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साल 1944 में सेना में भर्ती होने वाले आनंद बख्शी ने 27 अगस्त, 1956 को अपनी मर्जी से फौज छोड़ दी. ये बंबई में गीतकार बनने की उनकी पक्के इरादेवाली दूसरी कोशिश थी. आगे का रास्ता साफ नहीं था, पर बख़्शी साहब का इरादा पक्का था. उन्होंने तय कर लिया था या मैं एक कलाकार बन जाऊंगा या फिर मैं टैक्सी चलाऊंगा, पर मैं इज्जतदार तरीके से रोज़ी-रोटी कमाए बिना यहां से वापस नहीं लौटूंगा. उनके पास पहले से ही ड्राइविंग लाइसेंस था क्योंकि फौज में अपनी ट्रेनिंग के दौरान वो ट्रक चलाया करते थे. आनंद बख्शी सबसे पहले दादर रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में रुके. कुछ ही दिन बाद उन्होंने दादर गेस्ट हाउस, तुलसी पाइप रोड में एक कमरा किराए पर ले लिया. इसके बाद वह खार (पश्चिम) के ‘होटेल एवरग्रीन’ में चले गए. वे सारा दिन बस गाने ही लिखते रहते थे. उनका कमरा कुछ नामी संगीतकारों के घर के आसपास था. भगवान दादा को चारों गाने पसंद आ गए. उन्हें उन चार गानों के लिए डेढ़ सौ रुपये मिले. पहला गाना था- ‘धरती के लाल, ना कर इतना मलाल, धरती तेरे लिए, तू धरती के लिए.’ ये गाना 9 नवंबर, 1956 को रिकॉर्ड किया गया. संगीतकार थे निसार बज़्मी- जो कुछ साल बाद पाकिस्तान चले गए. इस फिल्म को बनने में दो साल लग गए. यह 1958 में रिलीज़ हुई #anandbakhshi #lyrics #podcast #thebollywoodradio #podcasting THE BOLLYWOOD RADIO (फिल्मी किस्सों का मंच) Anchor.fm, Spotify, Podcast player, Pocket casts, Radio Public, Google Podcast, Breaker Twitter - / thebollywoodra1 Instagram - @thebollywoodradio Facebook - / thebollywoodradio YouTube - / @thebollywoodradio The Mythology Radio (पौराणिक कथाओं का मंच) / @themythologyradio The Entertainment Point / @thereporterhindinews