У нас вы можете посмотреть бесплатно हरिराम गुर्जर ढोला लोकगीत (दिल्ली युद्ध 2) महाराजा सूरजमल का इतिहास Maharaj Surajmal History или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
Если кнопки скачивания не
загрузились
НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если возникают проблемы со скачиванием видео, пожалуйста напишите в поддержку по адресу внизу
страницы.
Спасибо за использование сервиса ClipSaver.ru
©SAV 6591_TrLive SUBSCRIBE : https://goo.gl/ISXUxf Dhola Lokgeet - Bharatpur Itihas (Maharaja Surajmal Ka Delhi Yudh 2) Artist - Vinod, Rakesh, Sudharth, Devvati, Yogita, Namrta Singer - Hariram Gurjar Music - Hansraj & Party Writer - Prithvi Singh Bedhadak Director - Bablu Anuj Producer - Shubham Audio Video DIGITAL PARTNER - Vianet Media Pvt. Ltd Presented By - Rathore Cassettes Official Whatsapp Number ✆ - (9818995706) Music Label - Rathore Cassettes Official Copyrights - Shubham Audio/Video Mail Us ✉ - [email protected] Contact Company (Person) :- Sheetal Kumar (9717072059) CONTACT FOR RELEASE YOUR AUDIO/VIDEO .... { 09810082706, 9717072059 } महाराजा सूरजमल राजनीतिकुशल, दूरदर्शी, सुन्दर, सुडौल और स्वस्थ थे। उन्होने जयपुर के महाराजा जयसिंह से भी दोस्ती बना ली थी। २१ सितम्बर १७४३ को जयसिंह की मौत हो गई और उसके तुरन्त बाद उसके बेटों ईश्वरी सिंह और माधोसिंह में गद्दी के लिये झगड़ा हुआ। महाराजा सूरजमल बड़े बेटे ईश्वरी सिंह के पक्ष में थे जबकि उदयपुर के महाराणा जगत सिंह माधोसिंह के पक्ष में थे। बाद में जहाजपुर में दोनों भाईयों में युद्ध हुआ और मार्च १७४७ में ईश्वरी सिंह की जीत हुई। एक साल बाद मई १७४८ में पेशवाओं ने ईश्वरी सिंह पर दबाव डाला कि वो माधो सिंह को चार परगना सौंप दे। फिर मराठे, सिसोदिया, राठौड़ वगैरा सात राजाओं की फौजें माधोसिंह के साथ हो गई और ईश्वरीसिंह अकेला पड़ गये मई १७५३ में महाराजा सूरजमल ने फिरोजशाह कोटला पर कब्जा कर लिया। दिल्ली के नवाब गाजी-उद-दीन ने फिर मराठों को सूरजमल के खिलाफ भड़काया और फिर मराठों ने जनवरी १७५४ से मई १७५४ तक भरतपुर जिले में सूरजमल के कुम्हेर किले को घेरे रखा। मराठे किले पर कब्जा नहीं पर पाए और उस लड़ाई में मल्हार राव का बेटा खांडे राव होल्कर मारा गया। मराठों ने सूरजमल की जान लेने की ठान ली थी पर महारानी किशोरी ने सिंधियाओं की मदद से मराठाओं और सूरजमल में संधि करवा दी।