У нас вы можете посмотреть бесплатно Ep58: Samyak Gyan Kya Hai? Jain Dharam Ka Sabse Pavitra Rahasya! | कैसे होता है सम्यक ज्ञान का उदय? или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
🙏जय जिनेन्द्र! 🙏 क्या हर ज्ञान सही होता है? जैन धर्म कहता है — नहीं! ज्ञान तभी सम्यक कहलाता है, जब वह आत्मा को उसके वास्तविक स्वरूप का बोध कराए। यही “सम्यक ज्ञान” रत्नत्रय का दूसरा रत्न है — जो सही दर्शन और सही आचरण के बीच सेतु बनाता है। इइस एपिसोड में हम समझेंगे — Chapters — 00:00 intro [01:10] सम्यक ज्ञान की परिभाषा: जीवादि पदार्थों को संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय से रहित होकर यथार्थ रूप में जानना। [03:38] मिथ्या ज्ञान से फ़र्क: ज्ञान सम्यक तब बनता है जब वह सम्यक दर्शन (सही श्रद्धा) के साथ जुड़ता है; सही नज़रिए (दर्शन) के बिना ज्ञान मिथ्या कहलाता है। [05:15] ज्ञान के पाँच प्रकार: [05:37] मति ज्ञान: इंद्रियों और मन से जानना (परोक्ष)। [05:53] श्रुत ज्ञान: मति ज्ञान से जानी चीज़ का विस्तार समझना (परोक्ष)। [06:59] अवधि ज्ञान: बिना इंद्रियों के भौतिक चीजों को एक सीमित दायरे में जानना (प्रत्यक्ष)। [07:32] मनः पर्याय ज्ञान: दूसरे के मन के रूपी विचारों को सीधे जानना (प्रत्यक्ष)। [07:56] केवल ज्ञान: पूर्ण ज्ञान; तीनों लोकों के सभी पदार्थों को एक साथ जानना (प्रत्यक्ष)। [08:43] प्रमाण और नय की भूमिका: प्रमाण वस्तु का सम्पूर्ण ज्ञान कराता है, जबकि नय वस्तु के एक अंश या किसी खास पहलू (नज़रिए) का ज्ञान कराता है। [12:18] रत्नत्रय (दर्शन-ज्ञान-चारित्र): ये तीनों एक साथ मोक्ष का मार्ग हैं; ज्ञान अकेला काफी नहीं, तीनों की एकता अनिवार्य है। [15:24] ज्ञान में रुकावट (कर्म): [15:41] ज्ञानावरणीय कर्म: जो आत्मा की जानने की स्वाभाविक शक्ति को ढकता है (जैसे बादल सूरज को ढँकते हैं)। [17:02] मोहनीय कर्म: जो ज्ञान को विकृत (डिस्टोर्ट) कर देता है (राग-द्वेष के रंगीन चश्मे की तरह)। [18:26] गुरु की भूमिका: गुरु सिर्फ जानकारी नहीं देते, बल्कि शास्त्रों के रहस्य खोलते हैं, शंकाएँ दूर करते हैं और साधना के प्रैक्टिकल तरीके सिखाते हैं। [20:13] अनेकांतवाद और स्यादवाद: अनेकांतवाद बताता है कि सत्य का स्वरूप (मल्टीडायमेंशनल) कैसा है, और स्यादवाद उस सत्य को कहने का विनम्र तरीका है (बौद्धिक अहिंसा)। [24:40] व्यावहारिक कदम: सम्यक ज्ञान को जीवन में उतारने के लिए स्वाध्याय, चिंतन-मनन, भेद विज्ञान का अभ्यास (मैं शरीर नहीं हूँ) और समता का अभ्यास ज़रूरी है। 31:04 जय जिनेन्द्र 🙏 Thank You 📿 यह वीडियो न सिर्फ़ ज्ञान की व्याख्या है, बल्कि आत्मा की शुद्धि की यात्रा भी है। जैसा कि तत्त्वार्थ सूत्र कहता है — “सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्गः।” यानी सही दृष्टि, सही ज्ञान और सही आचरण — यही मुक्ति का मार्ग है। About of Samyak Gyan: Not every knowledge is right knowledge. In Jain Dharma, Right Knowledge (Samyak Gyan) is that which reveals the soul as it truly is — pure, eternal, and free from delusion. This video explores: 🔹 What “Right Knowledge” actually means according to Jain scriptures 🔹 The difference between simple knowledge and Samyak Gyan 🔹 How karmic veils (Jnanavarniya Karma) block the light of wisdom 🔹 And how Right Knowledge bridges faith and conduct on the path to liberation As Tattvartha Sutra says — “Samyagdarshan-jnana-charitranimokshamargah.” Only when vision, knowledge, and conduct become pure together, the soul moves towards Moksha. 🔹 Presented by : Rushabh & Jinvani Shorts 🔹Research & Script: Rushabh Jain 🔸 Narration: AI Voice (Directed by Rushabh Jain) 🔸 Editing by: Rushabh Jain ✅ 100% Original content researched, written & produced by our team. #SamyakGyan #JainDharma #JinvaniShorts #MokshaMarg