У нас вы можете посмотреть бесплатно HIMALAYAN HIGHWAYS| अग्निकुंड में भूमियाल देवताओं का अवतरण | उत्तराखंड की धार्मिक आस्था| UTTARAKHAND или скачать в максимальном доступном качестве, видео которое было загружено на ютуб. Для загрузки выберите вариант из формы ниже:
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@HimalayanHighways हिमालयन हाइवेज। HIMALAYAN HIGHWAYS देवभूमि उत्तराखंड में आस्था और श्रद्धा के साथ देवताओं और इंसानों का भावुक करता सम्बन्ध..... देवभूमि की पवित्र जमीन और इस भूमि के भूमियाल देवताओं का आशीष.... पवित्र अग्नि देवता के आशीष के साथ अग्निकुंड में अवतरित होते भूमियाल देवता..... पहाड़ों की जमीन पर बेटी बहुओं को हिम्मत देकर जीवन में आगे बढ़ने का विश्वास दिलाते देवता... बैसाख के महीने की शुरुआत में रात के घने अंधेरे में जंगल के बीच पारम्परिक मंत्रोच्चार के बीच अग्निकुंड में अग्नि प्रवाहित करते ब्राह्मण और स्थानीय लोगों की तस्वीरें सदियों से चली आ रही परम्पराओं की गवाही देती है । रात भर अग्निकुंड में जलती लकड़ियों की लपटें हवा के साथ अपना आकर बदलती है लेकिन इनकी गर्म आंच को हवा भी ठंडी नही कर पाती। रात भर जलती लकड़ियां जब सुबह दहकते अंगारों में तब्दील होकर हल्की राख की परत ओढ़ लेती है तो तब इस अग्निकुंड में अवतरित होते है भूमियाल देवता। नंगे पैर दहकते अंगारों के बीच देव अवतरण की ये तस्वीरें लोकसंस्कृति का अहम हिस्सा है। नमस्कार हिमालयन हाइवेज के एक ओर खास एपिसोड में आपका स्वागत है. बैसाख का महीना पहाड़ों की जिंदगी में किसी उत्सव से कम नही होता और उत्सव के इस महीने में भला भगवान शामिल न हो यह कैसे सम्भव हो सकता है। खेतों से घर पहुंची नई फसल और सर्दियों से गर्मियों की तरफ बढ़ते इस मौसम में देवताओं का आशीष इंसानों को नई ऊर्जा देता आया है। देवी-देवताओं के आशीष वाली इस जमी पर धार्मिक आस्थाओं का अपना प्रभाव भी नजर आता है। क्षेत्र विशेष में देवी देवताओं के पूजन के अपने नियम कायदे है और यही उत्तराखण्ड की धार्मिक सँस्कृति के अनेक रूपों में नजर आते है। हिमालयन हाइवेज आज आपके लिए लेकर आया है भूमियाल देवताओं के अवतरण ओर आशीष देने की पौराणिक परम्परा को...देवताओं के साथ इंसानों का सम्बंध भगवान ओर भक्त का रहा है लेकिन जब आप सुदूर उत्तराखण्ड में देवताओं और भगवान के सम्बंध को आंकते है तो यह सम्बन्ध इससे कही ज्यादा नजर आता है। भक्त और भगवान के एक दूसरे को मनाने, एक दूसरे को गले लगाकर हौसला देने, कभी नाराज होकर कभी खुश होकर निर्देश देने और आखिर में आशीष देने की ये तस्वीरें हर किसी को भावुक कर जाती है। घर घर अपने लोगों से मिलने पहुंचे देवता ओर उनका सत्कार पहाड़ी जीवनशैली का अहम हिसा है । तस्वीरों में देखिये कैसे भूमियालनदेवताओं की पूजा की जाती है। तस्वीरे उत्तराखण्ड के नारायणबगड़ स्थित सण कोट गांव की है जहां साल भर आयोजित धार्मिक आयोजन आज भी बड़े उल्लास ओर एकजुटता से आयोजित किये जाते है। सण कोट गांव में माता नागनी का आशीष रहा है और हमेशा से माता नागनी मन्दिर यहां आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। गांव के वन क्षेत्र में स्थित पाताल सैन में हर साल नागनी माता के निनित नाग देवताओं की पूजा की परंपरा रही है और रात के अंधेरे में आयोजित इस पूजा के साथ भूमियाल देवताओं का भी आह्वान किया जाता है। चार पहर चलने वाली इस पूजा में एक बड़ा अग्निकुंड बनाया जाता है जिसमें सुबह के वक्त अवतरित होकर भूमियाल देवता कूदते है। गौरवशाली धार्मिक आस्था से परिपूर्ण उत्तराखण्ड के लोकसमाज में यही से भगवान के साथ एक रिश्ते की शुरुआत होती है। भूमियाल देवताओं के अवतरण के बाद उनके निशानों को सजाया जाता है। इन निशानों को सजाकर स्थानीय लोकजागरों के साथ देवताओं का आह्वान किया जाता है और निर्देश मिलने के बाद फिर ये निशान लोगों को आशीष देने घर घर पहुंचते है। यहां दृश्य भावुक होते है क्योंकि भगवान यहां खुद लोगों से संवाद करते है। घर मिलने आये देवता को भेंट देना और बदले में आशीष प्राप्त करना परम्परा ओर उत्तराखण्ड के सत्कार सम्पन्न समाज का हिस्सा है। घर आये देवता से मनोकामना पूर्ति हो या फिर अपनी नाराजगी सब कुछ लोग बयां करते है। तस्वीरे गवाह है कैसे उत्तराखण्ड का समाज आज आधुनिकता के बाद भी अपनी लोकोरम्पराओ का निर्वहन करता है। लोकपरंपराओं के निर्वहन के इस आयोजन में सबसे महत्वपूर्ण सहभागिता है और स्थानीय लोगों की एकजुटता महत्वपूर्ण रही है। धार्मिक आयोजनों में युवा सबसे बड़ी भूमिका निभाते आये है और आयोजन जब गांव से बाहर हो तो युवाओं के कंधे पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी होना लाजिमी है और यही हमेशा से होता आया है।हिमालयन हाइवेज के आज के एपुसोड में इतना ही आपको हमारा यह एपिसोड कैसा लगा कमेंट कर जरूर बताएं साथ ही हमारे चैनल को अवश्य सब्सक्राइब करें। धार्मिक आस्था और पहाड़ों की जीवनशैली से जुड़े पौराणिक परम्पराओं को आप हमारे साथ नीचे दिए व्हाट्सअप नम्बर पर भी साझा कर सकते है। मोबाईल - 9634544417 हिमालयन हाइवेज, उत्तराखंड,चमोली, थराली, देवाल, नारायणबगड़, सणकोट, भूमियाल देवता, धार्मिक आस्था, देवताओं का अवतरण, लोकसंस्कृति और लोकनृत्य, अग्निकुंड में देववतरण,उत्तराखंड में देवपूजन, लाटू देवता, भूमियाल देवताओं का आह्वान, भूमि के भूमियाल,