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महाराणा राजसिंह : औरंगजेब को धूल चटाने वाला राजपूत राजा | ओरंगजेब का मंदिर तोड़ो अभियान किया असफल | 1 месяц назад


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महाराणा राजसिंह : औरंगजेब को धूल चटाने वाला राजपूत राजा | ओरंगजेब का मंदिर तोड़ो अभियान किया असफल |

महाराणा राजसिंह : औरंगजेब को धूल चटाने वाला राजपूत राजा | ओरंगजेब का मंदिर तोड़ो अभियान किया असफल | महाराणा राज सिंहजी प्रथम (24 सितम्बर 1629 – 22 अक्टूबर 1680) मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के शासक (राज्यकाल 1652 – 1680) थे। वे जगत सिंह प्रथम के पुत्र थे। उन्होने मुगल सम्राट औरंगजेब का अनेकों बार विरोध किया। राजनगर (कांकरोली / राजसमंद) में राजा महाराणा राज सिंह जी का जन्म 24 सितंबर 1629 को हुआ। उनके पिता महाराणा जगत सिंह जी और माता रानी मेड़तणीजी कर्म कँवरजी थीं। मात्र 23 वर्ष की छोटी उम्र में उनका राज्याभिषेक हुआ था। वे न केवल एक कलाप्रेमी, जन जन के चहेते, वीर और दानी पुरुष थे बल्कि वे धर्मनिष्ठ, प्रजापालक और बहुत कुशल शासन संचालन भी थे। उनके राज्यकाल के समय लोगों को उनकी दानवीरता के बारे में जानने का मौका मिला। उन्होने कई बार सोने चांदी, अनमोल धातुएं, रत्नादि के तुलादान करवाये और योग्य लोगों को सम्मानित किया। राजसमंद झील के किनारे नौचोकी पर बड़े-बड़े पचास प्रस्तर पट्टों पर उत्कीर्ण राज प्रशस्ति शिलालेख बनवाये जो आज भी नौचोकी पर देखे जा सकते हैं। इनके अलावा उन्होनें अनेक बाग बगीचे, फव्वारे, मंदिर, बावडियां, राजप्रासाद, द्धार और सरोवर आदि भी बनवाये जिनमें से कुछ कालान्तर में नष्ट हो गये। उनका सबसे बड़ा कार्य राजसमंद झील पर पाल बांधना और कलापूर्ण नौचोकी का निर्माण कहा जा सकता है। किशनगढ़ के राजा रूप सिंह की पुत्री चारुमती पर औरंगजेब की नजर पड़ गई औरंगजेब उसे विवाह करना चाहता था चारुमती ये जान गई और उसने महाराणा राजसिंह को पत्र लिखा और महाराणा राजसिंह को पत्र प्राप्त हुआ और उन्होने चारुमती से विवाह कर लिया वे एक महान ईश्वर भक्त भी थे। द्वारिकाधीश जी और श्रीनाथ जी के मेवाड़ में आगमन के समय स्वयं पालकी को उन्होने कांधा दिया और स्वागत किया था। उन्होने बहुत से लोगों को अपने शासन काल में आश्रय दिया, उन्हे दूसरे आक्रमणकारियों से बचाया व सम्मानपूर्वक जीने का अवसर दिया। उन्होने एक राजपूत राजकुमारी चारूमति के सतीत्व की भी रक्षा की। उन्होने ओरंगजेब को भी जजिया कर हटाने और निरपराध भोली जनता को परेशान ना करने के बारे में पत्र भेज डाला। कहा जाता है कि उस समय ओरंगजेब की शक्ति अपने चरम पर थी, पर प्रजापालक राजा राजसिहजी ने इस बात की कोई परवाह नहीं की। राणा राज सिंह स्थापत्य कला के बहुत प्रेमी थे। कुशल शिल्पकार, कवि, साहित्यकार और दस्तकार उनके शासन के दौरान हमेशा उचित सम्मान पाते रहे। वीर योद्धाओं व योग्य सामंतो को वे खुद सम्मानित करते थे। #maharanarajsingh #maharanapratap #mewadhistory #mewar #rajput #rajputanastatus #rajsingh #historicalfacts #mewadhistory #maharanapratapandakbarfight #aurangzeb #rajsinghvsaurangeb #historylovers महाराजा राजसिंह का इतिहास हाड़ी रानी का इतिहास सेहल कँवर का इतिहास राणा रतन सिंह चित्तौडग़ढ़ का इतिहास राणा राजसिंह मेवाड़ रूठी रानी का महल औरंगज़ेब की शादी रानी चारुमति का इतिहास मेवाड़ का इतिहास मेवाड़ के राजाओं का इतिहास History of Maharaja Raj Singh History of Hadi Rani History of Sehal Kanwar History of Rana Ratan Singh Chittorgarh Rana Raj Singh Mewar Palace of Ruthi Rani Marriage of Aurangzeb History of Queen Charumati History of Kings of Mewar राजसमंद झील मुख्य लेख: राजसमन्द झील उन्होंने 1676 में कांकरोली में प्रसिद्ध राजसमंद झील का भी निर्माण किया, जहाँ भारत की स्वतंत्रता से पहले समुद्री विमान उतरते थे। उन्होंने राज प्रशस्ति काव्य का निर्माण का आदेश दिया, जिसे बाद में झील के स्तंभों पर उकेरा गया।[1] इस झील को राजसमुद्र के नाम से भी जाना जाता है।[2]

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