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प्रमुखजन गोष्ठी इंदौर | द्वितीय सत्र | हिंदुत्व (Hindutva) | मा. श्री. दत्तात्रेय होसबाले | RSS मालवा प्रांत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी वर्ष यात्रा के संदर्भ में इंदौर महानगर में आयोजित ‘प्रमुख प्रबुद्ध जनगोष्ठी’ का यह द्वितीय सत्र है। इस महत्वपूर्ण सत्र में, माननीय श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने ‘हिंदुत्व’ (Hindutva) के मौलिक विचार, अवधारणा और भारत की राष्ट्रीय पहचान में इसकी भूमिका पर गहन विचार प्रस्तुत किए हैं। इस सत्र के प्रमुख विषय और मुख्य विचार: • राष्ट्र की पहचान: पिछले सत्र की यात्रा का स्मरण करते हुए, यह बताया गया है कि भारत को हिंदुस्तान, भारतवर्ष और अखंड भारत भी कहते हैं। संघ के वैचारिक अधिष्ठान में इसे 'हिंदू राष्ट्र' कहा गया है, जिसका उल्लेख संघ की नित्य प्रार्थना में भी है। • हिंदुत्व की अवधारणा: 'हिंदुत्व' को केवल एक धर्म (Religion) नहीं, बल्कि एक जीवन शैली (Jivan Shaili) और भारत का स्वभाव (Svabhava) बताया गया है। • 'हिंदू' शब्द की व्युत्पत्ति: वक्ता ने स्पष्ट किया कि 'हिंदू' शब्द वेद, पुराण या रामायण में नहीं है। कुछ लोग इसे बृहस्पत पुराण में उल्लिखित या सिंध नदी के संदर्भ में आया हुआ 'भू-सांस्कृतिक शब्द' (Jio Cultural Term) मानते हैं (सिंधु से हिंदू)। यह भी बताया गया कि गुरु नानक जी ने अपनी बाबर वाणी में 'हिंदुस्तान' शब्द का प्रयोग किया था। • सृष्टि के प्रति दृष्टि (One-ness of Creation): हिंदुत्व का मूल स्वभाव सृष्टि में एकत्व (One-ness) देखना है। यहाँ के लोगों ने 'वसुधैव कुटुंबकम्' (सारा विश्व एक परिवार है) और समस्त सुखीनो भवंतु (सब सुखी हों) के विचार को अपनाया है। यहाँ भूमि को माता माना गया है, 'माता भूमि पुत्रोहं पृथ्वी:'। • धर्म का विशिष्ट विचार: भारतीय अवधारणा में 'धर्म' का अर्थ पश्चिमी 'रिलीजन' से भिन्न है। धर्म कर्तव्य (Duty जैसे राज धर्म, पुत्र धर्म), लक्षण (Characteristic जैसे नदी का धर्म बहना) और आचरण (Conduct) भी है। जिस प्रकार 'न्यूटन का नियम' एक प्राकृतिक सत्य है जिसे न्यूटन ने बताया, उसी प्रकार हिंदू धर्म भी वह सत्य है जिसे हिंदुओं ने समझा और बताया, इसलिए इसे 'हिंदू धर्म' कहा गया। • जीवन का प्रयोजन: जीवन का उद्देश्य केवल अर्थ (धन, शक्ति) और काम (इच्छाएं) की प्राप्ति नहीं है, बल्कि धर्म के आधार पर चलते हुए मोक्ष की प्राप्ति करना है। धर्म अर्थ और काम को नियंत्रित रखने का मार्ग है। • हिंदुत्व की समावेशी प्रकृति: हिंदुत्व यह नहीं कहता कि 'यही मार्ग है' (Only Path), बल्कि यह कहता है कि 'वह भी एक मार्ग है' (Also Path)। यह सभी पंथों और संप्रदायों को समाहित करता है जो भारत में जन्मे हैं। • राष्ट्र के घटक: 'हिंदू राष्ट्र' केवल भूमि नहीं है, बल्कि यह भूमि (जमीन), जन (मातृभूमि मानने वाले लोग), और संस्कृति (जीवन मूल्य)—इन तीनों से मिलकर बनता है। यह कोई पांथिक या राजनीतिक थियोक्रेटिक राज्य नहीं है। • मौलिक एकात्मता: प्रसिद्ध इतिहासकार विन्सेंट स्मिथ का उद्धरण देते हुए बताया गया कि भारत में भौगोलिक और राजनीतिक कारणों से भी कहीं अधिक गहरी मौलिक, अंतर्निहित एकात्मता (Deep Underlying Fundamental Unity) है, जो भाषा, रंग, वेशभूषा की विविधता को पार करती है। • हिंदुत्व एक प्रक्रिया है: डॉ. एस. राधाकृष्णन के शब्दों में, "हिंदुत्व एक आंदोलन है, स्थिति नहीं। यह एक प्रक्रिया है, परिणाम नहीं। यह एक विकसित होती परंपरा है, स्थिर रहस्योद्घाटन नहीं।" यह निरंतर विकसित होता रहेगा। यह सत्र उन सभी लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो भारतीयता, राष्ट्रीयता, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वैचारिक अधिष्ठान को गहराई से समझना चाहते हैं। -------------------------------------------------------------------------------- #RSS100 #दत्तात्रेयहोसबाले #हिंदुत्व #हिंदूराष्ट्र #धर्मऔररिलीजन #vskmalwa #राष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघ #सनातनधर्म