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'मोह' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है आकर्षण, लगाव, या भ्रम। यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ हम किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार से अत्यधिक जुड़ाव महसूस करते हैं, जिसे अक्सर हम 'मेरा' मान लेते हैं। इस अत्यधिक जुड़ाव के कारण, जब हम उस वस्तु, व्यक्ति, या विचार से अलग होते हैं तो हमें दुख होता है। 'मोह की आग' से अपनी आत्मा को बचाने के लिए इन तरीकों का पालन करें: जागरूकता बढ़ाएं यह समझना बहुत ज़रूरी है कि 'मोह' दुख का कारण बनता है। यह जानना कि हम किस चीज़ से जुड़े हुए हैं, हमें उस लगाव को कम करने में मदद करता है। हमें यह भी समझना होगा कि हर चीज़ क्षणभंगुर है और कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता है। अनासक्ति का अभ्यास करें अनासक्ति का अर्थ है चीजों और लोगों से लगाव रखे बिना जीवन जीना। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें प्यार या रिश्तों से दूर रहना है, बल्कि इसका मतलब है कि हमें अपनी खुशी और शांति को किसी बाहरी चीज़ पर निर्भर नहीं करना चाहिए। जब हम अनासक्ति का अभ्यास करते हैं, तो हम चीज़ों को उनके वास्तविक रूप में देखते हैं और उनसे जुड़ी उम्मीदों से मुक्त होते हैं। सेवा और दान करें दूसरों के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने से हमारा ध्यान अपने से हटकर दूसरों पर चला जाता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हम अपनी भावनाओं से ऊपर उठकर एक बड़ा उद्देश्य देखते हैं। यह हमें 'मेरा' और 'तुम्हारा' के भ्रम से निकलने में मदद करता है। ध्यान और आत्म-चिंतन करें ध्यान से हमें अपने मन और विचारों को शांत करने में मदद मिलती है। जब हम नियमित रूप से ध्यान करते हैं, तो हम अपने भीतर की आवाज को सुन पाते हैं और यह समझ पाते हैं कि कौन सी भावनाएँ हमारे मन में भ्रम पैदा कर रही हैं। आत्म-चिंतन से हमें अपनी कमजोरियों और इच्छाओं को समझने में मदद मिलती है। सांसारिक सुखों को त्यागें यह सबसे कठिन लेकिन सबसे प्रभावी तरीका है। सांसारिक सुख जैसे धन, पद, और भौतिक वस्तुएँ हमें मोह की आग में धकेलती हैं। जब हम इन सुखों को त्यागते हैं, तो हम एक हल्का और शांत जीवन जीते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें सब कुछ छोड़ देना चाहिए, बल्कि हमें अपनी आवश्यकताओं को सीमित करना चाहिए। इन तरीकों को अपनाकर हम न केवल मोह की आग से अपनी आत्मा को बचा सकते हैं, बल्कि एक सुखद और सार्थक जीवन भी जी सकते हैं।