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50वाँ बुंदेलखंड संगीत सम्मेलन – एक संगीतात्मक महोत्सव संतूर की मधुर सरगम – श्री अभय रुस्तम सपोरी जी ने अपनी लिलार‑भरी धुनों से समा बाँध दिया। पखावज की गहरी थाप – श्री ऋषि उपाध्याय जी ने ताल की गहराई को और भी गहरा कर दिया। तबले की तेज़ी – सचिन शर्मा ने अपनी थिरकती तालियों से पूरे मंच को जीवंत बना दिया। तीनों कलाकारों की अनोखी जुगलबंदी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया – शब्दों से परे, संगीत का एक ऐसा जादू जो हमेशा यादों में रहेगा। विद्यालय आभार व्यक्त करता है। धन्यवाद इस अद्भुत प्रस्तुति के लिए! सदगुरुदेव भगवान की करुणा कृपा से प्रभु श्री रामलाल संगीत महाविद्यालय, झांसी ने इस वर्ष अपने 50वें बुंदेलखंड संगीत सम्मेलन का सफल आयोजन किया। यह सम्मेलन राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ख्याति को और अधिक दृढ़ कर चुका है तथा अत्यंत शानदार रूप से सम्पन्न हुआ। संगठन एवं महत्व महाविद्यालय द्वारा आयोजित यह मंच शा स्त्रीय संगीत के विकास एवं प्रचार‑प्रसार हेतु एक प्रमुख अवसर के रूप में कार्य करता है। 50वें संस्करण ने इस परम्परा को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। कार्यक्रम की विशेषताएँ सम्मेलन में एक से बढ़कर एक प्रतिभाशाली कलाकारों ने भाग लिया, जिनके प्रदर्शन ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। विभिन्न शैलियों के संगीतकारों ने अपनी अनूठी प्रस्तुति से संगीत की विविधता एवं गहराई को उजागर किया। सफलता एवं परिणाम इस वर्ष का सम्मेलन न केवल कलात्मक दृष्टि से सफल रहा, बल्कि शास्त्रीय संगीत के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी भागीदार कलाकारों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए, महाविद्यालय ने इस अवसर को भविष्य के संगीतकारों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में स्थापित किया। प्रभु श्री रामलाल संगीत महाविद्यालय, झांसी सभी कलाकारों, सहयोगियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त करता है और आशा करता है कि आगामी वर्षों में भी यह सम्मेलन इसी प्रकार संगीत जगत में सकारात्मक योगदान देता रहेगा।