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आदिवासी समाज की "लोटा पानी" रस्म एक अनूठी और पारंपरिक सगाई की प्रथा है, जो उनके रीति-रिवाजों, संस्कृति, और सादगी को दर्शाती है। यह प्रथा विशेष रूप से कई भारतीय आदिवासी समुदायों में प्रचलित है। इस रस्म में पानी से भरा लोटा एक महत्वपूर्ण प्रतीक होता है, जो शुद्धता, स्वच्छता और एकता का द्योतक है। लोटा पानी रस्म का महत्व और प्रक्रिया 1. सगाई की शुरुआत: यह रस्म लड़के और लड़की के परिवारों के बीच होने वाले विवाह की सहमति को दर्शाती है। दोनों परिवार एक पवित्र स्थान पर इकट्ठा होते हैं, आमतौर पर गाँव के किसी धार्मिक स्थल या परिवार के बड़े सदस्य के घर। 2. पानी का प्रतीकात्मक अर्थ: लोटे में पानी को जीवन और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यह एक वादा दर्शाता है कि दोनों परिवार रिश्ते को स्वच्छता और ईमानदारी से निभाएंगे। 3. लोटा का आदान-प्रदान: लड़के का परिवार एक पानी से भरा लोटा लेकर लड़की के परिवार के पास आता है। इस लोटे को लड़की के परिवार को सौंपते समय, रिश्ते की स्वीकृति दी जाती है। 4. अनुष्ठान और वादे: बड़े-बुजुर्ग इस रस्म के दौरान कुछ वचन या प्रतिज्ञाएँ लेते हैं, जैसे कि विवाह को ईमानदारी और सादगी से निभाना। कई बार यह रस्म गाँव के मुखिया या पुजारी की देखरेख में होती है। 5. सामाजिक भोजन: रस्म के बाद दोनों परिवारों और समाज के अन्य सदस्यों के लिए एक सादा भोजन या दावत आयोजित की जाती है। लोटा पानी रस्म के सांस्कृतिक मूल्य सादगी: यह रस्म दिखाती है कि रिश्ते में दिखावे की बजाय भावनाओं और विश्वास को प्राथमिकता दी जाती है। समुदाय की भागीदारी: यह रस्म केवल दो परिवारों के बीच का मामला नहीं होती, बल्कि पूरे गाँव या समुदाय को जोड़ती है। पर्यावरण से जुड़ाव: पानी का उपयोग यह दर्शाता है कि प्रकृति और जीवन के मूल तत्वों का आदिवासी जीवन में कितना महत्व है। आधुनिक युग में बदलाव हालांकि शहरीकरण और आधुनिकता के चलते कई स्थानों पर आदिवासी रीति-रिवाजों में बदलाव आया है, लेकिन लोटा पानी जैसी रस्में आज भी उनकी पहचान को जीवित रखे हुए हैं। यदि आप किसी विशेष आदिवासी समुदाय (जैसे संथाल, भील, गोंड) से जुड़ी जानकारी चाहते हैं, तो मुझे बताएं! • लोटा पानी "दीप्ति और अर्पण" चटकपुर से सिमड... • Видео #lotapani #लोटापानी #engagement ceremony #tribal culture #tradisnal video