У нас вы можете посмотреть бесплатно मामा भांजा दरगाह जहा सिर्फ इंसान है नहीं जानवर भी सजदा करने आते है|| Mama bhanja dargah|| Hindipack или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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अस्सलामु अलैकुम दोस्तों, आज के विडियो में हम आपको मशहूर 2 एसी दरगाहो के बारे में बताएँगे जहाँ हर साल मुस्लिम ही नहीं बल्कि हर कौम के लाखो लोग मन्नत मांगने जाते है और मन्नत पूरी होने पर चादर चढ़ा कर सजदा करते है| इन दरगाहों के बारे में कहा जाता है की यहाँ मांगी हुई मन्नत जरुर पूरी होती है| पर केवल इन्सान ही नहीं, इन दरगाहो पर कोई और भी सजदा करने आता है आइये जानते है वो कौन है और क्यों आता है तो दोस्तों स्वागत है आपका हिंदी पैक चैनल में और आज के इस विडियो में हम बात करने वाले है मामा भांजे की दरगाह के बारे में तो चलिए विडियो शुरू करते है- हरियाणा में स्थित सोनीपत के ओल्ड डीसी रोड पर मामा-भांजा की दरगाह मौजूद है | आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की यह दरगाह हिन्दू-मुस्लिम एकता व आपसी प्यार की प्रतीक माना जाती है। पर हिन्दू मुस्लिम मोहब्बत की प्रतीक इस दरगाह का वाकया भी रोचक है , चलिए सीधे वाकये पर चलते है - आज से सैकड़ों साल पहले की बात है| शहर के नजदीक गांव में एक कुटिया में एक मंदिर था जहाँ गढी ब्राह्मणान का एक बूढा पंडित रहता था और पूजा करता था। एक दिन अल्लाह के रसूल पर चलने वाला एक फकीर मंदिर में पहुंचा और पंडित से कुटिया परिसर अपने जिस्म को छोड़ने की ख्वाईश जताई| इसके साथ ही उस फ़क़ीर ने पंडित से कहा की मेरा भांजा रोहतक रहता है उसे भी बुलवा दो| वह पंडित बूढा था उसे ठीक से दिखाई भी नहीं देता था। पंडित ने लाचारी जताई तो फकीर ने कहा कि अपने हाथों से अपनी आखें को छूवों। कहते है की जैसे ही पंडित ने अपनी आंखों को हाथ लगाया, फ़क़ीर के मुह से एक लफ्ज निकला , “या अल्लाह रहम कर” बस फ़क़ीर के एसा कहते ही उस पंडित की आखों की रोशनी ठीक हो गई। यह चमत्कार होने के बाद पुजारी रोहतक गया और फकीर के भांजे को साथ लेकर लौटा। तब फकीर ने पंडित से कहा की उसने अंतिम समय में उसके बनजे से मिलवाया है तो वो अगर कुछ मांगना चाहे तो मांग सकता है| तब पंडित ने कहा कि लोगों की भलाई के लिए यहां से बहने वाली यमुना का बहाव मोड़ दो, और इसी कारण आज भी यमुना नदी सोनीपत से दूर ही बहती है और दूसरा ये की तुम्हारी इस दरगाह पर गढी ब्राह्मण के पंडित ही पहली चादर चढाएंगे। और आज के समय भी इस दरगाह पर पहली चादर गढी ब्राह्मण के पंडित चढाते हैं। आपको बता दूँ की फकीर के भांजे ने भी यहां पर ही आखरी सांस ली। और इसी तरह वो कुटिया की जगह बन गई मामा-भांजे की यह मजार। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की बाबा की मजार पर आस्था की ज्योत जलती रहती है। और इसी कारण आज के समय यह दरगाह आपसी भाईचारे की मिसाल बन गई। इस दरगाह पर हर साल सभी धर्मों के लोग लाखो लोग यहां आकर मन्नत मांगते हैं और यहां पर वर्ष में एक बार सालाना उर्स व वार्षिक मोहरम मनाया जाता है मामा-भांजा की दरगाह पर उर्स पर पहली चादर गढ़ी ब्राह्मणान गांव की ओर से पेश की जाती है। उसके बाद आल इंडिया सूफी संत की तरफ से चादर चढाई जाती है। इसके बाद मामा-भांजा दरगाह पर आने वाले श्रद्धालु चादर चढ़ाते हैं। हर वीरवार को मामा-भांजा दरगाह पर हर समुदाय से लोग आकर ज्योत लगाकर प्रसाद चढ़ाते हैं और दरगाह पर मत्था टेक कर मन्नते मांगते हैं। लोगो की माने तो यहां पर आकर जो श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है। यह थी सोनीपत में स्थित मामा भांजा की दरगाह अब बात करते है ठाणे में स्थित मामा भांजा दरगाह के बारे में - जी हाँ दोस्तों ठाणे में मामा भांजा की दरगाह कौमी एकता की जीवित मसाल है| और आप यह जानकर चौंक जायेंगे की इस दरगाह में जहरीले सांप भी सजदा करने आते है| पर आज तक किसी भी सांप ने अल्लाह के किसी भी बन्दे को कभी नहीं डसा| और आपको इस दरगाह के वाकये को जानकर और ज्यादा हैरानी होगी| जी हाँ दोस्तों करीब 400 साल पहले की बात है मुंबई में स्थित माहेगिरी मस्जिद में इबादाती अपनी इबादत में मशगुल थे| तभी एक फ़क़ीर उनके पास पहुंचा और गुजारिश करी की माहेगिरी मस्जिद के पास पहाड़ के ऊपर दो मैयते तैयार है| अगर आप उनको दफ़नाने में मदद करेंगे तो अल्लाह का रहम आप पर बरसेगा| इबदाती उस आदमी के साथ जाने को तैयार हो गए| वो उस फ़क़ीर के पीछे पीछे पहाड़ की चोटी पर पहुँच गए| जब तक लोग चोटी पर पहुचे फ़क़ीर अचानक से कही गायब हो चुके थे| तब लोगो ने पहाड़ के ऊपर दो कफ़न से ढकी दो मैयते देखी| जब उनके चेहरे से कफ़न हटाया गया तो सभी लोग हैरान रह गए| क्योंकि उनमे से एक मैयत उसी फ़क़ीर की थी| फिर लोगो ने फैसला किया की अल्लाह की यही मर्जी है इनको इसी पहाड़ पर दफनाया जायेगा| पर पहाड़ पर कब्र खोदना किसी चुनौती से कम नहीं था| लोगो के पास कोई औजार नहीं था फिर उन्होंने अल्लाह से इबादत करी और हाथो से ही पहाड़ पर कब्र खोदना शुरू किया| अल्लाह से रहम से पहाड़ भी नर्म हो गया और लोगो ने केवल हाथो से कुछ ही देर में दो कब्रे खोद डाली| फिर फ़क़ीर और दुसरे बन्दे को उसी पहाड़ की चोटी पर दफन किया गया| तब से लेकर आज तक हर कौम के लोग इस दरगाह पर जाकर मन्नत मांगते है| अगर लोगो की मानी जाये तो इस दरगाह पर मन्नत मांगकर चादर चढाने से मन्नत कुछ ही समय में पूरी हो जाती है| और अगर आप इस दरगाह पर जायेंगे तो आपको दरगाह पर बहुत से जहरीले सांप दिखेंगे जो हर रोज इस दरगाह पर हाजरी देने आते है| लोगो की माने तो आज तक किसी भी इन्सान को सांप ने नहीं काटा है| यह बात भी अपने आप में हैरान करने वाली है| Channel Link: / @hindipack #hindipack #Qudrat ka karishma #india ke is dargah me sanp hazri dene aate hai #kis dargah me sanp hazri dene aate hain,indian dargah #famous dargah,