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कभी मछली पालन मछुआरों तक ही सीमित था , किन्तु आज यह सफल और प्रतिष्ठित लघु उद्योग के रूप में स्थापित हो रहा है । नई-नई तकनीकी ने इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है । मत्स्य पालन रोजगार के अवसर तो पैदा करता ही है, खाद्य पूर्ति में वृद्धि के साथ-साथ विदेशी मुद्रा अर्जित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है । एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परंतु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप में नदी, तालाब और सागर में होती हैं । कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बाराबंकी जिले के देवा ब्लाक स्थित बंधिया गंगवारा गाँव निवासी मो आसिफ सिद्दीकी ने , आसिफ ने सुपर इंटेंसिव हाई डेन्सिटी एक्वा कल्चर पद्दति को कच्चे तालाब में फंगेसियस जिसको आम भाषा में बैकर कहा जाता है , मछली का पालन किया है जो पुरे देश में अकेला ऐसा एक्वा कल्चर है | इस विधि से आसिफ प्रति वर्ष लगभग 250 टन मछली का उत्पादन करते है | आसिफ सिद्दीकी मछली पालन का कार्य पिछले तीन वर्षो से कर रहे है | यह अपने 4.5 एकड़ भूमि में 50*60 और 50*70 फिट के कुल 48 छोटे छोटे तालाब बनवा रखे है जिनमे से 42 तालाबो में मछली पालन और 6 तालाबो में नर्सरी तैयार करते है | सुपर इंटेंसिव हाई डेन्सिटी एक्वा कल्चर पद्दति को कच्चे तालाब में करने की जानकारी जब एक्वा कल्चर विशेषज्ञों को हुयी तो उन्होंने विश्वास ही नहीं किया | विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक कभी कच्चे तालाब में नही हो सकती है ,लेकिन जब उन्होंने आसिफ के फार्म का निरिक्षण किया तो आश्चर्यचकित हो गए | यह 3000 वर्ग फिट के एक तालाब में लगभग 10 से 12 हजार मछलियों का पालन एक बार में करते है | हाई डेन्सिटी मछली पालन में समय समय पर तलब का पानी बदलना पड़ता है जिसके लिए आसिफ ने सभी तालाबो को पाइप लाइन से जोड़ रखा है और इसका ड्रेनेज सिस्टम भी बना रखा है | तालाबो से निकलने वाला पानी फसलो के लिए बहुत अच्छा होता है इसलिए इस पानी से आसिफ अपने और आस-पास के लोगो के खेतो की सिचाई में प्रयोग करते है | आसिफ ने सभी तालाबो में ऐरियेसन सिस्टम का जाल बिछा रखा है क्योकि हाई डेन्सिटी होने के कारण तालाबो में ऑक्सीजन की कमी और कुछ गैसे बनती है जिनको ऐरियेशन सिस्टम के द्वारा नियंत्रित किया जाता है | आसिफ के मछली पालन के तकनीक की जानकारी लेने के लिए देश के दूर दराज के किसान इनके फार्म पर लगातार विजिट करते रहते है ,जिनको आसिफ सुपर इंटेंसिव हाई डेन्सिटी एक्वा कल्चर पद्दति से जुडी सभी जानकारी देते रहते है | आसिफ के मुताबिक एक मछली पर लगभग 70 रुपये खर्च आता है जो बाज़ार में ९० से 100 रुपये में बिकती है | आसिफ सिद्दीकी मछली पालन को एक अच्छा व्यवसाय मानते है उनका कहना है कि किसानो और बेरोजगार युवक इसे अपनाकर अपना खुद का रोजगार शुरू कर सकते है इसके लिए सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाता है | • Machhali Palan Kaise Kare Shuru