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नमस्कार दोस्तों! 👋 आज के इस वीडियो में हम "स्वतंत्र भारत में राजनीति" (Politics in India since Independence) पुस्तक के अध्याय 4: 'भारत के विदेश संबंध' (India's External Relations) का विस्तृत विश्लेषण करेंगे। यह अध्याय हमें बताता है कि 1947 में आजादी के बाद कठिन वैश्विक परिस्थितियों में भारत ने अपनी विदेश नीति को कैसे आकार दिया। इस वीडियो में हम निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं को कवर करेंगे: 1. अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ और गुटनिरपेक्षता की नीति (Policy of Non-Alignment): भारत का जन्म शीतयुद्ध (Cold War) के दौर में हुआ जब दुनिया दो खेमों (अमेरिका और सोवियत संघ) में बंट रही थी। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत की विदेश नीति के तीन मुख्य उद्देश्य तय किए: कठिन संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना, क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना और तेज आर्थिक विकास करना। इसके लिए भारत ने किसी भी सैन्य गठबंधन (जैसे NATO) में शामिल न होकर 'गुटनिरपेक्षता' (Non-Alignment) की नीति अपनाई। 2. एफ्रो-एशियाई एकता (Afro-Asian Unity): नेहरू के दौर में भारत ने एशिया और अफ्रीका के नव-स्वतंत्र देशों के साथ गहरे संपर्क बनाए। 1947 में एशियाई संबंध सम्मेलन और 1955 में बांडुंग सम्मेलन (Bandung Conference) आयोजित किए गए, जिससे गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) की नींव पड़ी। 3. चीन के साथ शांति और संघर्ष (India-China Relations): • शुरुआत: 1949 की चीनी क्रांति के बाद भारत ने चीन के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाए और 1954 में 'पंचशील' (Panchsheel) के सिद्धांतों की घोषणा की। • विवाद: 1950 में चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा और 1959 में दलाई लामा को भारत में शरण देने से तनाव बढ़ा। इसके अलावा अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश (NEFA) को लेकर सीमा विवाद हुआ। • 1962 का युद्ध: अक्टूबर 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया। इस युद्ध में भारत को सैनिक पराजय झेलनी पड़ी, जिससे देश की छवि और नेहरू की विदेश नीति को गहरा धक्का लगा। 4. पाकिस्तान के साथ युद्ध और शांति (Wars with Pakistan): • कश्मीर मुद्दा और सिंधु जल संधि: आजादी के बाद से ही संघर्ष जारी रहा, हालांकि 1960 में नेहरू और अयूब खान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए। • 1965 का युद्ध: लाल बहादुर शास्त्री के समय पाकिस्तान ने गुजरात और कश्मीर में हमला किया। यह युद्ध ताशकंद समझौते (1966) के साथ समाप्त हुआ। • 1971 का बांग्लादेश युद्ध: आंतरिक संकट के कारण पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में मुक्ति संग्राम छिड़ा। भारत की मदद से 1971 में पाकिस्तान की हार हुई और एक नए राष्ट्र 'बांग्लादेश' का उदय हुआ। इसके बाद 1972 में इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच 'शिमला समझौता' हुआ। • कारगिल संघर्ष (1999): वीडियो में हम 1999 के कारगिल युद्ध पर भी चर्चा करेंगे। 5. भारत की परमाणु नीति (India’s Nuclear Policy): होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में भारत ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम शुरू किया। भारत ने भेदभावपूर्ण परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत ने 1974 (पोखरण-I) और 1998 में परमाणु परीक्षण कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया और 'पहले प्रयोग नहीं' (No First Use) की नीति अपनाई। -------------------------------------------------------------------------------- सादृश्य (Analogy) द्वारा समझें: भारत की विदेश नीति को 'कच्ची सड़क पर साइकिल चलाने' जैसा समझा जा सकता है। आजादी के बाद दुनिया की सड़क उबड़-खाबड़ थी (शीतयुद्ध और तनाव), लेकिन भारत ने 'गुटनिरपेक्षता' रूपी संतुलन का पहिया संभाले रखा ताकि वह किसी एक तरफ (अमेरिका या रूस की खाई में) गिरने के बजाय, अपनी स्वतंत्र मंजिल (विकास) की ओर बढ़ता रहे। 💡 Notes & Key Takeaway: यह चैप्टर न केवल इतिहास है, बल्कि यह समझाता है कि आज भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र कैसे बना। 👍 Like, Share और Subscribe करना न भूलें ताकि आप अगला चैप्टर मिस न करें! #Class12PoliticalScience #IndiasExternalRelations #NAM #IndiaChinaWar #IndiaPakistanWar #BoardExams2024 #NCERTHindi