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दुर्ख़ीम महोदय के आत्महत्या के तीन प्रकार - अहमवादी आत्महत्या परार्थवादी आत्महत्या असमस्थितिजन्य या आदर्शशून्यतावादी आत्महत्या अहमवादी आत्महत्या जब व्यक्ति को समाज से बांधने वाली कड़ी कमज़ोर पड़ने लगती है तब व्यक्ति को अपने जीवन से बांधने वाली शक्ति भी कमज़ोर पड़ने लगती है। वर्तमान समय में अधिकांश आत्महत्याएं सामाजिक संस्थाओं में एकता के अभाव के कारण हो रही हैं, जैसे परिवार, धर्म, शैक्षिक संस्थाएँ, राजनीतिक सम्बंध तथा सामाजिक नियंत्रण के साधनों के कमज़ोर होने के कारण हो रही हैं। परार्थवादी आत्महत्या दुर्ख़ीम के अनुसार परार्थवादी आत्महत्याएं उन समाजों में पाई जाते हैं जहाँ सामाजिक एकीकरण की भावना आवश्यकता से अधिक गहन होती है। ऐसा संबंध आदिम समाजों में अधिक पाया जाता है क्योंकि उसमें एकीकरण बहुत अधिक है। आदिम समाज में नैतिक संहिताओं का दबाव बहुत अधिक है इसलिए वे सरलता से आत्महत्या कर लेते हैं। असमस्थितिजन्य या आदर्शशून्यतावादी आत्महत्या इसे स्पष्ट करते हुए दुर्ख़ीम महोदय ने कहा है कि अचानक उत्पन्न होने वाली किसी भी संक्रमणकालीन दशा जैसे आर्थिक विपत्ति या औद्योगिक संकट के कारण समाज में कुछ व्यक्ति की परिस्थिति में बदलाव आ जाता है। इस परिस्थिति में आवश्यक हो जाता है कि वे अपने आवश्यकताओं को कम करें तथा स्वयं अपने इच्छाओं पर नियंत्रण लगाना सीखें। इन नई दशाओं में बहुत से लोग अनुकूलन नहीं कर पाते तथा अपने कष्टपूर्ण अनुभव के कारण अपने जीवन का अंत कर लेते हैं। दुर्ख़ीम महोदय का विसंगति या आदर्शशून्यता की स्थिति का अर्थ ऐसी दशा से हैं जो व्यक्ति की असीमित इच्छाओं के कारण समाज को नियंत्रित और नियमित करने वाले नियम प्रभावहीन हो जाते हैं। आधुनिक सामाजिक आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत पैदा होने वाली यह विषम परिस्थिति है। जब व्यक्ति अपने अनुशासनहीन व्यवहार के द्वारा अपने इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करता है। विसंगति तथा आत्महत्या का संबंध बताते हुए दुर्ख़ीम महोदय ने बताया है कि आत्महत्या की संभावना उन व्यक्तियों में अधिक बढ़ जाती है जो अधिक धनवान है, विवाह विच्छेद हो जाए या अन्य ऐसे कारण जिसके अचानक होने से उनके पद, प्रतिष्ठा और उनकी आर्थिक क्षति हो। इस प्रकार दुर्ख़ीम महोदय ने आत्महत्या के जो स्वरूप बताये है उसका उत्तरदायित्व सामाजिक संबंधों पर आता है। सामूहिक चेतना से जब भी व्यक्ति का निराशापूर्ण या नकारात्मक संबंध होता है उसका परिणाम आत्महत्या के रूप में आता है। समालोचना समाजशास्त्री चिंतन में दुर्ख़ीम का सिद्धांत एक नई दिशा है। अपने ठोस तर्कों के आधार पर आत्महत्या को सामाजिक कारकों का परिणाम बताया है। व्यक्ति समाज और सामाजिक चिंतन के अधीन हैं। विभिन्न समाजों के धर्म, परिवार, नियम, नियंत्रणकारी साधन व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करते हैं। अतः यह व्यक्तिगत नहीं सामाजिक उपज है। दुर्ख़ीम सामाजिक कारकों पर आवश्यकता से अधिक बल दिया है और अन्य कारकों की अवहेलना किया है। व्याधिकीय दशायें हीं अगर कारण है तो कुछ लोग ही क्यों आत्महत्या करते हैं? अप्रत्यक्ष रूप से तो उन्होंने मानसिक दशाओं को भी स्वीकार किया है। वास्तव में शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति की सहन करने की क्षमता समान नहीं होती है। एक ही परिस्थिति किसी को अधिक प्रभावित करती है किसी को कम। एक ही परिस्थिति में कोई जीवन से हार न मानकर जीवन को एक नया मोड़ दे देता हैं तो कोई जीवन समाप्त कर लेता है। अतः समाज प्रमुख कारण है लेकिन सब कुछ नहीं है। फिर भी यह एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इसमें अनुभवी विचारों को प्रभावपूर्ण ढंग से वर्णित किया है। आत्महत्या का निवारण आत्महत्या की घटना पूरे विश्व के मानव समुदाय में पाया जाती है। यह विघटनकारी और व्याधिपूर्ण है।समाज के प्रत्येक व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि वह प्रकृति के सुंदर रचना है। उसे ईश्वर ने मानव योनि प्रदान किया है जो सबसे उत्तम है। इसका उपयोग सदैव अच्छे सृजनशील तथा उत्तम कार्य के लिए करें। आत्महत्या पाप है। जिसने इस संसार में जन्म दिया है उसे ही समाप्त करने का भी अधिकार है। कमज़ोर दिल वाले या मानसिक रोगी ही आत्महत्या करते हैं, जिनके अंदर साहस नहीं होता वे जल्दी हताश हो जाते हैं। मनुष्य को सदैव स्वस्थ रहना चाहिए। स्वस्थ सामाजिक वातावरण बनाने का प्रयास करना चाहिए। सामाजिक नियंत्रण के शक्तियों के महत्व को समझे और उसका पालन करें। समाज में प्रेम और सहानुभूति बनाएँ और दूसरों का सहयोग करें। सकारात्मक जीवन जिए और अच्छी सोच रखें। ऐसी धार्मिक कुरीतियों एवं रूढ़ियों को समाप्त करने का प्रयास करें जो आत्महत्या को बढ़ावा देती है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से कमज़ोर व्यक्ति का सहयोग करें तथा उनका उपचार कराएं। ------------------------------------------------------------- अगर आपको हमारा ये VIDEO पसंद आया हो तो इसे लाइक करें, शेयर करें, और साथ ही हमारे चैनल को सबस्क्राइब भी करें | #pacademe #दुर्खीम_के_आत्महत्या_के_प्रकार_और_निवारण#Sociology Follow Us Facebook: @pacademe Instagram: @p_academe Twitter: @p_academe Web: https://pacademe.com