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ये है उत्तराखंड का खूबसूरत पहाड़ी नगर बागेश्वर। बागेश्वर पवित्र सरयू व गोमती नदी के संगम पर स्थित है. इस नगर का संबंध भगवान शिव से है. पुराणों के अनुसार, यह नगर महादेव के कहने पर उनके प्रिय गण चंडीश द्वारा बसाया गया था. यह पूर्व और पश्चिम में भीलेश्वर और नीलेश्वर पहाड़ियों से, तो उत्तर में सूरज कुंड और दक्षिण में अग्नि कुंड से घिरा हुआ है. बाबा बागनाथ की नगरी का महान धार्मिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व है। बागेश्वर नगर के बीचो-बीच स्थित बागनाथ जी का एक पौराणिक मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। चंद वंश के राजाओं का बागनाथ मंदिर से अटूट रिश्ता रहा है। वैसे तो बागनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में हुआ था। कत्यूरी राजवंश के शासक भूदेव ने बागनाथ मंदिर की आधारशिला रखी थी।उसके बाद मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण सोलहवीं शताब्दी में चंद वंश के राजा लक्ष्मी चंद ने कराया था। पहले इस नगर का मूल नाम व्याघ्रेश्वर था, जो बाद में धीरे-धीरे अपभ्रंश होकर बागेश्वर हो गया। यानी बागनाथ जी के नाम से ही बागेश्वर नगर का नाम पड़ा। बागनाथ मंदिर के पास ही सरयू और गोमती नदी का संगम है। पर्वतराज हिमालय की गोद में गोमती-सरयू नदी और विलुप्त सरस्वती के संगम पर स्थित स्थल मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि के नाम से जाना जाता है। तो बागेश्वर नगर का क्या है पौराणिक इतिहास क्या है इस नगर की बसावट का इतिहास ,और क्यों यह हमारे देश के सबसे खास प्राचीन नगरों में से एक माना जाता है। इन सब की जानकारी मैंने लगभग 3 महीने की मेहनत से नगर के आसपास घूम घूम कर और नगर के कुछ विद्वान गणमान्य लोगों से बातचीत करके जुटाने की कोशिश की है। उम्मीद करता हूं यह वीडियो आपको जरूर पसंद आएगी । इसके बारे में कोई शिकायत या सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर साझा करें। धन्यवाद🌹 C.S Pandey A FELLOW TRAVELLER