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#विन्ध्येश्वरी,#चालीसा,#नमोनमोविन्ध्येश्वरी, श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा || Shri Vindhyavasini Chalisa || With Lyrics-ANURADHA PAUDWAL ----------------------------------------------------------------------- आपका देव भक्ति संगम यूट्यूब चैनल में स्वागत हैं। कृपया लाइक , शेयर, और सब्सक्राइब जरूर कीजिये. आपके सपोर्ट के लिए धन्यवाद। ----------------------------------------------------------------------- Vindheshwari Chalisa | विन्ध्येश्वरी चालीसा | Hindi | English श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा Vindheshwari Chalisa in Hindi आज से ही शुरू कर दें श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा का पाठ, दूर होंगे सारे दुःख जो भी नर या नारी विंध्यवासिनी स्त्रोत और चालीसा का पाठ रोज 11 बार कीजिए। हर तरह की संकट, विपत्ति,, कर्ज मुक्ति, इत्यादि की एक ही दवा है नित्य पाठ करना। इसका परिणाम आपके सामने रहेगा। लगभग 41दिन में परिवर्तन दिखेगा, जब रुपये हाथ होते है तो कोई ग्रह और कोई दशा नजर नही आता है।एवं जब रुपये का दर्शन दुर्लभ हो जाय या साफ आमदनी बंद हो जाय तो लोग को सभी ग्रह और सभी दशा दिन में ही दिखने लगते है। अगर आपको विश्वास है तो जितनी जिन्दगी बची है दोनों को नियत समय पर पाठ कीजिये बाकी ग्रह गोचर भूल जाइए। इसलिये की वह चक्के की तरह है। रोज घूमता है, रोज किसी न किसी को प्रभवित करता है। ग्रह गोचर को नजरअंदाज कीजिये आगे देखिए कि हमे कितनी उचाई पर जाना है। नीचे मत देखिये नही तो डर लगेगा डर लगेगा तो नीच ग्रह गोचर परेशान करेगा। सिर्फ अपना मकसद पर ध्यान दीजिए। हमारी बात अगर समझ मे आ गई तो ठीक नही तो राहु की महादशा समझ कर भूल जाये। || दोहा || नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंब। संत जनों के काज में, करती नहीं बिलंब॥ || चौपाई || जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि शक्ति जगबिदित भवानी॥ सिंह वाहिनी जय जगमाता। जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥ कष्ट निवारिनि जय जग देवी। जय जय संत असुर सुरसेवी॥ महिमा अमित अपार तुम्हारी। सेष सहस मुख बरनत हारी॥ दीनन के दु:ख हरत भवानी। नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी॥ सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥ जो जन ध्यान तुम्हारो लावे। सो तुरतहिं वांछित फल पावे॥ तू ही वैस्नवी तू ही रुद्रानी। तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी॥ रमा राधिका स्यामा काली। तू ही मात संतन प्रतिपाली॥ उमा माधवी चंडी ज्वाला। बेगि मोहि पर होहु दयाला॥ तुम ही हिंगलाज महरानी। तुम ही शीतला अरु बिज्ञानी॥ तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता। दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता॥ तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी। हेमावती अंबे निरबानी॥ अष्टभुजी बाराहिनि देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥ चौसट्टी देवी कल्याणी। गौरि मंगला सब गुन खानी॥ पाटन मुंबा दंत कुमारी। भद्रकाली सुन विनय हमारी॥ बज्रधारिनी सोक नासिनी। आयु रच्छिनी विन्ध्यवासिनी॥ जया और विजया बैताली। मातु संकटी अरु बिकराली॥ नाम अनंत तुम्हार भवानी। बरनै किमि मानुष अज्ञानी॥ जापर कृपा मातु तव होई। तो वह करै चहै मन जोई॥ कृपा करहु मोपर महारानी। सिध करिये अब यह मम बानी॥ जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याणा॥ बिपत्ति ताहि सपनेहु नहि आवै। जो देवी का जाप करावै॥ जो नर कहे रिन होय अपारा। सो नर पाठ करे सतबारा॥ नि:चय रिनमोचन होई जाई। जो नर पाठ करे मन लाई॥ अस्तुति जो नर पढै पढावै। या जग में सो बहु सुख पावै॥ जाको ब्याधि सतावै भाई। जाप करत सब दूर पराई॥ जो नर अति बंदी महँ होई। बार हजार पाठ कर सोई॥ नि:चय बंदी ते छुटि जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥ जापर जो कुछ संकट होई। नि:चय देबिहि सुमिरै सोई॥ जा कहँ पुत्र होय नहि भाई। सो नर या विधि करै उपाई॥ पाँच बरस सो पाठ करावै। नौरातर महँ बिप्र जिमावै॥ नि:चय होहि प्रसन्न भवानी। पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी॥ ध्वजा नारियल आन चढावै। विधि समेत पूजन करवावै॥ नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहि आन उपाई॥ यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढत होवै अवनीसा॥ यह जनि अचरज मानहु भाई। कृपा दृष्टि जापर ह्वै जाई॥ जय जय जय जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि पर जन जानी॥ || इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा समाप्त || -------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Please Subscribe Dev Bhakti Channel. Like, Share & Comment. / @devbhaktisangam ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------- DISCLAIMER: ALL IMAGES AND MUSIC BELOGNS TO THEIR CREATOR/COPYRIGHT HOLDER. I DON'T OWN ANY OF THEM. I JUST USE THEM FOR EDUCATION, LEARNING PURPOSES AND AWARENESS OF HINDUSIM. Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.