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Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 37 - Shri Krishna made Kubja beautiful श्रीकृष्ण के मथुरा आगमन की सूचना पाकर कंस अपने मंत्री चाणुर के साथ मंत्रणा करता है कि नगर सीमा में प्रवेश करते ही कृष्ण को किस प्रकार मरवाया जा सकता है। चाणुर कंस को परामर्श देता है कि मथुरावासी जान चुके हैं कि कृष्ण देवकी का आठवाँ पुत्र है और उनकी रक्षा करने आ रहा है। अपने युवराज की यूँ हत्या होते देख नागरिक भड़क जायेंगे। इसलिये दिन के उजाले में कृष्ण का मथुरा में राजकीय अतिथि के रूप में स्वागत किया जाये जिससे नगरवासी निश्चिन्त हो जाऐं। इसके बाद कल सवेरे जब कृष्ण रंगशाला में जाएं तब मार्ग में कुवलियापीठ नामक हाथी से उन्हें कुचलवा दिया जाये। इस हाथी में दस हजार हाथियों के बराबर बल है। चाणुर की दूसरी जुगत यह थी कि यदि कृष्ण हाथी से बचकर भाग निकले और रंगशाला पहुँच जाएं तो वहाँ कृष्ण को मल्लयुद्ध की चुनौती दी जाये। कंस के मुष्ठ पहलवान अखाड़े में कृष्ण के शरीर को चीर देंगे और इस दशा में भी नागरिकों का यह भ्रम टूट जायेगा कि कृष्ण उनका तारणहार था। चाणुर की सूचना सटीक थी। हर मथुरावासी कृष्ण के दर्शन को उतावला होता है। कृष्ण के स्वगत के लिये कुछ युवतियां तो राजकीय पुष्प वाटिकाओं से पुष्प लाने का साहस दिखाती हैं। पुष्पवाटिका का माली उन्हें महाराज कंस के सैनिक बुला लेने की धमकी देता है तो एक युवती निर्भीकता से कहती है कि अब हमने कंस से डरना छोड़ दिया है क्योंकि आज हमारा तारणहार कृष्ण आ रहा है। अक्रूर का रथ श्रीकृष्ण और बलाराम को लेकर नगर द्वार के समीप पहुँचता है। नगर की भव्यता को देखकर श्रीकृष्ण इस पुण्य धरती की महिमा का बखान करते हैं। वह बताते हैं कि पूर्वकाल में मदुरा नामक एक शिवभक्त दैत्य ने इस नगरी को बसाया था इसी कारण इसका नाम मदुरा नगरी और फिर मथुरा पड़ा। इसी भूमि पर भक्त बालक ध्रुव ने तपस्या की थी और भगवान विष्णु को अपने चतुर्भुज रूप में उसे दर्शन देने आना पड़ा था। इसी कारण इस भूमि के कण-कण में दैवीय आभा है। भारत खण्ड में जो सात मोक्षदायिनी पुरी हैं, उनमें एक मथुरा भी है। यह भूमि पूजनीय है। मथुरा में प्रवेश करते ही नागरिक उनकी जय जयकार पुष्प वर्षा करते हैं। जयकारे की गूँज कारागार की दीवारों को भेदकर देवकी और वसुदेव के कानों तक पहुँचती हैं। आल्हादित होकर देवकी अपने पुत्र को देखने के लिये कारागार के ऊँचे झरोखे तक पहुँचने का असफल प्रयास करती हैं। कंस की फुलवारी का माली भी भीड़ को चीरता हुआ कृष्ण के रथ के समीप पहुँचता है। वह कृष्ण को फूलों की माला पहनाना चाहता है किन्तु भीड़ के धक्के से वह गिर पड़ता है। कृष्ण रथ रुकवाकर उतरते हैं और माली को उठाते हैं। माली अपने भगवान को बताता है कि एक दिन मैं ऋषि गर्ग से यह पूछने गया था कि मुझे किस जन्म के पापों के कारण अपने हाथों से वो माला बनानी पड़ती है जो पापी कंस को पहनायी जाती है। तब ऋषि ने मुझसे कहा था कि मेरे पापकर्म समाप्त होने और पुण्यकर्म उदय होने वाले हैं। आज अपने तारणहार के लिये माला बनाकर मेरा जीवन सफल हो गया। श्रीकृष्ण उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर कहते हैं कि अब से मैं तुम्हारे हाथों से बनी माला ही पहना करूँगा। कंस के अतिथिशाला में भी अक्रूर के गुप्तचर तैनात हैं। कुछ देर विश्राम करने के उपरान्त कृष्ण और बलराम रंगशाला देखने जाते हैं। मार्ग में उन्हें एक कुबड़ी स्त्री मिलती है जिसे लोग कुब्जा कहकर उपहास उड़ाया करते हैं। किन्तु कृष्ण उस स्त्री को सुन्दरी कहकर सम्बोधित करते हैं। वे उससे कहते हैं कि तुम श्रापवश कुरूप पैदा हुई थी किन्तु अब तुम्हारे श्राप की अवधि बीत चुकी है। श्रीकृष्ण अपने स्पर्श से कुबड़ी को सुन्दर परिधानों में लिपटी एक रूपवती स्त्री में परिवर्तित कर देते हैं। इस सुन्दर स्त्री के संकल्प पर श्रीकृष्ण उसे वचन देते हुए कहते हैं कि मैं एक दिन तुम्हारी कुटिया में आऊँगा और तुम्हारा आतिथ्य स्वीकार करूँगा। श्रीकृष्ण बताते हैं कि त्रेतायुग में जब मैं राम अवतार के समय धरती पर आया था तब तुमने पूर्व जन्म में मेरे लिये बड़ी तपस्या की थी। कृष्ण कहते हैं कि मुझ पर तुम्हारे पूर्व जन्म का ऋण है जो मैं अब द्वापर युग में चुकता करने आया हूँ। यह सुनकर स्त्री श्रीकृष्ण के चरणों में सिर रख देती है और शबरी की तरह जीवन भर उनकी बाट जोहने की बात कहती है। इसके बाद कृष्ण और बलराम शिव धनुष के दर्शन करते हैं। कैलाश पर्वत पर बैठे महादेव उनका नमन स्वीकार करते हुए उन्हें प्रणाम करते हैं। Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर Chief Asst. Director - Yogee Yogindar मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर Camera - Avinash Satoskar कैमरा - अविनाश सतोसकर Music - Ravindra Jain संगीत - रविंद्र जैन Lyrics - Ravindra Jain गीत - रविंद्र जैन Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव Cast / पात्र Sarvadaman D. Banerjee सर्वदमन डी. बनर्जी Swapnil Joshi स्वप्निल जोशी Ashok Kumar अशोक कुमार बालकृष्णन Deepak Deulkar दीपक डेओलकर Sanjeev Sharma संजीव शर्मा Pinky Parikh पिंकी पारिख Reshma Modi रेशमा मोदी Shweta Rastogi श्वेता रस्तोगी Paulomi Mukherjee पौलोमी मुखर्जी In association with Divo - our YouTube Partner #shreekrishna #shreekrishnakatha #krishna