 
                                У нас вы можете посмотреть бесплатно खाटू श्याम जी की कथा | 🙏खाटू श्याम को कलियुग में पूजने का ये है सबसे बड़ा कारण | khatu shyam kahani | или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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खाटू श्याम जी की कथा | Khatu Shyam Ki Kahani | Baba Khatu Shyam Ki Mahima | Khatu Shyam Rajasthan ke @Devansh Dev खाटू श्याम को कलियुग में पूजने का ये है सबसे बड़ा कारण, वजह जान आप भी निकल पड़ेंगे दर्शन करने | राजस्थान के सीकर में मौजूद खाटू श्याम का मंदिर, भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। हिन्दू धर्म में खाटू श्याम को कलियुग में श्री कृष्ण का अवतार माना जाता है। आप इस लेख के जरिए खाटू श्याम की कुछ दिलचस्प बातों के बारे में जानिए। राजस्थान के सीकर में खाटू श्याम का मंदिर, भारत में कृष्ण भगवान के मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी को कलियुग का सबसे फेमस भगवान माना जाता है। सीकर जिले में स्थित खाटू गांव में बने खाटू श्यान के मंदिर को काफी मान्यता मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि श्याम बाबा से भक्त जो भी मांगता है, वो उन्हें लाखों-करोड़ों बार देते हैं, यही वजह है कि खाटू श्याम को लखदातार के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार खाटू श्याम को कलियुग में कृष्ण का अवतार माना जाता है। चलिए आज हम आपको खाटू श्याम मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताते हैं। बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है। ये पांडुपुत्र भीम के पोते थे। ऐसा कहा जाता है कि खाटू श्याम की शक्तियों और क्षमता से खुश होकर श्री कृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजने का वरदान दे डाला था। वनवास के दौरान, जब पांडव अपनी जान बचाते हुए इधर-उधर घूम रहे थे, तब भीम का सामना हिडिम्बा से हुआ। हिडिम्बा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसे घटोखा कहा जाता था। घटोखा से पुत्र हुआ बर्बरीक। इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था, तब बर्बरीक ने युद्ध देखने का निर्णेय लिया था। श्री कृष्ण ने जब उनसे पूछा कि वो युद्ध में किसकी तरफ हैं, तब उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वो उसकी तरफ से लड़ेंगे। ऐसे में श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कि ये कहीं पांडवों के लिए उल्टा न पड़ जाए। ऐसे में कृष्ण जी ने बर्बरीक को रोकने के लिए दान की मांग की। दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया। दान में बर्बरीक ने उनको शीश दे दिया, लेकिन आखिर तक उन्होंने अपनी आंखों से युद्ध देखने की इच्छा जाहिर की। श्री कृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सिर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने लगे कि जीत का श्रेय किसको जाता है, इसमें बर्बरीक कहते हैं कि श्री कृष्ण की वजह से उन्हें जीत हासिल हुई है। श्री कृष्ण इस बलिदान से काफी खुश हुए और उन्हें कलियुग में श्याम के नाम से पूजे जाने का वरदान दे दिया। ऐसा कहा जाता है कि कलयुग की शुरुआत में राजस्थान के खाटू गांव में उनका सिर मिला था। कहते हैं ये अद्भुत घटना तब घटी जब वहां खड़ी गाय के थन से अपने आप दूध बहने लगा था। इस चमत्कारिक घटना को जब खोदा गया तो यहां खाटू श्याम जी का सिर मिला। अब लोगों के बीच में ये दुविधा शुरू हो गई कि इस सिर का किया जाए। बाद में उन्होंने सर्वसम्मति से एक पुजारी को सिर सौंपने का फैसला किया। इसी बीच क्षेत्र के तत्कालीन शासक रूप सिंह को मंदिर बनवाने का सपना आया। इस प्रकार रूप सिंह चौहान के कहने पर इस जगह पर मंदिर निर्माण शुरू किया गया और खाटूश्याम की मूर्ति स्थापित की गई। #jai ho baba khatu shyam ki #rajasthan wale baba khatu shyam ki.🙏🙏🙏🙏