवाना राज्य की मांग तेलंगाना आन्दोलन के समय से ही शुरू हो गई थी, साल 1941 में अदिलाबाद के कुरमा भीमू पहले शक्स थे जिन्होंने गोंडवाना राज्य की मांग की थी, ये आन्दोलन अगले दो दशक तक लगातार चलती रही और 1962-63 में अपने चरम पर थी, लेकिन विभिन्न राज्यों के गोंडो के अलग-थलग पड़ जाने से आन्दोलन कमजोर पड़ गया और लगभग समाप्त हो गई. 3. . आदिवासियों का शोषण, असुरक्षा का भाव आन्दोलन की समाप्ति के मुख्य कारण रहे जो पचासवें दशक के आखिर और शुरूआती साठवें दशक के समय हुये. अगस्त 1959 में कंगला मांझी ने भारतीय गोंडवाना संघ का गठन किया और गोंडवाना राज्य की मांग की, इसी समय छत्तीसगढ़ के महाराजा कोवा ने भी गोंडवाना राज्य की मांग की. 4. साल 1956 में जब राज्यों का पुनर्गठन हुआ तो सरकार ने गोंडवाना राज्य के मांग को ठुकरा दिया. पानाबरस के राजा श्यामलाल शाह और राजनांदगांव (मध्यप्रदेश) के सासंद ने जब प्रधानमंत्री नेहरू से गोंडवाना राज्य की मांग उठाई तो प्रधानमंत्री नेहरू ने इसे सिरे से नकार दिया, इस पर राजा श्यामलाल शाह ने अपना इस्तीफा नेहरू को सौंप दिया. 5. 19 मई 1963 को गोंडवाना आदिवासी सेवा मंडल के अध्यक्ष नारायण सिंह उइके ने महाराष्ट्र के विदर्भ से सटे जिलों और छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों को मिलाकर फिर गोंडवाना राज्य की मांग दोहराई. 6. इसके बाद कुछ दशक तक छोटे छोटे आन्दोलन होते रहे फिर 1991 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का संस्थापन हुआ, जिसका प्रमुख लक्ष्य गोंडवाना राज्य के लिए संघर्ष करना और उन क्षेत्रों को मिलाकर गोंडवाना राज्य बनाना है जो कभी गोंडो के अधीन थे और गोंड राजा वहा के शासक थे. केन्द्र में पिछले साठ दशक से भी ज्यादा शासक जातियों के होने, इनके द्वारा गोंडो की उपेक्षा और सहायता ना करने के कारण ही गोंडवाना राज्य का सपना अभी तक पूरा नही हो पाया है. 7. भाषायी आधार और गोंडी भाषा के संघटित ना होने के कारण अभी तक गोंडवाना राज्य के मांग को ठुकराने का कारण बताया गया,,, हालांकि गोंडी विद्वान डॉ मोती रावण कंगाली इस कारण को बेतुका बताते हैं, क्योंकि मध्यप्रदेश राज्य का गठन किसी भाषायी आधार पर नही हुआ.. इसलिए गोंडवाना राज्य की मांग ना सिर्फ भाषायी आधार पर बल्कि गोंडो के हजारों सालों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक इतिहास के कारण भी हो रही है,, गोंडवाना राज्य की मांग इसलिए भी हो रही है। जय सेवा Follow facebook group of gondi language / 1656162764672129 Follow Telegram group of gondi language Gondi Language LearnThrough G.K. You can learn gondi language through gk, news awareness .. https://t.me/gondilanguage