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🙏जय जिनेन्द्र! 🙏 सम्यक चारित्र — रत्नत्रय का तीसरा और मोक्ष का प्रत्यक्ष कारण! इस एपिसोड में हम समझेंगे — Chapters — 00:00 intro [[01:34] सम्यक चारित्र का गहरा अर्थ: उन सभी क्रियाओं और भावों को छोड़ देना जो हमें कर्मों में बाँधते हैं; राग और द्वेष से परे होकर आत्मा के असली स्वरूप में टिक जाना। [02:20] रत्नत्रय (दर्शन, ज्ञान, चारित्र): ये तीनों मोक्ष मार्ग की त्रिवेणी हैं; चारित्र ही वह एक्शन है जो कर्मों को आने से रोकता है (संवर) और पुराने कर्मों को अलग करता है (निर्जरा)। [04:02] तत्वार्थ सूत्र की परिभाषा: पाँच पापों (हिंसा, झूठ, चोरी, अब्रह्मचर्य, परिग्रह) से विरक्त होना ही चारित्र है। [06:42] निश्चय चारित्र: आत्मा की शांत, स्थिर, वीतराग अवस्था में टिके रहना ही उसका स्वभाव है, जिसे आचार्य कुंदकुंद ने निश्चय चारित्र कहा है। [08:36] निश्चय और व्यवहार चारित्र: निश्चय (आंतरिक शुद्धि/लीनता) साध्य है, और व्यवहार (व्रत, संयम, नियम) उस तक पहुँचने का साधन है। [09:44] व्रत, संयम और साधना: ये तीनों व्यवहार चारित्र्य को मजबूत करने वाले स्तंभ हैं। संयम को चारित्र्य की आत्मा या प्राण कहा गया है। [10:34] चारित्र्य के पाँच स्तर: सामायिक, छेदोपस्थापनीय, परिहार्य विशुद्धि, सूक्ष्म सांपराय, और सबसे ऊँचा यथाख्यात चारित्र (जब आत्मा अपने शुद्ध स्वभाव में स्थित हो जाए)। [12:27] गृहस्थ और मुनि के लिए: गृहस्थ देश विरति चारित्र (आंशिक त्याग/अणुव्रत) और मुनि सर्व विरति चारित्र (पूर्ण त्याग/महाव्रत) का पालन करते हैं। [19:18] बाधाएँ (कषाय): क्रोध, मान, माया, लोभ (चार मुख्य कषाय) और नौ कषाय (जैसे हास्य, भय, रति) हमारे आचरण को बिगाड़ने वाले सबसे बड़े दुश्मन हैं। [23:35] सुधार प्रक्रिया: गलती को सुधारने के लिए प्रतिक्रमण (सोचना-पछताना), आलोचना (स्वीकार करना), और प्रायश्चित (दंड स्वीकार करना) की व्यवस्था है। [24:56] मोक्ष में निर्णायक रोल: चारित्र्य ही मोक्ष के लिए अनिवार्य दो चीज़ें—संवर (नए कर्मों का रुकना) और निर्जरा (पुराने कर्मों का नाश)—को संभव बनाता है। 34:04 जय जिनेन्द्र 🙏 Thank You 📌 यह संपूर्ण जानकारी जैन आगमों और तत्त्वार्थ सूत्र के आधार पर प्रस्तुत है। About of Samyak Charitra: Samyak Charitra (Right Conduct) is the third jewel in Jainism and the direct cause of liberation. In this video you will learn: ✅ What is Samyak Charitra? ✅ Why is it essential for Moksha? ✅ 5 Types of Conduct in Jain philosophy ✅ Can householders also practice it? 📌 All information is based on Jain Agamas and Tattvartha Sutra. 🔹 Presented by : Rushabh & Jinvani Shorts 🔹Research & Script: Rushabh Jain 🔸 Narration: AI Voice (Directed by Rushabh Jain) 🔸 Editing by: Rushabh Jain ✅ 100% Original content researched, written & produced by our team. #SamyakCharitra #JainDharam #jinvanishorts #Ratnatray #RightConduct