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Dastaan e ghazal Live in jagjit Singh Place - 1993 Nanavati Holl Khaar Mumbai Aah ko chahiye kya Mirza Ghalib HiteshGhazal 9979099750 facebook.com/HiteshGhazal आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक. - मिर्ज़ा असदुल्ला ख़ा "ग़ालिब" आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक, कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक. दामे-हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-निहंग, देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होने तक. आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करुं ख़ूने-जिगर होने तक. हमने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे, लेकिन, ख़ाक हो जाएंगे हम, तुमको ख़बर होने तक. परतवे-ख़ूर से है शबनम को फ़ना की तालीम, मैं भी हूं एक इनायत की नज़र होने तक. इक नज़र बेश नहीं फ़र्सते हस्ती ग़ालिब, गर्मि-ए-बज़्म है इक रक़्से-शरर होने तक. ग़मे-हस्ती का "असद" किससे हो जुज़ मर्ग, इलाज, शम्मा हर रंग में जलती है सहर होने तक. मिर्ज़ा असदुल्ला ख़ा "ग़ालिब"