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सरसों की खेती: बढ़िया उत्पादन के लिए कब और कैसे करें बुवाई | Mustard Seed | Mustard Farming सरसों की फसल (sarson ki fasal) लगाने के लिए खेत को अच्छी तरह से 3-4 बार जुताई कर लें. पहली जुताई के वक्त 4-5 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालकर जुताई करें. सरसों की फसल के लिए मिट्टी को भुरभुरी बना लें. खरीफ फसल के बाद सरसों की फसल करनी है तो एक गहरी जुताई प्लाऊ के साथ करनी चाहिए. बरसीम रबी मौसम में दलहनी चारे की एक महत्वपूर्ण फसल है। यह चारा घास नवंबर से मई तक 4-6 कटाई देती है। यह एक पोषक, रसीला एवं स्वादिष्ट चारा है। अत: इसे दुधारू पशुओं को खिलाने से दूध में वृद्धि तथा शारीरिक स्वास्थ्य के प्रति अच्छे परिणाम मिलते हैं। बरसीम दलहनी फसल होने के कारण मृदा की उर्वरता में वृद्धि करती है। इसका प्रयोग हरी खाद के रूप में करना भी लाभदायक होता है। इसके साथ-साथ बरसीम उगाने से मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप फसल की बेहतर उपज प्राप्त होती है। #farmerthejournalist #ftj #barseem #sarsokikheti फार्मर द जर्नलिस्ट के पीछे का मुख्य मकसद किसानों की समस्याओं को उन्ही के माध्यम से प्रशासन तक पहुँचाना है. इसके लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि कैसे वह खबर या फिर वीडियो तैयार कर भेज सकते हैं. फार्मर द जर्नलिस्ट का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को उन्ही से समझकर उसे आगे बढ़ाना है ताकि उन्हें नजर अंदाज ना किया जा सके. इसके लिए किसानों को कृषि जागरण की तरफ से ट्रेनिंग दी जाती है किसानों की समस्या का आंकलन तभी किया जा सकता है जब हम खुद उससे जुड़े हो. किसानों को कब किस समस्या का सामना करना पड़ता है या आने वाले समय में क्या होने वाला है यह एक किसान से बेहतर और कोई नहीं बता सकता. ऐसे में किसानों की समस्या को जड़ से समझकर उसका समाधान निकालने के लिए कृषि जागरण और उसकी पूरी टीम ने आज से कुछ समय पहले एक सफल प्रयास की शुरुआत की थी. जिसको हम सब “फार्मर द जर्नलिस्ट” के नाम से जानते हैं. कृषि जागरण द्वारा शुरू की गई इस कड़ी में किसानों को शिक्षित किया जाता है कि कैसे वह अपनी समस्याओं को खबर के रूप में या फिर वीडियो बना कर हमें भेज सकते हैं. यह ही है “फार्मर द जर्नलिस्ट”