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हर हर महादेव!!! हरी अनंत हरी कथा अनंता भक्तों, हरी की कथा, हरी की लीला, हरी के स्वरुप, हरी के नाम सब अनंत हैं , जिस प्रकार हरी अनंत हैं उसी प्रकार उनके धाम भी अनंत हैं, हरी के प्रत्येक स्वरुप और नाम की महिमा स्वयं हरी की ही महिमा है, इसीलिए प्रत्येक धाम की महिमा भी अनंत है, परन्तु हरी के सर्वोच्च धामो में से एक हर की पौड़ी की महिमा ऐसी अधभुत है की स्वयं यमराज जी भगवान् से कहते नहीं अघाते कि आप परम दयालु हैं आपने कलयुगी जीवो के लिए आसानी से बैकुंठ के द्वार खोल दिए हैं, अर्थात जो भी हर की पौड़ी जाकर गंगा स्नान करेगा उसे वही गति मिलेगी जो वो चाहता है, ऐसी अध्भुत महिमा वाला धाम है हर की पौड़ी और यहाँ होने वाली ""गंगा आरती"" जन्म- जन्म के पापो से छुटकारा देने वाली है. तो आइये आज हमारा तिलक परिवार आपको दर्शन करवाने जा रहा है पवित्र, मोक्षदायक ""हर की पौड़ी"" धाम तथा यहाँ होने वाली ""गंगा आरती"" के । हर की पौड़ी और गंगा आरती के बारे में: भक्तों, हर की पौड़ी या हरी की पौड़ी, उत्तराखंड की धार्मिक नगरी हरिद्वार का एक पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है , इसका अर्थ है हरी यानि भगवान नारायण के चरण, भक्तो हर की पौड़ी गंगा तट पर एक प्रसिद्द घाट है, यहीं से गंगा जी पर्वतो से निकलती हुयी मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। पुराणों में इस क्षेत्र को मायापुरी कहा गया है, भक्तों, हर की पौड़ी में ही ब्रह्म कुंड पर गंगा जी की आरती होती है जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। इस क्षेत्र में गंगा जी में मनुष्य के सभी पापो को धो डालने की शक्ति है, यहाँ पर एक पत्थर में श्री हरी के चरण चिन्ह भी अंकित हैं, ये घाट गंगा नदी की नहर के पश्चिम तट पर है, जहाँ से नदी उत्तर की ओर मुड़ जाती है, हर शाम सूर्यास्त के समय साधु -सन्यासी यहाँ गंगा आरती करते हैं, उस समय नदी का नीचे की ओर बहता हुआ जल पूरी तरह से दीपको की रौशनी से प्रकाशित हो उठता है। हर की पौड़ी की पौराणिक कथा: भक्तों, इस पवित्र स्थल से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है की समुद्र मंथन के समय जब भगवान् धन्वंतरि अमृत के लिए झगड़ रहे देव और असुरो से अमृत बचाकर ले जा रहे थे तो अमृत की कुछ बूँदे पृथ्वी पर गिरी, जहाँ -जहाँ अमृत की बूंदे गिरी वही स्थान पवित्र धार्मिक स्थल बन गए, भक्तो हरिद्वार में इस स्थान पर भी अमृत की बूंदे गिरी जो कालांतर हर की पौड़ी के रूप में विश्व प्रसिद्द पवित्र धार्मिक स्थल बन गया, यहाँ पर गंगा स्नान का विशेष महत्त्व है, कहा जाता है की यहाँ एक बार का गंगा स्नान ही किसी को मोक्ष पद प्रदान करने वाला होता है। गंगा माता की आरती: भक्तो, हर की पौड़ी में विश्व प्रसिद्द गंगा जी की आरती होती है...इस आरती में बहुत बड़ा जन समूह एकत्रित होता है , इसकी भव्यता दर्शनीय है, हर की पौड़ी ब्रह्म कुंड पर इस अतिभव्य और दिव्य आरती का आयोजन वहां के सभी पण्डे, पुजारी अपने अपने स्थान पर तैयारी से एक साथ करते हैं , पुजारी बड़े-बड़े दीपक हाथो में लेकर घाट पर आरती के लिए आ जाते हैं, आरती में भाग लेने वाले भक्तजन भी दीपक लेकर आरती के लिए पहले से तैयार रहते हैं।आरती का आयोजन इतना विशाल और दिव्य होता है कि आरती के समय शरीर पुलकायमान हो उठता है, रोम रोम में दिव्य शक्ति का संचार हो जाता है, इतने बड़े घाट पर एक साथ जब शंख ध्वनि, घंटा ध्वनि, घड़ियाल और महा आरती की दिव्य ध्वनिया गूंजती हैं तो वातावरण में एक अलग ही दिव्य ऊर्जा संचरित हो उठती है, भक्तो एक साथ हज़ारो भक्तो का समूह हाथ में दीपक लिए गंगा माँ की आरती एक साथ करता है, तो इस दृश्य को देखने मानो देवता भी आकाश में उपस्थित हो उठते हैं। गंगा जल में दियो का प्रतिबिम्ब टिमटिमाते सितारों की तरह दर्शनीय होता है। आरती की महत्ता: भक्तों गंगा जी की आरती की महत्ता कहने में बड़े-बड़े ऋषि-मुनि भी समर्थ नहीं हैं, अंत में सब एक बात कह देते हैं की जैसी जिसकी भावना माँ गंगा उसको उतना देती हैं, और जिसकी कोई भी भावना नहीं वो भी यहाँ से खाली हाथ नहीं जाता, भक्तो गंगा जल भगवान नारायण के चरणों का धोवन है इसलिए ये हमेशा पावन रहता है, राक्षस राज बलि से तीन पग भूमि मांगकर बामन रूप भगवान ने जब पहले पग से पृथ्वी को नाप लिया तो दूसरे पग से स्वर्ग आदि लोकों को नापता हुआ भगवान का पग जब ब्रह्म लोक पहुंचा तो ब्रह्मा जी ने भगवान के चरण को पखारकर वो जल अपने कमंडल में भर लिया, भक्तों वही गंगा जी हैं, जब भागीरथ ने तपस्या करके अपने पूर्वज सगर के पुत्रो के उद्धार के लिए गंगा जी से प्रार्थना की तब गंगा जी पृथ्वी पर आयीं, इसलिए गंगा जल हमेशा पवित्र ही रहेगा क्यूंकि ये श्री हरी नारायण का चरणामृत है, तो भक्तों इनकी महिमा बताने में स्वायं ब्रह्मा जी भी समर्थ नहीं है। भक्तो, यम राज जी ने एक बार भगवान् से पूछा भी था की कलयुग के सब लोग तो गंगा जी के सहारे पार हो जायेंगे फिर यम पूरी कौन आएगा, पार्वती जी ने भी यही प्रश्न भगवान् भोलेनाथ से किया था, शिव जी ने भी माँ पार्वती को यही कहा था, जो भगवान् नारायण ने यम राज से कहा था - गंगा जी में स्नान और भाव से इनकी आरती करने से जो चाहो फल ले लो, गंगा जी मोक्ष देती हैं, स्वयं श्री हरी विष्णु को प्रदान कर सकती हैं, लौकिक सुखो का तो कहना ही क्या है, पर जिन्हें विश्वास नहीं उन्हें ही यम यातना भोगनी पड़ती हैं। श्रेय: लेखक - याचना अवस्थी यहाँ मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहाँ यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. #devotional #hinduism #haridwar #ganga #harkipauri #gangaarti ##tilak #travel #vlogs