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अक्षी उपनिषद : जब दृष्टि बन जाती है ब्रह्म का मार्ग l Sanatani itihas “अक्षी उपनिषद” कृष्ण यजुर्वेद से सम्बद्ध एक अद्भुत उपनिषद है, जो सिखाता है कि नेत्र केवल दृश्य देखने का माध्यम नहीं, बल्कि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने का द्वार हैं। इस उपनिषद में चाक्षुष्मती विद्या और सात योगिक अवस्थाओं का गूढ़ वर्णन मिलता है — जहाँ साधक बाहरी प्रकाश से नहीं, बल्कि अंतरज्योति से ब्रह्म का अनुभव करता है। कथा के माध्यम से जानिए — कैसे ऋषि अंगिरस ने सूर्यदेव से दिव्य दृष्टि प्राप्त की, और कैसे वही अनुभव “अक्षी उपनिषद” का शाश्वत संदेश बन गया। 🔔 यह वीडियो केवल कथा नहीं, बल्कि ध्यान, ज्ञान और आत्म-प्रकाश की एक यात्रा है। देखिए — और महसूस कीजिए उस क्षण को, जब नेत्र बंद होते हैं… और भीतर ब्रह्म का प्रकाश प्रकट होता है। 🎥 इस वीडियो में आपको मिलेगा: 🔹 1. रहस्यमयी शुरुआत – जहाँ दृष्टि और ब्रह्म के संबंध का रहस्य उजागर होता है। 🔹 2. पौराणिक कथा – ऋषि अंगिरस और सूर्यदेव की दिव्य कथा, जिन्होंने दी चाक्षुष्मती विद्या। 🔹 3. अक्षी उपनिषद का अर्थ – इस उपनिषद का सार, उद्देश्य और आध्यात्मिक अर्थ। 🔹 4. चाक्षुष्मती विद्या – नेत्रों के माध्यम से आत्मज्ञान की प्राप्ति की प्रक्रिया। 🔹 5. सात योगिक अवस्थाएँ – साधक की चेतना की यात्रा और ब्रह्मज्ञान की सात सीढ़ियाँ। 🔹 6. ध्यान की विधि – उपनिषद में बताई गई ध्यान की गूढ़ प्रक्रिया। 🔹 7. ब्रह्मदर्शन का रहस्य – जब साधक भीतर के प्रकाश को पहचानता है। 🔹 8. आत्मज्ञान और दृष्टि की एकता का अंतिम बोध। अक्षी उपनिषद का परिचय: कृष्ण यजुर्वेद से सम्बद्ध यह उपनिषद नेत्रों को “ब्रह्म के द्वार” के रूप में वर्णित करता है। चाक्षुष्मती विद्या – नेत्रों के माध्यम से ज्ञान: वह गूढ़ विद्या जो बताती है कि नेत्रों की साधना के माध्यम से साधक आत्मा के प्रकाश का अनुभव कर सकता है। सात योगिक अवस्थाएँ जाग्रत से लेकर तुरीय अवस्था तक, वे सात सीढ़ियाँ जिनसे साधक ब्रह्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है। ध्यान की प्रक्रिया : अक्षी उपनिषद में बताई गई ध्यान की विधि — जहाँ शरीर, श्वास, और मन को संतुलित कर साधक अंतरदृष्टि तक पहुँचता है। ब्रह्मदर्शन का रहस्य: ध्यान की चरम अवस्था में साधक ब्रह्म का साक्षात्कार करता है — जब देखने वाला, देखा गया और दर्शन — तीनों एक हो जाते हैं। आत्मा और ब्रह्म का एकत्व: उपनिषद का अंतिम संदेश — आत्मा, ब्रह्म और दृष्टि — ये तीनों एक ही चेतना के स्वरूप हैं। कृष्ण यजुर्वेद के उपनिषद – अक्षी उपनिषद इसी शाखा से सम्बद्ध है, जो ज्ञान और योग दोनों का संगम प्रस्तुत करता है। वेदांत दर्शन – आत्मा और ब्रह्म के एकत्व का सिद्धांत, जो अक्षी उपनिषद के केंद्र में है। चाक्षुष्मती विद्या– नेत्रों के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने की रहस्यमयी विद्या। ऋषि अंगिरस और सूर्य उपासना – पौराणिक कथा जिसमें सूर्यदेव ने अंगिरस ऋषि को अंतर्दृष्टि का वरदान दिया। योग और ध्यान की विधियाँ- सात योगिक अवस्थाओं और ध्यान की प्रक्रिया का दार्शनिक विश्लेषण। आत्मदर्शन और ब्रह्मदर्शन- साधक की वह यात्रा, जहाँ बाह्य दृष्टि भीतर की चेतना में विलीन होती है। आत्मा और ब्रह्म का संबंध – अद्वैत वेदांत का मूल सिद्धांत — आत्मा और ब्रह्म में कोई भेद नहीं। प्रकाश और दृष्टि का प्रतीकवाद– कैसे ‘प्रकाश’ ब्रह्म का और ‘दृष्टि’ आत्मा का प्रतीक माने गए हैं। आंतरिक दृष्टि – ध्यान के माध्यम से भीतर की चेतना को देखने का विज्ञान। सनातन ज्ञान परंपरा– उपनिषदों में समाहित सनातन सत्य — “जो भीतर है वही बाहर है।” ध्यान की गूढ़ प्रक्रिया– साधक कैसे श्वास, नेत्र और मन को संयमित कर ब्रह्म को अनुभव करता है। आध्यात्मिक जागरण– अक्षी उपनिषद साधक को भौतिक दृष्टि से दिव्य दृष्टि की ओर ले जाता है। #AkshiUpanishad #अक्षी_उपनिषद #SanataniItihaas #सनातनी_इतिहास #Upanishads #VedicWisdom #VedantDarshan #BrahmaGyaan #SpiritualIndia #HinduPhilosophy #IndianScriptures #HinduDharma #VedicPhilosophy #Vedanta #AtmaGyaan #AdwaitVedanta #BrahmaTatva #SelfRealization #InnerVision #SpiritualAwakening #YogaOfVision #MeditationAndKnowledge #SuryaDev #ChakshushmatiVidya #DivineVision #UpanishadicWisdom #AkshiUpanishadExplained #VedicTeachings #AncientIndianWisdom #HinduSpirituality #SanatanGyan #BhaktiAndGyaan #OmTatSat #JaySanatan #BrahmVidya #VedicLight #SunAndSoul #AtmaBrahmaEk #SpiritualJourney 📜 Copyright Disclaimer©️ Copyright Disclaimer under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for "fair use" for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational, or personal use tips the balance in favor of fair use. The content in this video is for educational and informational purposes only. We do not intend to hurt or disrespect any religious beliefs, communities, or individuals. The information provided is based on reliable historical sources and scriptures, but interpretations may vary. Viewers are encouraged to study the scriptures for deeper understanding. This channel holds the copyright of the original content, and unauthorized reproduction or re-uploading is strictly prohibited. Please use the information positively and with an open mind. 📺 Watch on – Sanatani Itihas YouTube Channel अगर आपको यह प्रस्तुति ज्ञानवर्धक और आत्मिक लगी हो, तो वीडियो को Like, Share, और Subscribe करें ताकि “Sanatani Itihas” के साथ आप जुड़ सकें वेदों और उपनिषदों के और भी रहस्यमयी ज्ञान से। जय सूर्यनारायण। जय ब्रह्मविद्या। जय सनातन।