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"अशोक वाटिका में सीता को विश्वास नहीं होता है कि लक्ष्मण को शक्ति लगी है। वे जानती हैं कि लक्ष्मण को कुछ हुआ तो उनके पति राम के प्राण भी नहीं बचेंगे। लक्ष्मण का सिर गोद में रखकर बैठे राम के अश्रु रुक नहीं रहे। विभीषण, सुग्रीव और जामवन्त सभी लक्ष्मण की हृदयगति धीमी पड़ते जाने से सारी आशाएं त्याग देते हैं। हनुमान पूछते हैं कि क्या वास्तव में अब कोई उपाय बाकी नहीं बचा है। विभीषण कहते हैं कि लंका की वनस्पति उपवन प्रयोगशाला में रहने वाले वैद्यराज सुषेण लक्ष्मण का उपचार कर सकते हैं किन्तु उन्हें वहाँ से लाना असम्भव है। इस असम्भव को सम्भव करने के लिये हनुमान लंका में जाते हैं और वैद्य सुषेण को उसके भवन सहित उठा लाते हैं। सुषेण अपने देश के शत्रु यानि लक्ष्मण का उपचार करने से इनकार कर देते हैं। तब विभीषण उनसे कहते हैं कि देशभक्ति से ऊपर वैद्य का शाश्वत धर्म रोगी की पीड़ा हरना है। सुषेण लक्ष्मण का नारी परीक्षण करते हैं। वे कहते हैं कि यदि लक्ष्मण को जीवित बचाना है तो सूर्योदय से पहले हिमालय पर्वत से मृतसंजीवनी बटी लानी होगी। सुषेण बूटी की पहचान बताते हैं कि इनमें दिव्य प्रकाश होता है। इसकी सुरक्षा देवता करते हैं। यदि कोई इनके निकट जाते हैं तो यह विलोपित हो जाती हैं। राम अल्प अवधि में हिमालय जाना और आना असम्भव मानते हैं किन्तु हनुमान उनसे आज्ञा लेकर आकाश मार्ग से हिमालय की ओर प्रस्थान करते हैं। उधर रावण को अपने गुप्तचर शूक से सूचना मिलती है कि वैद्य सुषेण की बतायी बूटी लेने हनुमान हिमालय गये हैं। रावण मायावी असुर कालनेमि को हनुमान की यात्रा बाधित करने की आज्ञा देता है। कालनेमि के पास द्रुतगति से कहीं भी पहुँचने की शक्ति है। वह अपनी माया से एक पर्वतीय सरोवर के निकट कुटिया का निर्माण करता है और साधु का वेश धारण करके राम नाम का जाप करने बैठ जाता है। हनुमान उसे कोई रामभक्त साधु समझकर वहाँ ठहरते हैं। कालनेमि हनुमान को अपना परिचय त्रिकालदर्शी साधु के रूप में देता है और कहता है कि उसे पता है कि वे सुषेण वैद्य के कहने पर लक्ष्मण के लिये संजीवनी बूटी लेने हिमालय पर जा रहे हैं। मायावी असुर कालनेमि हनुमान को विलम्बित करना चाहता है इसलिये वह कहता है कि यह प्रभु इच्छा है कि हनुमान यहाँ कुछ देर रुक कर विश्राम करें। वह यह भी कहता है कि हनुमान स्नान ध्यान करके आयें, वह अपने तपोबल से उन्हें कुछ ही पल में हिमालय की कन्दराओं में पहुँचा देगा। हनुमान धूर्त कालनेमि के जाल में फँस जाते हैं। रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी। इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है। इस धारावाहिक को रिकॉर्ड 82 प्रतिशत दर्शकों ने देखा था, जो किसी भी भारतीय टेलीविजन श्रृंखला के लिए एक कीर्तिमान है। निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर पटकथा और संवाद - रामानंद सागर संगीत - रविंद्र जैन शीर्षक गीत - जयदेव अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा संपादक - सुभाष सहगल कैमरामैन - अजीत नाइक प्रकाश - राम मडिक्कर साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार In association with Divo - our YouTube Partner #Ramayan #RamanandSagar #ShriRam #MataSita #Hanuman #Lakshman #RamayanaEpisodes #Bhakti #Hindu #tvseries #RamBhajan #RamayanaStories #RamayanTVSeries #RamCharitManas #DevotionalSeries"