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समसामयिक विषयों पर आधारित राज्य सभा टीवी की खास पेशकश आज की चर्चा में बात भारतीय रिज़र्व बैंक कमेटी ने घरेलू बैंकिंग इंडस्ट्री को नया रूप देने का प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव के तहत गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और प्रमुख पेमेंट बैंकों को लेंडर्स के तौर पर कार्य करने की मंजूरी मिलेगी. इसका मतलब यह हुआ कि वे बैंकों के तौर पर काम कर सकेंगे. आरबीआई का कहना है कि बड़े कारोबारी घरानों और इंडस्ट्रियल हाउसेंज़ को बैंक खोलने की इजाज़त देनी चाहिये. प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के मालिकाना हक को लेकर आरबीआई की इंटरनल वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मकसद के लिए बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट 1949 में ज़रूरी बदलाव किये जाने होंगे. इसके साथ ही बड़े कारोबारी घरानों पर नज़र रखने के नियमों को सख्त करना होगा और संयुक्त पर्यवेक्षण जैसी नीति भी अपनानी होगी. बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट 1949 में बदलाव इस वजह से ज़रूरी होगा, जिससे बैंकों, वित्तीय या गैर वित्तीय संस्थानों के बीच कर्ज लेने या हिस्सेदारी लेने पर नियंत्रण लगाया जा सके, इसके साथ बड़े गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को लेकर आरबीआई का कहना है कि जिनकी पूंजी 50 हज़ार करोड़ रुपये या इससे ज्यादा है, उन्हें बैंक में बदलने के बारे में सोचा जाना चाहिये. इनमें वो संस्थान भी शामिल हैं जो निजी हाथों में हैं, हालांकि आरबीआई ने शर्त रखी है कि ये संस्थान कम से कम 10 साल से काम कर रहें हों..और बैंक बनने के लिए ज़रूरी सभी मानदंडों पर खरे उतर रहे हों. आरबीआई पैनल ने निजी बैंकों के कामकाज में बेहतरी के लिए भी कई सिफारिशें की हैं. खासतौर से बड़ी और कई कारोबार में शामिल एनबीएफसी वाले कॉरपोरेट समूह की निगरानी की बात कही है. जाहिर है बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए ये प्रस्ताव बहुत अहम साबित हो सकते है. आरबीआई ने अपनी इस रिपोर्ट पर टिप्पणियां भी मंगाई है और ये सुझाव अगले साल 15 जनवरी 2021 तक सबमिट किया जा सकता है. Guest Name:- 1. Sidhartha, National Economic Editor, TOI सिद्धार्थ, आर्थिक संपादक, TOI 2. अजय शंकर, पूर्व सचिव, डीआईपीपी, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार Ajay Shankar, Former Secretary, DIPP, Ministry of Commerce and Industry, GoI Anchor:- Preeti Singh Producer:- Sagheer Ahmad