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नमस्कार दोस्तों बहुत बहुत स्वागत है आपका अपना चहिता चैनल उत्तराखंडी संस्कृति में जिसमे में आपको उत्तराखंड के पौराणिक कथाओं और लोक कथाओं के बारे में बताने का प्रयास करता हूँ कृपया इस चैनल को सब्सक्राइब करे और चैनल शेयर जरूर करें I कत्यूर राजवंश उत्तराखंड में शासन करने वाला पहला ऐतिहासिक शक्तिशाली राजवंश था। इसे कार्तिकेयपुर वंश के नाम से भी जाना जाता है। कत्यूरी राजवंश के संस्थापक बसंत देव थे । जिन्हें बासुदेव के नाम से भी जाना जाता है। जिसकी राजधानी जोशीमठ (चमोली) में थी। पांडुकेश्वर ताम्रलेख में पाए गए कत्यूरी राजा ललितशूर के अनुसार कत्यूरी शासकों की प्राचीनतम राजधानी जोशीमठ (चमोली) में थी । बाद में नरसिंह देव ने जोशीमठ से बैजनाथ (बागेश्वर ) में राजधानी स्थानांतरित कर दी। जहां से कत्यूरी राजवंश को विशिष्ट पहचान मिली। कत्यूरी राजवंश का उदय • कैसे ख़त्म हुआ कत्यूरी राजवंश का महान साम्र... कुणिंदों के पतन के पश्चात देवभूमि उत्तराखंड की भूमि पर कुछ नए राजवंशों का उदय हुआ। जैसे गोविषाण, कालसी लाखामंडल आदि जबकि कुछ स्थानों पर कुणिंद भी शासन करते रहे। कुणिंदो के बाद शक, कुषाण और यौधेय वंश के शासकों ने कुछ क्षेत्रों पर शासन व्यवस्था स्थापित की। यौधैय कुणिंदों के समकालीन थे। इन्होंने कुणिंदो के दमन में योगदान दिया और जौनसार बावर (देहरादून) के क्षेत्र में कर्तृपुर राज्य की स्थापना की। कर्तृपुर राज्य के अंतर्गत उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और रूहेलखंड का उत्तरी भाग शामिल था। समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में गुप्त साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर स्थित कर्तृपुर राज्य का उल्लेख है। यह गुप्त शासकों के अधीन थे। पांचवी सदी में कर्तृपुर राज्य पर नागों ने अधिकार कर लिया। छठी शताब्दी के उत्तरार्ध में कन्नौज के मौखरि वंश ने कर्तृपुर राज्य के पर अधिकार कर लिया। मौखरी वंश के अंतिम राजा गृहवर्मा की हत्या हो जाने के बाद कन्नौज पर हर्षवर्धन ने अधिकार कर लिया। हर्षवर्धन ने उत्तराखंड भ्रमण के दौरान एक पर्वतीय राजकुमारी से विवाह किया था। बाणभट्ट द्वारा रचित हर्षचरित में हर्षवर्धन के शासनकाल में उत्तराखंड के आए लोगों का वर्णन मिलता है। हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात राज्य में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई संसार में एक नए राजवंश कार्तिकेयपुर राजवंश (कत्यूरी राजवंश) का उदय हुआ । जिसका प्रथम राजा वसंतनदेव था। कार्तिकेयपुर राजवंश अयोध्या केेेे मूल निवासी थे। कहा जाता है बसंत देव कन्नौज के राजा यशोवर्मन के सामंत थे। यशोवर्मन मौखरी वंश से थे। लेकिन इसका कोई वास्तविक प्रमाण नहीं मिलता है। हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात यशोवर्मन कन्नौज पर शासन करते हैं । यशोवर्मन के द्वारा उत्तराखंड के समस्त क्षेत्र पर विजय प्राप्त करने के बाद बसंतदेव को सामंत बना दिया। लेकिन यशोवर्मन कश्मीर के शासक ललिता द्वितीय मुक्त पीठ हार जाता है । इसी का फायदा उठाकर बसंतदेव एक स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर देता है। जिससे कत्यूरी राजवंश का उदय हुआ। कत्यूरी राजवंश की तीन शाखाओं ने 300 वर्षों तक शासन किया। बाद में राज्य का विस्तार होने पर राजधानी कार्तिकेयपुर से अल्मोड़ा स्थित कत्यूर घाटी के बैजनाथ नामक स्थान पर स्थापित की गई। इस राजवंश का इतिहास इसके बागेश्वर, कंडारा, पांडुकेश्वर एवं बैजनाथ आदि स्थलोंं से कुटिला लिपि में प्राप्त ताम्रलेखों व शिलालेख के आधार पर लिखा गया है। • कैसे ख़त्म हुआ कत्यूरी राजवंश का महान साम्र... Amazon Link - If you want some buy from Amazon, click the link and get 50% Off instantly. https://amzn.to/3wE6f2j https://amzn.to/3wE6f2j न्यायकारी गोलू देवता की लोक कथा II Nyaykari golu devta ki lok katha Video Links - • न्यायकारी गोलू देवता की लोक कथा II Nyaykar... • आखिर क्यों धंस रहा है जोशीमठ ? | Kyu dhas ... • उत्तराखंड का स्थापना दिवस ९ नवंबर सन २००० ... • History of Haldwani | हल्द्वानी का इतिहास ... • Auli Bharat ka Mini Switzerland | Auli | औ... Link YouTube - / @uttarakhandisanskritiuks Facebook - / uttarakhandisanskritiuk Instagram - / uttarakhandisanskritiuk