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#झारखंड_की_कृषि झारखंड की कृषि मुख्यतः वर्षा आधारित (Rainfed Agriculture) है। प्रदेश में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का बड़ा हिस्सा पहाड़ी एवं वन क्षेत्रों से ढका है, इसलिए खेती योग्य भूमि सीमित है। यहाँ के किसान खारी मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी और बलुई मिट्टी में फसलें उगाते हैं। #मुख्य_फसलें झारखंड में प्रमुख रूप से धान सबसे महत्वपूर्ण फसल है। इसके अलावा मक्का, गेहूं, दालें (अरहर, मसूर, चना), तिलहन (सरसों, सूरजमुखी), दलहन, मोटे अनाज भी उगाए जाते हैं। नगदी फसलों में गन्ना, आलू, सब्जियाँ, टमाटर, प्याज, लहसुन और मसाला फसलें शामिल हैं। #कृषि_की_विशेषताएँ यहाँ के अधिकांश किसान लघु एवं सीमांत किसान हैं। सिंचाई सुविधाएँ कम होने के कारण खेती का बड़ा हिस्सा मानसून पर निर्भर रहता है। कृषि में पारंपरिक खेती पद्धति का अधिक उपयोग होता है। #फसल_चक्र_और_सीजन झारखंड में प्रमुख रूप से खरीफ और रबी दोनों सीजन की फसलें उगाई जाती हैं। खरीफ में धान, मक्का और दालें, जबकि रबी में गेहूँ, चना, मसूर और सरसों मुख्य रूप से बोई जाती हैं। #फल_और_उद्यानिकी राज्य में आम, कटहल, केला, अमरूद, पपीता जैसी फलदार वृक्षों की खेती भी की जाती है। हजारीबाग, रांची और धनबाद क्षेत्र में सब्जियों की खेती प्रमुख है। #कृषि_की_समस्याएँ झारखंड में कृषि को कम सिंचाई सुविधा, मिट्टी का कटाव, वर्षा की अनियमितता, आधुनिक तकनीक की कमी और कृषि से संबंधित जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। #सरकारी_योजनाएँ कृषि विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा KCET, किसान क्रेडिट कार्ड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मत्स्य एवं पशुपालन योजनाएँ लागू की जाती हैं। #jssc #jpsc #jssc cgl