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🙏नमस्कार दोस्तों, हमारे चैनल [आपके चैनल का नाम यहाँ लिखें] में आपका स्वागत है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं स्वामी ब्रह्मानंद जी का एक अत्यंत प्रभावशाली निर्गुण भजन - "घट ही में अविनाशी"। यह भजन हमें सिखाता है कि ईश्वर को बाहर मंदिरों या तीर्थों में खोजने की बजाय, अपने भीतर खोजना चाहिए। कस्तूरी मृग की तरह परमात्मा हमारे हृदय में ही वास करते हैं। इस भजन का मुख्य संदेश है - "आत्म-चिंतन"। जब हम एकांत में बैठकर ध्यान करते हैं, तभी हमारे भीतर का अंधकार मिटता है और ज्ञान का प्रकाश होता है। 🎶 भजन के बोल (Lyrics): घट ही में अविनाशी साधो, घट ही में अविनाशी रे॥ काहे रे नर मथुरा जावे, काहे जावे काशी रे। तेरे तन में बसे निरंजन, जो बैकुण्ठ बिलासी रे॥ नहिं पाताल नहिं स्वर्ग लोक में, नहिं सागर जल राशी रे। जो जन सुमिरण करत निरंतर, सदा रहे तिन पासी रे॥ जो तू उसको देखा चाहे, सबसे होय उदासी रे। बैठ एकान्त ध्यान नित कीजे, होय जोत परकाशी रे॥ हिरदे में जब दर्शन होवे, सकल मोह तम नाशी रे। ‘ब्रह्मानंद’ मोक्ष पद पावे, कटै जन्म की फाँसी रे॥ घट ही में अविनाशी साधो, घट ही में अविनाशी रे॥ काहे रे नर मथुरा जावे, काहे जावे काशी रे। तेरे तन में बसे निरंजन, जो बैकुण्ठ बिलासी रे॥ अर्थ: हे साधुओं! वह अविनाशी परमात्मा (जिसका कभी नाश नहीं होता) तुम्हारे शरीर (घट) के भीतर ही मौजूद है। उसे बाहर ढूँढने की आवश्यकता नहीं है। जब हृदय में उस प्रभु के दर्शन हो जाते हैं, तो सारा मोह और अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है। स्वामी ब्रह्मानंद कहते हैं कि तब जीव को मोक्ष का पद प्राप्त होता है और वह जन्म-मरण के बंधन (फाँसी) से मुक्त हो जाता है। सारांश: इस भजन का मुख्य संदेश यह है कि ईश्वर किसी मंदिर, तीर्थ या बाहरी स्थान पर नहीं, बल्कि हमारे अपने हृदय में है। उसे पाने का रास्ता बाहर की यात्रा नहीं, बल्कि 'अंतर्मुखी' होकर ध्यान करना है। अगर आपको यह भजन पसंद आया हो, तो वीडियो को Like करें और ऐसे ही और संतों की वाणी सुनने के लिए हमारे चैनल को Subscribe करना न भूलें। @Hirday Ke Aangan Mein / @hirdayke #GHAT HI MAIN AVINAASHI SAADHO #Bhajan #Devotional #HindiBhajan #BhaktiSangeet #Spiritual #Brahamand #NewBhajan2025 #MorningBhajan #PeacefulMusic #Satsang