Русские видео

Сейчас в тренде

Иностранные видео


Скачать с ютуб Chidghanaika Gnyana Mangala - चिद्घनैक ज्ञान मंगला - by Shri Martand Manik Prabhu Maharaj в хорошем качестве

Chidghanaika Gnyana Mangala - चिद्घनैक ज्ञान मंगला - by Shri Martand Manik Prabhu Maharaj 4 года назад


Если кнопки скачивания не загрузились НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru



Chidghanaika Gnyana Mangala - चिद्घनैक ज्ञान मंगला - by Shri Martand Manik Prabhu Maharaj

Chidghanaika Gnyana Mangala - चिद्घनैक ज्ञान मंगला - by Shri Martand Manik Prabhu Maharaj sung by Anandraj Manik Prabhu अर्थ: हे चिद्घनैक (परब्रह्मरूप), हे ज्ञानस्वरूप, हे मंगलमय, मनोहरनामवाले माणिक, अथवा श्रीमनोहरप्रभु का रूप धरनेवाले माणिक, सत्यप्रिय, विश्व का मंगल करनेवाले प्रभु तुम्हारी जय हो॥ध्रु.॥ अपनी माया से इस मनोहर जगत् की रचना करनेवाले, अथवा जगत् की रचना करनेवाले हे मनोहर, हे माधव (विष्णु), हे कामदेव का गर्व हरण करनेवाले (शंकर), मुनियों के मन के सरोवर में ‘हंस:सोऽहं’ इस अजपा गायत्री के मंत्रजप के रूप में विहार करनेवाले हंस, सदासर्वदा मुक्त, महामोह (मैं जीव हूँ, यह भाव) के नाशक, पंचमहाभूतों के रूप में मूर्तरूप धारण करनेवाले, मौनस्वरूप एवं सभी मंगलों के आद्यकारण, हे मनोहरनामवाले माणिक, तुम्हारी जय हो॥1॥ नमन करनेवाले भक्तों का पोषण करनेवाले (‘योगक्षेमं वहाम्यहम्’ कहनेवाले) नारायण, नृसिंहरूप धर दुष्टों का निर्दालन करनेवाले, जो वेदों का भूषण है, नाना नामरूपों की रचनाकर उनमें स्वयं ही नटित होनेवाले, नंद के भाग्य (श्रीकृष्ण), निजानंदरूप, निजरूप (आत्मा) में संपूर्ण विश्व को आश्रय देनेवाले एवं नित्य-निर्मल, मनोहरनामवाले माणिक, तुम्हारी जय हो॥2॥ हरि (विष्णु) एवं हर (शंकर) इन दोनों के ईश एवं हरि-हर इन दोनों द्वारा वंदित, हिमालय पर्वत के स्वामी - शंकर, आनंद प्रदान करनेवाले, संतप्त मन को हिम की भाँति शीतल कर देनेवाले, निर्विकल्प समाधि में बर्फ की भाँति जमा देनेवाले, हा हा नामक गंधर्वों द्वारा स्तवित, सदैव मुस्कुरानेवाले, सुवर्ण के समान कांतिमय वर्णवाले, समुद्रमंथन से निकलनेवाले हालाहल नामक विष का प्राशन करनेवाले भगवान् शिव, होम में दी जानेवाली आहुति का भक्षण करनेवाले वैश्वानर अग्निदेव, स्वयं कलियुग के मल से रहित एवं भक्तों के कलि-मल का हरण करनेवाले, मनोहरनामवाले माणिक, तुम्हारी जय हो॥3॥ रासक्रीड़ा जिसे प्रिय है ऐसे श्रीकृष्ण, रविकुल के पुरुषोत्तम श्रीराम, परशुराम, लक्ष्मी के पति विष्णु, हे उत्तमोत्तम (परब्रह्म), अपनी अखंड किरणरूप माया से सृष्टि में द्वैतभाव की रचना करवानेवाले, जिसके सत्स्वरूप के विषय में अनेक वितंडवाद किए जाते हैं ऐसे स्वरूपवाले, ब्रह्मांडरूप, ज्ञान के प्रचंड मार्तंड (सूर्य), अत्यंत उज्ज्वल रूपवाले मनोहरनामवाले माणिक, तुम्हारी जय हो॥4॥

Comments