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भरमौर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में एक तहसील है।ब्राह्मणी या भरमनी देवी भरमौर की संरक्षक देवी हैं। समुद्रतल से 9 हजार फीट की ऊंचाई पर मां भरमाणी माता का पवित्र धाम है। यहां से बुडाल घाटी का सुंदर दृश्य दिखाई देता हैं। स्थानीय लोगों का मान्यता हैं कि भरमौर को 6वी सदी में ब्राह्मणी देवी के नाम से ब्रह्मपुरा कहा जाता था। मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु सर्वप्रथम माता भरमाणी के दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता के अनुसार पवित्र भरमाणी माता के दरबार में हाजिरी न भरने वाले श्रद्धालु की यात्रा संपूर्ण नहीं मानी जाती। यात्रीगण भरमाणी माता मंदिर में माता के दर्शन करने के उपरांत पवित्र कुंड में स्नान करने के बाद ही मणिमहेश की आगामी यात्रा को आरंभ करते हैं। किंवदंती है कि भरमौर के आदिवासी क्षेत्र को पहले ब्रह्मपुर कहा जाता था। माता भरमाणि का वास और मंदिर ‘चौरासी परिसर’ में ही था और पुरुषों को रात में रुकने की मनाही थी। उस दौरान चौरासी सिद्धों का एक दल पवित्र मणिमहेश यात्रा पर जा रहा था। यात्रा पर आगे बढ़ने से पूर्व धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा। ऐसे में चौरासी सिद्धों ने चौरासी परिसर में समतल स्थल होने की स्थिति में सिद्धों ने रात में यही रुकने का फैसला लिया। जैसे ही चौरासी सिद्धों ने चौरासी परिसर में रात के समय में प्रवेश किया तो इससे माता भरमणि क्रोधित हो गईं। माता भरमाणी उन चौरासी सिद्धों को श्राप देने लगी। तो चौरासी सिद्धों के मुखिया जोकि स्वयं भगवान शंकर थे आगे बढ़े। भगवान शंकर को देख माता भरमाणी का क्रोध शांत हो गया। माता भरमाणी ने भगवान शंकर से क्षमा मांगी। साथ ही चौरासी परिसर में रात के समय पुरुषों के आगमन निषेध होने की बात कही भगवान शंकर ने माता भरमाणी को वरदान दिया कि मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा तभी पूर्ण होगी जब जब वह माता भरमाणी के दर्शन कर पवित्र कुंड में स्नान करेंगे। तब माता भरमणि वहां से विलुप्त होकर 4 कि.मी. दूर डूगा सार नामक जगह पर प्रकट हुईं। 84 सिद्धों ने लिंगों का रूप धारण किया और अनंत काल के लिए भरमौर में बस गए। मंदिर परिसर में कमरे हैं जहाँ भक्त आराम कर सकते हैं और खाना पकाने के लिए चुल्हें हैं। नवंबर के महीने से सर्दियों की शुरुआत होने से और बर्फमारी के कारण मंदिर बंद रहता हैं। पुजारी सभी आगंतुकों को प्रसाद प्रदान करते हैं। वहां लंगर सेवा चलती हैं, स्थानीय लोग प्यार से स्वादिष्ट भोजन परोसते है Chapters: 00:00 हाइलाइट्स+ intro 0:34 84 मंदिर भरमोर 1:24 भरमौर से भरमाणी पैदल रास्ता एंड बाय रोड 2:42 कार पार्किंग , नाइट स्टे ऑप्शन 4:13 भरमाणी मंदिर का रास्ता, ठंडा पानी ओर माता के दर्शन 5:01 भरमाणी देवी की कहानी , पंडित की जुबानी 7:30 क्यों भरमाणी मंदिर जाना है जरूरी + हिस्ट्री 8:13 टूरिस्ट के लिऐ मैसेज