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0:00 Introduction 0:32 क्रिया योग और प्राणायाम 0:46 सूक्ष्म ऊर्जा और नाभि 1:06 नाभि चक्र 1:24 नाभि का ध्यान से संबंध 2:50 फ़ायदे 3:08 आध्यात्मिक महत्व 3:24 Ending:संक्षेप This video covers नाभि का रहस्य The secret of the naabhi rahasya by Paramahansa Yogananda: परमहंस योगानंद के संदर्भ में "नाभि रहस्य" का तात्पर्य "नाभि के रहस्य" से है, जो क्रिया योग और प्राणायाम पर उनकी शिक्षाओं का एक हिस्सा है। यह शरीर के भीतर सूक्ष्म ऊर्जा के संचालन से संबंधित है, विशेष रूप से नाभि (या सौर जाल) क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्राप्त करने के लिए। यह तकनीक अक्सर "नाभि चक्र" को सक्रिय करने से जुड़ी होती है, जो प्राण ऊर्जा का केंद्र है। विस्तार: • क्रिया योग और प्राणायाम: योगानंद की शिक्षाएं क्रिया योग पर जोर देती हैं, जो योग का एक विशिष्ट रूप है जिसमें प्राणायाम (श्वास नियंत्रण) और आध्यात्मिक विकास को तीव्र करने वाली अन्य तकनीकें शामिल हैं। • सूक्ष्म ऊर्जा और नाभि: क्रिया योग में, नाभि क्षेत्र को सूक्ष्म ऊर्जा (प्राण) को निर्देशित करने के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु माना जाता है। ध्यान और प्राणायाम के दौरान इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके, अभ्यासी अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संभावित रूप से प्रभावित कर सकते हैं। • नाभि चक्र: "नाभि चक्र" एक अवधारणा है जिसे अक्सर नाभि क्षेत्र से जोड़ा जाता है। इसे प्राण ऊर्जा, ऊष्मा और शक्ति का केंद्र माना जाता है। इस केंद्र को सक्रिय करने से जीवन शक्ति, एकाग्रता और आध्यात्मिक जागरूकता में वृद्धि होती है। नाभि का ध्यान से संबंध 1. ऊर्जा के स्रोत के रूप में नाभि केंद्र: • योगानंद की शिक्षाएं इस बात पर जोर देती हैं कि नाभि केंद्र एक महत्वपूर्ण ऊर्जा बिंदु है, जो शरीर के भीतर मुख्य ऊष्मा स्रोत के रूप में कार्य करता है। • यह ऊर्जा जीवन शक्ति या प्राण से जुड़ी हुई है, और ध्यान के दौरान इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके, साधक जीवन शक्ति और आध्यात्मिक जागरूकता विकसित कर सकते हैं। • मानव शरीर के भीतर "गुप्त अग्नि" या अग्नि रहस्य भी इसी नाभि केंद्र से जुड़ा हुआ है। 2. क्रिया योग और ध्यान से संबंध: • क्रिया योग में, अभ्यासकर्ता इस ऊर्जा को निर्देशित करने की तकनीक सीखते हैं, जिसमें विशिष्ट श्वास व्यायाम और नाभि केंद्र पर मानसिक ध्यान केंद्रित करना शामिल है। • इसका लक्ष्य सुप्त आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत करना और उसे मेरुदण्ड के माध्यम से ऊपर की ओर ले जाना है, जिससे चेतना और आत्म-साक्षात्कार की उच्चतर अवस्था प्राप्त हो सके। • ध्यान के दौरान नाभि केंद्र एकाग्रता के मुख्य बिंदु के रूप में कार्य करता है, जिससे साधक मन को शांत कर सकते हैं और ईश्वर से जुड़ सकते हैं। 3. प्रतीकवाद और व्याख्या: • नाभि केन्द्र, या नाभि चक्र, योग दर्शन में सात प्राथमिक चक्रों में से एक है, जो जीवन शक्ति और रचनात्मक ऊर्जा का स्थान दर्शाता है। • नाभि केन्द्र पर योगानन्द की शिक्षाएं केवल भौतिक नहीं हैं; उनमें आध्यात्मिक क्षमता के जागरण और आत्मज्ञान की ओर यात्रा से संबंधित प्रतीकात्मक अर्थ भी निहित हैं। फ़ायदे: योगानंद की शिक्षाएं बताती हैं कि नाभि पर ध्यान केंद्रित करने से विभिन्न लाभ हो सकते हैं, जिनमें जीवन शक्ति में वृद्धि, एकाग्रता में वृद्धि, तथा अपने आंतरिक स्वरूप के साथ गहरा संबंध शामिल है। आध्यात्मिक महत्व: "नाभि रहस्य" केवल एक भौतिक तकनीक नहीं है, बल्कि इसके आध्यात्मिक निहितार्थ भी हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह चेतना की उच्चतर अवस्थाओं का प्रवेशद्वार है। संक्षेप में, योगानंद की शिक्षाओं में "नाभि रहस्य" नाभि को ऊर्जा विकसित करने, मन को केंद्रित करने और अंततः क्रिया योग और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में इंगित करता है।