У нас вы можете посмотреть бесплатно Krodh Shanti mantraक्रोध जीवन का शत्रु है ,नियंत्रण कीजिए क्रोध शांति शाबक मंत्र или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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क्रोध का मुख्य कारण अहंकार है। अगर हम क्रोध पर नियंत्रण paana haii to yeh shaabar mantra sune कुछ लोगों को गुस्से के बारे में भी ढेरों भ्रांतियां होती हैं। जैसे मैं गुस्सा करना छोड़ दूंगा तो मेरा रौब कम हो जाएगा या दूसरों की गलती का एहसास कराने के लिए, सबक सिखाने के लिए गुस्सा दिखाना जरूरी है। या सामने वाला व्यक्ति हर कदम पर हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा हो तो क्रोधित होकर प्रतिकार करना आवश्यक है। यह क्रोध ही दुख का कारण है तथा अनन्त बार जन्म-मरण करवाता है। क्रोध कैसे आता है? अहम् पर चोट पडऩे से क्रोध आता है। अन्दर में यह जो अहंकार बैठा है, वही क्रोध का कारण है। अगर कुछ करना ही है तो इस अहंकार को कम करने की कोशिश करें, जीवन सुखमय हो सकता है। ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाये तो क्रोध के मुख्य कारण मंगल, सूर्य, शनि, राहु तथा चंद्रमा होते हैं। सूर्य और चंद्रमा, मंगल ग्रह एक-दूसरे के साथ किसी रूप में सम्बद्ध है तो व्यक्ति के अन्दर क्रोध अधिक रहता है। इसके अलावा मंगल शनि की युति क्रोध को जिद के रूप बदल देती है। राहु के लग्न, तीसरे अथवा द्वादश स्थान में होने पर काल्पनिक अहंकार के कारण अपने आप को बडा मानकर अंहकारी बनाता है जिससे क्रोध उत्पन्न हो सकता है। ज्योतिष में मंगल को क्रोध, वाद विवाद, लड़ाई झगड़ा, हथियार, दुर्घटना, एक्सीडेंट, अग्नि, विद्युत आदि का कारक ग्रह माना गया है तथा राहु को आकस्मिकता, आकस्मिक घटनाएं, शत्रु, षड़यंत्र, नकारात्मक ऊर्जा, तामसिकता, बुरे विचार, छल, और बुरी आदतों का कारक ग्रह माना गया है, इसलिए फलित ज्योतिष में मंगल और राहु के योग को बहुत नकारात्मक और उठापटक कराने वाला योग माना गया है ।गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक हैं क्योंकि क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि का नाश होता हैं जब बुद्धि का नाश हो जाता है तो मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है । मंगल और राहु स्वतंत्र रूप से अलग अलग इतने नाकारात्मक नहीं होते पर जब मंगल और राहु का योग होता है तो इससे मंगल और राहु की नकारात्मक प्रचंडता बहुत बढ़ जाती है यानि प्रथम भाव को स्वभाव और शारीरिक बनावट का कारक माना जाता है। दूसरा भाव धन और वाणी का और पंचम भाव बुद्धि का होने से मनुष्य के व्यवहार को प्रभावित करता है। इन तीनों भावों से व्यक्ति के सवभाव को देखा जाता है। चन्द्रमा, बुध और मंगल के कारण मन, वाणी, और क्रोध पर नियंत्रण नहीं रहता। अगर कुण्डली में मंगल, चन्द्रमा और बुध ग्रह नीच राशि ने हों या इन पर राहु और सूर्य की क्रूर दृस्टि हो तो अनियंत्रित क्रोध जातक में होता है। मंगल कुण्डली के प्रथम, तीसरे ,चतृर्थ, पंचम या अस्टम भाव में हो तो व्यक्ति में क्रोध की अधिकता होती है। मंगल इन भावो में नीच राशि में हो तो व्यक्ति को ज्यादा क्रोधित सवभाव का बनाता है। सूर्य-मंगल, गुरु-मंगल,मंगल-बुध,मंगल-शनि, बुध-शनि, गुरु राहु , राहु-चन्द्रमा, शनि चन्द्रमा का कुण्डली में इकठे होना भी क जातक में क्रोध को बढ़ाता है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार यदि जन्मकुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो अर्थात कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो सर्वप्रथम तो कुंडली के जिस भाव में यह योग बन रहा हो उस भाव को पीड़ित करता है और उस भाव से नियंत्रित होने वाले घटकों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है उदाहरण के लिए यदि कुंडली के लग्न भाव में मंगल राहु का योग हो तो ऐसे में स्वास्थ पक्ष की और से हमेशा कोई न कोई समस्या लगी रहेगी, धन भाव में मंगल राहु का योग होने पर आर्थिक संघर्ष और क़ुतुब के सुख में कमी होगी इसी प्रकार पंचम भाव में मंगल राहु का योग शिक्षा और संतान पक्ष को बाधित करेगा। इसके अलावा कुंडली में मंगल राहु का योग होने से व्यक्ति का क्रोध विध्वंसकारी होता है, समान्य रूप से तो प्रत्येक व्यक्ति को क्रोध आता है पर कुंडली में राहु मंगल का योग होने पर व्यक्ति का क्रोध बहुत प्रचंड स्थिति में होता है और व्यक्ति अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर पाता और बहुत बार क्रोध में बड़े गलत कदम उठा बैठता है, कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर जीवन में दुर्घटनाओं की अधिकता होती है और कई बार दुर्घटना या एक्सीडेंट का सामना करना पड़ता है।। कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर व्यक्ति को वहां चलाने में भी सावधानी बरतनी चाहिए , कुंडली में मंगल राहु का योग होने पर व्यक्ति को शत्रु और विरोधियों की और से भी बहुत समस्याएं रहती है और जीवन में वाद विवाद तथा झगड़ों की अधिकता होती है, यदि कोई व्यक्ति लगातार गुस्सा करता है तो उसे सर दर्द की शिकायत हो सकती है क्यूंकि गुस्सा करने से सर मे ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है।। क्रोध व्यक्ति को अवसादग्रस्त भी कर सकता है।। क्रोध करने वालों को हाई ब्लड प्रेशर की बिमारी भी हो सकती है ।। क्रोधी लोगों को मधुमेह (डाइबिटीज) होने का खतरा बढ़ जाता है ।। क्रोध करने वालों की फेफड़ो की कार्य क्षमता भी प्रभावित होती है ।। कुछ लोगो को सांस लेने मे भी समस्या होने लगती है।। क्रोध करने वाले कुछ लोग पाचन तंत्र की समस्या से ग्रस्त हो जाते है ।। गुस्सेल लोगो को नींद आने मे भी समस्या होने लगती है. गुस्सा आदमी को जुर्म की दुनिया मे भी घुसा देता है. वास्तव मे देखा जाए तो गुस्से से व्यक्ति खुद को ही सजा देता है. अतः ये जरुरी है की हम अपने क्रोध पर नियंत्रण करे ।।क्या करे —- चंद्र को मज़बूत करे । चंद्र गायत्री मंत्र हर रात सुने सिर्फ सात्विक शाकाहारी भोजन खाएं चाँदी के गिलास मे पानी पिलाए । सरसो के तेल की मालिश करे कमर के निचले हिस्से मे । बच्चो को रेस करनी चाहिए बडो को जॉगिंग करनी चाहिए मा बाप को धैर्य से काम लेना चाहिए ।ऐसे बच्चो को 35 साल के बाद जीवन् मे बहुत परेशानिया आती है । #krodhshanti #coolmeditation #mindpeace