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इस भक्ति गीत के माध्यम से मनाते है प्रभु का केवलज्ञान कल्याणक Blessing : Pu. Aa. Yashovarmsuriswarji M.S Singer : Mallika & Mahek Amit Jain Music : Manan Shah Lyrics : Pu. Sa. Vivekmalashreeji M.S Occation : पू. सा. श्री. विवेकमालाश्रीजी म. सा. के 100वी ओली पारणा निमित्त लाभार्थी : मातुश्री निर्मलाबेन राजेन्द्रभाई शाह परिवार ह. रिंकु प्रशांत शाह, मानव आदिश्वर (USA) केवलज्ञान कल्याणक (राग : घननन...लगान ) घननन (२) घन घंटा बाजे, हरख (२) मन हरखे आजे. ढमक (२) बजे ढोल नगाडे, देव-देवीया मंगल गावे, समवसरण में पधारे... समवसरण में पधारे.... प्रभुजी समवसरणमें पधारे... प्रातिहार्य की शोभा अद्भुत, जिनवर के यश गावे, स्वर्ण रजत मणि माणेक के गढ, देवो तीन रचाये; झरमर बरसे पुष्पधारा, सुर रेलाये मंगलकारा; हटे चार घाति करम, मिला ज्ञान ऐश्वर्यम्; घडी आई परम, तुं पाप से विरम; कहेंगे प्रभुजी यहाँ पर दुविध धरम; देवदुंदुभि नाद कहे, सब समवशरण मे पधारो.... वाणी जल बरसेगा, भविक मन हरसेगा, चतुर्मुख देशना सुनने आये सुर-नरवर; अशोकवृक्ष तले, सकल वांछित फले; परस्पर वैर मीटे पशु पँछी के यहाँ पर; सकल जीव के तूटे भवबंधन, विश्वकल्याणी भावो को वंदन; अनुपम प्रभु वदन, अमीरस भरे नयन, है तारण तरण, प्रभु के चरण; मैं बैठे भविजन को मिले शांति परम... घननन...घननन.....