У нас вы можете посмотреть бесплатно Kaifi Azmi: Not just a Shayar. (BBC Hindi) или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
साल था 1947. भारत की आज़ादी का साल. हैदराबाद के एक मुशाएरे में जब कैफ़ी आज़मी अपनी एक नज़्म सुना रहे थे तो उसे सुनाने के उनके अंदाज़ ने एक हसीना को किसी और के साथ अपनी मंगनी तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था. उस हसीना ने उस रोज़ सफ़ेद हैंडलूम का कुर्ता, सफ़ेद सलवार और इंद्रधनुषी रंग का दुपट्टा पहन रखा था. लंबे क़द के दुबले पतले, पुरकशिश नौजवान अतहर अली रिज़वी उर्फ़ कैफ़ी आज़मी ने उस दिन अपनी घनगरज आवाज़ में जो नज़्म सुनवाई थी, उसका शीर्षक था 'ताज'. बाद में वो हसीना शौकत उनकी पत्नी बनी. शौकत आज़मी ने उस मुशाएरे को याद करते हुए बीबीसी को बताया, "मुशायरा ख़त्म हुआ तो लोगों की भीड़ कैफ़ी, अली सरदार जाफ़री और मजरूह सुल्तानपुरी की तरफ़ ऑटोग्राफ़ बुक ले कर लपकी." स्टोरी: रेहान फ़ज़ल