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सभी दुःखों की औषधि जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रस्तुत की गई है ' बलि श्री गुरुदेव कृपाल की' में, जो उनके प्रशंसित संकलन “प्रेम रस मदिरा” के पहले अध्याय का एक भक्ति गीत है डॉ. योगेश्वरी देवी ने इसकी छह पंक्तियों की गहराई को प्रकट किया है, जिनमें गुरु के वचनों की भव्यता, हमारे दुःखों का कारण, गुरु की कृपा क्यों आवश्यक है, और श्रद्धा, समर्पण, अनन्यता, प्रेम तथा भक्ति जैसे विषयों पर चर्चा की गई है। दीदी जी गीता, भागवत, उपनिषद, रामायण आदि से उद्धरण देकर विषय वस्तु को प्रमाणित किया है। इसके बाद दीदी जी इस भक्ति गीत का संकीर्तन कराया, जिसे दिल्ली स्थित गोलोक धाम के साधना कक्ष में श्रोताओं की उपस्थिति में सजीव रूप से रिकॉर्ड किया गया था। ... अध्याय 0:00 परिचय 0:24 कृपा के समुद्र 3:47 आदौ श्रद्धा ततः साधु संग 5:14 भव रोग की परम औषधि 8:17 अपना कुछ नहीं है 10:12 संकीर्तन प्रारंभ ... #jagadgurushrikripalujimaharaj #jagadgurukripaluparishat #golokdham #jagadgurukripalumaharaj